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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ए) पावडीयां बत्रीश ॥ नाग मोरनां रूप देखो, नवीकीजें रीश ॥ रायण वडपीपल कटुंए, अांबलीय जगीश ॥ त्रण कोट मांहे महोटा ए, जाड एकवीश ॥ ॥१६॥ कोट देहराना कांगरा ए, बारशें बारा॥ थेन ग्यारसे में घण्या ए, उपर पांशह ॥ इसर कुं मने नोमकुंम, जुज कुंम वखाणुं ॥ खोडीधार कुंभ शिलार कुंझ, तेहनो पार नजाणुं ॥ १७ ॥ सोवन सिघरस कूपीका ए, चोखा फिटकनी खाण ॥ चार पाज शत्रुजे चढी ए, कीजें कर्मनी दाण ॥ नीली धोली पर्व बेदु, होवे तेहिज नाम ॥ संघ यात्रा करी तिहां मले ए, वीसामा गम ॥ १७॥ या दिपुरो रलियामणु, दीनां पापज नासे ॥ शत्रुजी जली नदीवहे, शत्रुजेगिरि पासे ॥ इंदपुरी समोवडे ए, पालीताणो नयर ॥ उत्तंग प्रासाद जिहां जिनत पा, दो नासे वयर ॥ १ए॥ मानसरोवर समो वडें ए, ललिता सर सोहे ॥ वनवाडी याराम नाम, इंशदिक मोहे ॥ शत्रुजो शिवपुर समोवडें ए, झानी इम बोले ॥ त्रिनुवन मांहे तीरथ नहींए, शत्रुजा गिरि तोले ॥ २०॥ ए तीरथ संख्या में क ही ए, शत्रुजय गिरि केरी ॥जे नरनारी जणे गुणे ए, For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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