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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्तर जिन शोदावे रे ॥ अचलगबना देहरा मांहे, बत्रीश जिनजी देखावेरे॥त्रिनु०॥६॥ शाह मूलानां मंझप मांहे, बेतालीश जिनंदोरे ॥ चोवीश वट्टो एक तिहां ,प्रणम्ये परमानंदो रे ॥ त्रिनु० ॥ ॥ अष्टा पद मंदिरमा जश्ने, अवधिदोप तजीश रे॥ चार पाठ दस दोय नमीने, वीजा जिन चालीश रे ॥ त्रिनु०॥ ॥७॥शेठजी सरचंदनी देहरीमां, नव जिन पडिमा जे रे ॥ घीया कुंधरजीनी देहरीमां, प्रतिमा त्रस्य बिराजे रे ॥ त्रिनु० ॥ ए ॥ वस्तुपालनां देहरा मांहे, थाप्या षन जिणंद रे ॥ कानसगीया बे एकत्रीश जिनवर, संघवो ताराचंद रे ॥ त्रिनु० ॥ १७ ॥ मेरु शिखरनी ग्वणा मध्ये, प्रतिमा बार नजेरी रे ॥ ना णा लींबडीपानी देहरीमा, दश प्रतिमा जो हेरी रे ॥ त्रिनु० ॥ ११ ॥ संघवी ताराचंद देवल पासें, देहरी त्रस्य अनेरीरे ॥ तेहमां दश जिनप्रतिमा निरखी, थिर परिणिति थइ मेरीरे ॥ त्रिनु० ॥१२॥ पांच नाश्याना देहरा मांहे, प्रतिमा पांचढे महोटी रे ॥ बीजो तेंत्रीश जिन पडिमा, एह वात नही खोटीरे ॥ त्रिनु०॥ १३ ॥ अमदावादीनुं देहरुं क हियें, तेहमा प्रतिमा तेर रे॥ ते पनवाडे देहरी मांहे, For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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