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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४७) ॥ ढाल नवमी॥ पाठ कूवा नव वावडी हुँ सेमिसें दे खण जानं माहाराज, दधीनो दाणी कानुडो।एदेशी॥ ॥हवे बीपावसहीमा वाहाला,हारे तुमे चालो चेतन लाला राज ॥धाज सफल दिन ए रूडो॥ ए बांक गी। जिनमंदिर जिन मूरत नेटो, नव नवना पा तिक मेटो राज ॥ बाज॥१॥ तिहां पांच गंनारे जर अटकलिया, मानु पांच परमेष्टी मलिया राज ॥ था० ॥ रायण तले पगलां सुखदाइ, तिहां षन प्रजुने गाई राज ॥था॥॥ नेमिजेनेसर शिष्य प्रवीणा, मुनि नंदिषेण नगीना राज॥था॥ श्रीश जय नेटण आया, तिहां अजित शांति गुण गा या राज॥या ॥३॥ तेह तवन महिमाथी जो डें, बिहुँ जिनवर वंद्या कोडें राज ॥ आ० ॥ तेह मंदिर बे जोडें निरखी, में नेटया बेहु जिन हरखी राज । बा ॥ ४ ॥ नयर मनोही तणोजे वासी, मनु पारख धर्म अन्यासी राज । आ० ॥ तेणे जि नमंदिर की, सालं, तिहां त्रस्य प्रतिमाने जुहार रा ज॥था०॥ ५॥ एक नुवनमां त्रस्य जिनराजे, बीजामां नेम विराजे राज ॥ था०॥ देवल एक देखी उरित निकं, तिहां पास प्रजुने वंड राज ॥ आण For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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