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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१ खसंज्ञक पुस्तक ताडपत्र उपर लखायेलुं छे अने ते सटीक पांच कर्मग्रंथतुं छे. तेनां पत्र २ थी ३०६ छे. प्रति अंतमां कांइक त्रुटक छे. तेनी लंबाई २२। इंच अने पहोलाई २। इंचनी छे. पुस्तकनी दरेक मुठीमां वधारेमां वधारे ७ अने ओछामां ओछी ६ पंक्तिओ छे. प्रतिनो अंत्यभाग नहि होवाथी लेखनकाल आदिने लगती पुष्पिका विगेरे कांइ पण आ ठेकाणे आपी शकवू अशक्य छे. तो पण लिपि जोतां चौदमी शताब्दीना अंउमां आ प्रति लखायानो संभव छे. पुस्तकनी स्थिति साधारण छे. क-खसंज्ञक पुस्तकमां पंक्तिओ एक सरखी नहि होवाना कारणे पंक्तिना अक्षरोनी नोंध अहीं आपी नथी. गसंज्ञक पुस्तक-आ पुस्तक पाटणना रहेवासी शा. मलुकचंद दोलाचंद हस्तकनुं छे अने ते कागल उपर लखायेलुं छे. आ प्रतिमां सटीक छए कर्मग्रंथ छे. एनां पानां २८२ छे. प्रतिनी लंबाई १०॥ इंच अने पहोलाई ४॥ इंचनी छे. आ प्रतिनी दरेक पुंठीमा १५ पंक्तिओ छे. पंक्तिदीठ ओछामा ओछा ५० अने वधारेमां वधारे ६२ अक्षरो छे. आ प्रतिना अंतमां लेखन काल आदीनो कशोय उल्लेख नथी तेम छतां लिपि जोतां प्रति १७ मी शताब्दीना प्रारंभमां लखायानो संभव छे. पुस्तकनी स्थिति सारी छे. घसंज्ञक पुस्तक-आ पुस्तक पाटण फोफलीया वाडानी आगली शेरीना तपागच्छीय पुस्तकभंडारनुं छे. आ पुस्तकभंडार तेना ट्रस्टीओ पैकी हाल शा० मलुकचंद दोलाचंदनी देखरेख नीचे छे. प्रति कागल उपर त्रिपाठमां लखाएली छे अने तेमां सटीक छ कर्मग्रंथो छे. तेनां पत्र ११९ छे. प्रतनी लंबाई १०॥ इंच अने पहोलाई ४॥ इंचथी कांइक ओछी छे. आ प्रतिनी कोई पुंठीमा २४ तो कोईमां २५-२६ अने २७ एम ओछी वत्ती पंक्तिओ छे. पंक्तिदीठ कममां कम ६३ अने अधिकमां अधिक ८१ अक्षरो छे. प्रतिनी स्थिति घणी ज सारी छे. प्रतिना अंतमां नीचे प्रमाणे पुष्पिका छे. "संवत् १६०६ वर्षे कार्तिकशुद ४ गुरौ दिने लिखितम् ।छ। शुभं भवतु ॥" ङसंज्ञक पुस्तक-आ पुस्तक वडोदराना आत्मानन्द जैनज्ञानमन्दिरमा पूज्य प्रवर्तक श्रीमत्कान्तिविजयजी महाराजनो पुस्तकसंग्रह छे तेमांनुं छे. ए भंडार आत्मानन्द जैनज्ञानमन्दिरना सेक्रेटरी शा० जीवणलाल किशोरदास कापडीयानी देखरेख नीचे छे. आ प्रति कागल उपर लखायेली छे अने तेमां सटीक पांच कर्मग्रंथ छे. तेनां पत्र १५४ छे. प्रतिनी लंबाई १३ इंचथी कांइक कम अने पहोलाई ५। इंचनी छे. आ प्रतिनी प्रत्येक पुंठीमां १७ पंक्तिओ छे अने पंक्तिदीठ कोई पंक्तिमा कममां कम ६४ अने अधिकमां अधिक ६७ अक्षरो छे. आ प्रतिना अंतमा लेखनकाल विगेरेनो उल्लेख नथी. लिपि जोतां ए प्रति १७ भी शताब्दीमां लखायानो संभव छे. प्रतिनी स्थिति घणी सारी छे. For Private and Personal Use Only
SR No.020663
Book TitleSatikachatvar Karmgrantha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1934
Total Pages286
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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