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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 689 भारत के (?) प्रादेशिक - मलयालम् । मराठी। भाषा के काव्य का प्रथम तमिळ । अवधी। संस्कृत अनुवाद हुआ690 अप्पय्य दीक्षित के - 120/123/125/127 कुवलयानंद में कुल (?) अलंकारों का विवेचन है691 जयदेवकृत चंद्रालोक से - कुवलयानंद । रसगंगाधर । प्रभावित अलंकारशास्त्र काव्यदर्पण। अलंकारसंग्रह का (?) ग्रंथ है692 लक्ष्यसंगीत के अनुसार - बिलावल । काफी । भैरव । सब से अधिक राग (?) कल्याण । मेल में है693 वेलावली मेल के अंतर्गत- 15/32/18/43 (?) राग है694 मल्लार राग के (?) - 8/10/5/7 प्रकार है695 भातखंडेजी के मतानुसार - 10/12/15/72 कुल मेल (ठाठ) 703 कूर्मपुराण की प्रसिद्ध 4 - ब्राह्मी । भागवती । सौरी। संहिताओं में से (?) वैष्णवी। संहिता उपलब्ध है704 व्यासगीता (?) पुराण के- अग्नि । नारद । पद्म । अंतर्गत है कूर्म। 705 कृत्यकल्पतरू के लेखक - राजा। सचिव । लक्ष्मीधर कन्नौज राज्य न्यायाधीश । पुरोहित में (?) थे706 चौदह काण्डों के कृत्य- - 71 121 14121 । कल्पतरू में राजधर्मकाण्ड की अध्यायसंख्या 696 संगीत शब्द के अन्तर्गत - गीत । वाद्य । अभिनय । (?) कला का अंतर्भाव नृत्य। नहीं माना गया है697 हिंदुस्थानी पद्धति के - वादी । विवादी। संवादी। राग में (?) प्रकार के प्रतिवादी। स्वर नहीं होते698 शुध्द स्वरों के सप्तक को - तार । मध्यम । मंद्र। (?) सप्तक कहते है- बिलावल। 699 संगीत के सप्तक में - 5/7/8/12 रागोपयोगी स्वरों की कुल संख्या (?) मानी है700 राग की मुख्य जाति - 3/9/72/484 (?) प्रकार की होती है701 उत्तरी संगीत में सबसे - षाडव-षाडव/ औडुव अधिक राग (?) षाडव/ औडुव-औडुव/ जाति के होते है- संपूर्ण-औडुव 707 राजनीति शास्त्र के 3/6/7/8 अनुसार राज्य के (?) अंग होते है708 राजा की तीन शक्तियों में - प्रभु. । मन्त्र. । उत्साह. । (?) शक्ति नहीं मानी यन्त्र. । 709 कृषिपराशर ग्रंथ (?) - 6/7/8/9 शताब्दी का माना गया है 710 संगीतरत्नाकर में गायक - 22 1 23 1 24 125 1 के दोष (?) बताए है711 अभिनव रागमंजरीकार ने - 72, 100, 125/2001 (?) रागों का परिचय दिया है712 प्राचीन श्रुति-स्वर व्यवस्था- छन्दोवती ।रक्तिका । क्रोधी/ के अनुसार षड्जस्वर मार्जनी। (?) श्रुति पर स्थित होताहै 713 आधुनिक श्रुतिस्वर - उग्रा/ मदती/ क्षिति/ व्यवस्था के अनुसार वज्रिका पंचमस्वर (?) श्रुतिपर स्थित होता है714 संगीतरत्नाकर में - 25/28/30/ 32 | वाग्गेयकार के (?) गुण बताए है715 कृष्ण यजुर्वेद के प्रथम - पैल/ सुमन्तु/जैमिनि/ आचार्य (?) है- वैशम्पायन । 716 पांतजल महाभाष्य के - 86/96/100/101 । अनुसार यजुर्वेदकी (?) शाखाएँ थी717 कृष्ण यजुर्वेद की लुप्त - श्वेताश्वतर/ कौण्डिण्य/ शाखाओंमें (?) शाखा काठक/ अग्निवेश। नहीं है718 नारायणतीर्थकृत कृष्ण- - 12/24/36/48 । लीला तरंगिणी में (?) 701 कल्याणरक्षित के ईश्वर - कुसुमांजलि।किरणावली। भंगकारिका का खंडन न्यायमंजरी। उदयनाचार्य ने (?) ग्रंथ तात्पर्यपरिशुद्धि । द्वारा किया702 कूर्मपुराण की विद्यमान - 17/18/617 संहिता में? श्लोकसंख्या (?) सहस्र है 24 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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