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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir २० श्रावश्यक दिग्दर्शन से आया था ? परन्तु गान्धी की आँधी के झटकों को वह रोक न सका और उड़ गया ! धन अनित्य है, ण भंगुर है ! इसका गर्व क्या, इसका घमंड क्या ? भारत के ग्रामीण लोगों का विश्वास है कि 'जहाँ कोई बड़ा साँप रहता है, वहाँ अवश्य कोई धन का बड़ा खजाना होता है।' यह विश्वास कहाँ तक सत्य है, यह जाने दीजिए । परन्तु इस पर से यह तो पता लगता है कि धन से चिपटे रहने वाले मनुष्य साँप ही होते हैं, मनुष्य नहीं । मानव जीवन का ध्येय चाँदी-सोने की रंगीन दुनिया में नहीं है। विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव, क्या कभी रुपये पैसे के गोल चक्र में अपना महत्त्व पा सकता है ? कभी नहीं। ___ मनुष्य विश्व का एक महान् बुद्धिशाली प्राणी है । वह अपनी बुद्धि के श्रागे किसी को कुछ समझता ही नहीं है । वह प्रकृति का विजेता है, और यह विजय मिली है उसे अपने बुद्धि-वैभव के बल पर । वह अपनी बुद्धि की यात्रा में कहाँ से कहाँ पहुँच गया है । भूमण्डल पर दुर्गम पहाड़ों पर से रेल और मोटरें दौड़ रही हैं । महासमुद्रों के विराट वक्ष पर से जलयानों की गर्जना सुनाई दे रही है। आज मनुष्य हवा में पक्षियों की तरह उड़ रहा है, वायुयान के द्वारा संसार का कोना-कोना छान रहा है। मनुष्य की बुद्धि ने कान इतने बड़े प्रभावशाली बना दिए हैं कि यहाँ बैठे हजारों मीलों की बात सुन सकते हैं । और आँख भी इतनी बड़ी होगई है कि भारत में बैठकर इङ्गलैंड और अमेरिका में खड़े अादमी को देख सकते हैं । अरे यह परमाणु शक्ति ! कुछ न पूछो, हिरोसिमा का संहार क्या कभी भुलाया जा सकेगा ? रबड़ की छोटी-सी गेंद के बराबर परमाणु बम से आज दुनिया के इन्सानों की जिन्दगी काँप रही है । अभी-अभी स्विटजरलैण्ड के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि तीन छटाँक विज्ञानगवेषित विषाक्त पदार्थ विशेष से अरबों मनुष्यों का जीवन कुछ ही मिनटों में समाप्त किया जा सकता है । और देखिए, अमेरिका में वह हाइड्रोजन बम का धूपकेतु सर उठा रहा है, जिसकी चर्चा-मात्र से मानव जाति त्रस्त हो उठी है। यह सब है मनुष्य For Private And Personal
SR No.020720
Book TitleShraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1951
Total Pages750
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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