SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट १० श्रीजिनप्रभसूरिविरचिता पद्मावतीचतुष्पदिका। जिनसासन अवधारि करेवि झायहुँ सिरिपउमावइ देवी । भवियलोयआणंद करेउ दुलहउ सावयजम्म लहेउ ॥१॥ मनरि मिच्छसूर अणुसरह ॥आंचली। पासनाहपयपंकयभसलि ! संघविघननिन्नासणकुसलि !। ससिकरनिम्मलगुणगणपुण्ण ! पउमएवि ! मह होउ पसण्ण ! ॥२॥ तारतरल तुह लोयण तिण्णि दुहदलणा भूयदुगण दुण्णि । पियसी पारुहपविहत्थे वारण दीसे तह हत्थी ॥३॥ फूलफालफणिमणिकरजाल दसदिसि पसरइ तुज्झ कराल । जिणि दीठई पडिबोहिय सहइ विग्ध तिमिर जिणिं जग अवहरइ ॥४॥ कुंडलमंडलमंडियगल्ल अरिखंडणभुयदंडपयंड । घणथणघोलिरनिम्मलहार पउमावइ नंदउ जगि सार ॥५॥ नेउरझुणिबहिरियदिसिचक खग्गदंडखंडियरिउचक्क । मणिकंचणचंचुइभपउट्ठ पउमि होहि भवियह संतुट्ठ ॥६॥ मेहलमुहलियसोणिपएसि अलिकुलकोमलदीहरकेसि । जलधरणीदहउत्तमरमणि पउमएवि भू मयगलगमणि ॥७॥ पासंकुसवरपहरणपाणि तंबचूडविसहरवरझाणि । पउमपत्तसमवण्णसरीर ! पउमएवि मा मे अवहीर ॥८॥ भत्तिनमंतसुरासुररमणि मणिकिरीडकररंजियचलणि । किं भमई नरमित्त वराय आराहहू सुरवर तुह पाय ॥९॥ तालु ऐं च झंखर ललिय वीयउ ससिदल लहयलकीलउ । For Private And Personal Use Only
SR No.020681
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK V Abhyankar, Sarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1937
Total Pages307
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy