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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६८ | शावर तन्त्र शास्त्र शास्त्रीय मान्यता के अनुसार- सतयुग में वेदों में वर्णित विधि से, त्रेता में मनुस्मृति में दी गई विधि से, द्वापर में पुराणों में दी गई विधि से और कलियुग में तंत्रोक्त विधि से पूजा-अर्चना करने का विधान है क्योंकि कलयुगी मानव अपेक्षाकृत अधिक अपवित्र भाव वाले माने गये हैं अतः वेद वर्णित साधना की अपेक्षा तन्त्र शास्त्र वाणत विधि ही उनके लिये अधिक श्रयस्कर और फलप्रद रहेगी । यह तो हुई शास्त्रीय बात | अब आप स्वयं देखिये - तांत्रिक अनुष्ठानों में अकेली भावना ही काम नहीं करती । यहाँ विभिन्न, साधनों व कर्मकांडों के द्वारा उस भाव तरग को अधिक उग्र ( शक्ति पूर्ण ) बनाया जाता है और उस शक्ति पुंज को विशेष दिशा में कार्यशील कर दिया जाता है इसीलिये कहा जाता है कि तांत्रिक मंत्रों में अधिक शक्ति होती है । तांत्रिक कर्म कांड के बारे में भय लोक व्यवहार में आप देखते हैं कि जब आप किसी सड़क के किनारेकिनारे पंदल चलते हैं तो इतनी सतर्कता नहीं बरतते, जितनी कि साइकिल से चलने पर । इससे भी अधिक सतर्कता स्कूटर से चलने पर बर्तनी होती है । हवाई जहाज चलाने पर और भी अधिक सावधानी रखनी होती है। तात्पर्य यह है कि जितनी तेज काम करने वाली मशीन होगी उतनी ही अधिक सावधानी रखनी पड़ेगी । तांत्रिक अनुष्ठान भी बहुत तेज मशीन की तरह ही कार्य करते हैं । थोड़ी सी असावधानी होने पर तेज मशीन की तरह ही हानि पहुँचाते हैं । इसलिये जितना अधिक शक्ति पूर्ण कार्य करना हो उसी अनुपात में तन्त्रानुष्ठान में सतर्कता बर्तनी होगी । मारण, उच्चाटन, विद्वेषण आदि कर्मों में ही नहीं अपितु शान्ति-पुष्टि के कार्यों में भी तन्त्र उसी तेजी (स्पीड) के साथ काम करता है । मैंने स्वयं ध्यान (मैडीटेशन) में देखा है कि जो अनुभव दूसरी विधियों से साधकों को सामान्य रूप से दस-बारह वर्ष की तपस्या के पश्चात् प्राप्त हो पाते हैं वे तांत्रिक विधि से १-२ घंटे के अन्दर ही प्राप्त होने लगते हैं । इतनी लाभदायक विधि को केवल संभावित दुर्घटना के भय के कारण छोड़ दिया जाय, इससे अधिक कायरता और क्या होगी ? ऐसे अनुभवों का अधिक विस्तृत अध्ययन करने वाली संस्था आई० सी० एम० की भी तांत्रिक अनुष्ठानों के बारे में यही चेतावनी है कि घर में विद्युत से हम कई तरह For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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