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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | // 50 // सापत्नमातुर्मरणे संवत्सरोर्ध्वमपि देशान्तरेऽपि त्रिरात्रम् // 51 // औरसपुत्रे मृते संवत्सरोर्ध्वमपि मातापित्रोस्त्रिरात्रम् // 52 // दशाहोलमेकदेशे ज्ञातिमरणे ज्ञाते मासत्रयपर्यंतं त्रिरात्रम्॥षण्मासपर्यंतं पक्षिणी॥ नवमासपर्यंत एकदिनं तदनन्तरं स्नानमात्रमिति वृद्धवसिष्ठः॥ पक्षत्रयपर्यंत त्रिरात्रम् // षण्मासपर्यंतं पक्षिणी // वर्षपर्यंतमेकरात्रम् // तदूर्ध्वं स्नानमात्रमिति माधवे देवलः // अत्रापदनापद्विषयत्वेन व्यवस्था द्रष्टव्या॥५३॥ दशाहोय देशांतरे ज्ञातिमरणे ज्ञाते त्रिपक्षपर्यंत त्रिरात्रम् // ततो मासषटपर्यंतं अहोरात्रम्॥ ततो वर्षपर्यंतं दिवा श्रवणे आसायं रात्रिश्रवणे आप्रातराशौचम् // वत्सरांते तु स्नानाच्छुद्धिः // इदं सर्वमतिकांताशौचं सर्ववर्णसाधारणम् // अत्र देशांतरे ज्ञातिमृते ज्ञाते स्नानाच्छुद्धिरिति केचित् // तन्माधवोदाहृतविष्णुस्मृत्यज्ञानविलसितमिति ज्ञेयम् // देशांतरं तु man For Private and Personal Use Only
SR No.020712
Book TitleShauchnirnay Trayambakiya
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages22
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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