________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रिरात्रम् // 37 // दत्तकस्य पुत्रपौत्राणां मरणे जनने वा सपिंडानामेकाहः // 38 // सपिंडे पुत्रीकृते दत्तके मृते तु सपिंडानां दशाह एव // 39 // आचार्यमरणे शिष्यस्य त्रिरात्रम् // तत्पुत्रपन्योर्मरणे एकाहः // उपनीयाध्यापक आचार्य इत्युच्यते // वेदैकदेशाध्यापक उपाध्यायः // तन्मरणे शिष्यस्यैकरात्रम् // 40 // शिष्यस्योपनीतस्य मरणे गुरोस्त्रिरात्रम् // परोपनीतस्य मरणे तु एकरात्रम् // 41 // सहाध्यायिनो मृतौ एकग्रामीणयोरनूचानोत्रिययोम॒तौ चैकाहः॥ सांगवेदाध्यायी अनूचानः // वेदमात्राध्यायी श्रोत्रियः॥ अध्ययनशब्दार्थस्यार्थज्ञानपर्यवसायित्वं न्यायसिद्धम् // 42 // असपिंडस्यापि श्रोत्रियस्य मैत्रादिसंबन्धस्य यगृहे मरणं तद्गृहस्वामिन एकरात्रम् // 43 // वानप्रस्थे यतौ षंढे च मृते युद्धे च मृते सपिंडानां स्नानमात्रम् // 44 // ॥अथातिकांताशौचम् // तत्र जननेऽतिक्रांताशौचं For Private and Personal Use Only