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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४ ८ ) ॥ ६ ॥ बावन देहरी पाउन फरती, जिनमंदिर शोना करती राज ॥ या० ॥ तेहमां अजित जिनेसर राया, में प्रणमीने गुण गाया राज || खा० ॥ ७ ॥ न्हाना महोटा जुवन निहाली, सगतीस गएया संजाली रा ज ॥ ० ॥ संख्यायें जिनप्रतिमा जलीयें, पांचसें नेव्यासी गणीयें राज ॥ या० ॥ ८ ॥ ए तीरथमाला सुविचारी, तुमे यात्रा करो हित कारी राज ॥ या०॥ दर्शन पूजा सफली थाये, शुन अमृत नावे गाये राज ॥ ० ॥ ए ॥ ॥ ढाल दशमी ॥ मुने संभवजिनचं प्रीत य विहड लागी रे || ए देशी ॥ ॥ तुमे सिद्धगिरिनां बेदु ट्रॅक, जोइ जूहारो रे ॥ तुमे मूल अनादिनी मूक, ए नव यारो रे ॥ तुमे व मी जीव संघात, परणति रंगे रे ॥ तुमे करजो तीरथ यात्र, सुविहित संगे रे ॥ १ ॥ वावरजो एक वार, सचित सदु टालो रे ॥ करी पडिक्कमला दोइ वार, पाप पखालो रे ॥ तुमे धरजो सील शृंगार, भूमि सं थारो रे || खाणे पाय संचार, बहरि पालो रे ॥ ॥ २ ॥ इम सुणी यागम रीत, हीयडे धरजो रे ॥ करी सहा प्रतीत, तीरथ करजो रे ॥ श्रा दूषम For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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