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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुंथुनाथ। 559 विष्णु के 24 नामों में - प्रद्युम्न । अनिरुद्ध । (?) अन्तर्भूत नहीं है- पुण्डरीकाक्ष । अधोक्षज। 560 साहित्यशास्त्रोक्त - प्रसाद । माधुर्य ।अर्थगौरव। काव्यगुणों में (?) नहीं ओज माना जाता561 कामसूत्रकार वात्स्यायन - मल्लनाग । दत्तकाचार्य। का निजी नाम (?) था- कुचुमार । घोटकमुख। 562 छेक, वृत्ति, श्रुति और - यमक । अनुप्रास । उपमा । अन्त्य (?) अलंकार के श्लेष प्रकार है563 चम्पूकाव्यों में सबसे बडा - आनन्दवृन्दावनचंपू। (?) है विश्वगुणादर्श । आनन्दलतिका-चम्पू। आनन्दरंग विजयचम्पू। 564 आनन्दवृन्दावनचम्पू के - बेंकटाध्वरि । कविकर्णपूर । लेखक (?) है- त्रिविक्रमभट्ट । श्रीनिवासकवि 565 आनन्दवृन्दावनचम्पू - 1/2/3/41 नामक ग्रन्थों की संख्या 542 विश्वामित्र ने रामलक्ष्मण - अपराजिता/ संजीवनी/ को (?) विद्या दी- बलातिबल। मधुविद्या। 543 कच ने शुक्राचार्य से - परा । अपरा । संजीवनी। (?) विद्या प्राप्त की- भूमविद्या। 544 चंद्र एक नक्षत्र से दुसरे - 55/60/65/701 नक्षत्र में (?) घटिकाओं में प्रवेश करता है545 सूर्य एक नक्षत्र से दूसरे - 10/11/12/13 | नक्षत्र में (?) दिनों में प्रवेश करता है546 राशिचक्र में (?) नक्षत्रों - 25/26/27/28 | का अन्तर्भाव होता है547 संपूर्ण चन्द्र की कलाएँ - 12/14/15/16/ (?) मानी जाती है548 श्रीमद्भागवत में 24 - 10 (पूर्वार्ध)/10 (उत्तरार्ध गुरुओं का वर्णन (?) 11/12। स्कन्ध में है549 कौटिल्य के मतानुसार - कृषि । पशुपालन । वाणिज्य । (?) वैश्यकर्म नहीं है- कुसीद (साहुकारी) 550 धर्मशास्त्र में (?) प्रकार - सवर्ण । अनुलोम । प्रतिलोम के विवाह का विचार विधर्मीय। नहीं है551 धर्मशास्त्र के अनुसार - ब्राह्मण । क्षत्रिय । वैश्य । राजाप्रासाद के परिसर में शूद्र। (?) वर्ण के लोग अल्पसंख्या में हो552 श्रीकृष्ण का रुक्मिणी से - ब्राह्म। गांधर्व । प्राजापत्य । विवाह (?) विधि से राक्षस । हुआ था। 553 (?) का विवाह स्वयंवर - नल-दमयंती। सत्यवान्पद्धति से नही हुआ था- सावित्री । राम-सीता। अज-इन्दुमती। 554 पौराणिक वैष्णव - पांचरात्र । सात्वत । एकान्ती। संप्रदायों में (?) अंतर्भूत कारुणिक। नहीं है555 चित्रकला एवं पाककला - विष्णु/विष्णुधर्मोत्तर/ विषयक विवरण केवल शिवधर्मोत्तर/ युगपुराण । (?) पुराण में है556 चौबीस जैन पुराणों में - आदिपुराण । हरिवंशपुराण (?) सर्वाधिक प्रसिद्ध है पद्मपुराण । उत्तरपुराण । 557 आदिपुराण के रचयिता - जिनसेन । गुणभद्र । रविषेण (?) है- पुष्पदन्त । 558 जैन आदिपुराण में (?) - ऋषभदेव ।शान्तनाथ । तीर्थंकर की कथा वर्णित वर्धमान । मल्लिनाथ । 566 आनन्दलहरीस्तोत्र पर - 15/20/25/35। (?)से अधिक टीकाएँ है 567 आपस्तंब-कल्पसूत्र के - 24 वे/ 27 वे/ 28-29 वे/ (?) प्रश्नभाग को शुल्ब 30 वे। सूत्र कहते है568 आपस्तंब कल्पसूत्र के - 21-22 1 23-24 1 26-27। (?) दो प्रश्न भाग 28-291 धर्मसूत्र कहलाते है569 आपस्तंब कल्पसूत्र के - 1 से 24/25-26/27/ कुल 30 प्रश्नों में (?) 28-291 प्रश्नभाग श्रौतसूत्र कहलाता है570 आपस्तंब कल्पसूत्र - वाजसनेयी । तैत्तिरीय। (?) वेदशाखा से शाकल । बाष्कल। संबंधित है571 यज्ञविधि के लिए - 2/4/6/81 (?) ऋत्विजों की आवश्यकता होती है572 ऋग्वेद से संबंधित - होता। अध्वर्यु । उद्गाता। ऋत्विक् को (?) कहते है- ब्रह्मा। 573 वैदिक ब्राह्मण ग्रंथों में - निरुक्त । आरण्यक । (?) का अन्तर्भाव नहीं - उपनिषद् । संहिता। होता574 'सर्वज्ञानमयो हि सः'- - मनु । सायण । दयानंद । संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी । 10 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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