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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२० | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org बली । सहस्रबाहुः शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्द्धरः । रक्तगंधोरक्त माल्यो राजास्मर्तु रभिष्टदः । द्वादशैतानि नामानि कार्त्तवीर्य्यस्य यः पठेत् । अनष्ट द्रव्यता तस्य नष्टस्य पुनरागमः । संपद स्तस्य जायंते जनास्तस्य वशे सदा ।" विधि जिस व्यक्ति का धन चोरी अथवा राजदण्ड आदि के कारण नष्ट हो गया हो, वह व्यक्ति कार्तवीर्य के उक्त द्वादश नामों का नित्य २१ बार पाठ करे तो गया हुआ धन पुनः लौट आता है। जो व्यक्ति इन नामों का नित्य २१ बार पाठ करता है, उसका धन कभी नष्ट नहीं होता। धन की वृद्धि होती है तथा सब लोग उसके वशीभूत रहते हैं । वटुक मन्त्र मन्त्र- - "ॐ ह्रीं वटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु वटुकाय ह्रीं स्वाहा ।" इस मन्त्र के न्यास, ध्यान तथा साधन-विधि निम्नानुसार हैंकर न्यास – “ ॐ ह्रीं अङ्गष्ठाभ्यां नमः | ॐ ह्री तर्जनीभ्यां स्वाहा । हृदयादि न्यास Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐ ह्री मध्यमाभ्यां वषट् । ॐ ह्रौं अनामिकाभ्यां वौषट् । ॐ ह्रो कनिष्ठिकाभ्यां हुँ । ॐ ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां फट् ।” - ॐ ह्रां हृदयाय नमः । ॐ ह्री शिरसे स्वाहा । ॐ ह्र शिखायै वषट् । ॐ ह्रौं नेत्र प्रयाय वौषट् । G ॐ ह्रीं कवचाय हुँ । ॐ ह्रीं अस्त्राय फट् {" For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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