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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्रमरण-सूत्र कारण समय का लाभ नहीं उठा पाते, वे प्रगति की दौड़ में सर्वथा पीछे रह जाते हैं, उनके भाग्य में पश्चात्ताप के अतिरिक्त ओर कुछ नहीं रहता। ___मनुष्य का कर्तव्य है कि वह योजना के अनुसार, प्रोग्राम के मुताबिक प्रगति करे । जिस कार्य के लिए जो समय निश्चित किया हो, उस कार्य को उसी समय करने के लिए प्रस्तुत रहना चाहिए । मनुष्य वह है, जो ठीक घड़ी की सुई की तरह पूर्ण नियमित ढंग से कार्य करता है । स्वीकृत योजना का परित्याग कर जरा भी इधर-उधर हेर-फेर से किया जाने वाला कार्य रस प्रद एवं शक्ति प्रद नहीं होता | दूर क्यों जाएँ, पास ही देखिए । जब मनुष्य को कड़ाके की भूख लगी हो और उस समय ठंडा पानी पीने के लिए लाया जाय तो कैसा रहेगा ? और जब बहुत उग्र प्यास लगी हो तब सुन्दर मिष्ट भोजन उपस्थित किया जाय तो क्या आनन्द आएगा? प्रत्येक कार्य अपने समय पर ही ठीक होता है । समयविरुद्ध अच्छे से अच्छा कार्य भी अभद्र एवं अरुचिकर हो जाता है । मानव जीवन के लिए यह अनमोल समय मिला है। इसे व्यर्थ ही प्रमादवश बर्बाद न करो। भगवान महावीर के उपदेशानुसार प्रत्येक सत्कार्य को, उसके निश्चित समय पर ही करने के लिए तैयार रहो। कितनी ही झझट हो, गड़बड़ हो; किन्तु अपने निश्चित कर्तव्य से न चूको । 'काले कालं समायरे'-उत्तराध्ययन सूत्र । लोकदृष्टि की भाँति लोकोत्तर दृष्टि में भी कालोचित क्रिया का बड़ा महत्त्व है । साधु का जीवन सर्वथा नियमित रूप से गति करता है । युद्ध में चढ़े हुए सेनापति के लिए जिस प्रकार प्रत्येक क्षण अमूल्य होता है, उसी प्रकार कम शत्रु ओं से युद्ध में संलग्न साधक भी जीवन का प्रत्येक क्षण अमूल्य समझता है । कर्तव्य के प्रति जरा-सी भी उपेक्षा समस्त योजनाओं को धूल में मिला देती है । योजना के अनुसार प्रगति न करने से, मनुष्य, जीवन क्षेत्र में पिछड़ जाता है । जीवन की प्रगति के प्रत्येक अंग को पालोकित रखने के लिए काल की प्रतिलेखना करना, अतीव For Private And Personal
SR No.020720
Book TitleShraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1951
Total Pages750
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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