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विराधना-सूत्र पडिक्कमामि तिहिं विराहणाहिं
नाण-विराहणाए. दंसण-विराहणाए, चरित्त-विराहणाए।
शब्दार्थ पडिक्कमामि- प्रतिक्रमण करता हूँ दंसण - दर्शन की तिहिं = तीनों
विराहणाए =विराधना से विराहणाहिं = विराधनाओं से चरित्त = चारित्र की नाण = ज्ञान की
विराहणाए- विराधना से विराहणाए विराधना से
भावार्थ तीन प्रकार की विराधनाओं से होने वाले दोषों का प्रतिक्रमण करता हूँ। [कौनसी विराधनाओं से ? ] ज्ञान की विराधना से, दर्शन की विराधना से, और चारित्र की विराधना से ।
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