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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (?) नाटक नहीं है- विजय । शिवराजाभिषेक। 512 143 ग्रंथों के लेखक - आंध्र । कर्णाटक । केरल । वेल्लंकोण्ड रामराय (?) तमिलनाडु । के निवासी थे513 किंवदन्ती के अनुसार - नीलकण्ठ दीक्षित । भट्टोजी (?) मरणोत्तर ब्रह्मराक्षस दीक्षित । भट्टनारायण । भट्टात्रि। 514 114 ग्रंथों के लेखक - 20/19/18/11 मुटुंबी वेंकटराम नरसिंहाचार्य (?) शतीके विद्वान है515 राघवाचार्य कृत वैकुण्ठ- . पौराणिक कथा/ ऐतिहासिक विजयचम्पूका विषय घटना/ तीर्थमंदिरवर्णन । (?) है भक्तचरित्र। 516 वाचस्पति मिश्र की पत्नी - लीलावती । भामती। का नाम (?) था- सरस्वती। अवंतिसुंदर । 517 भास्कराचार्य की विदुषी - सरस्वती । लीलावती। कन्या (?) थी- रामभद्राम्बा । विजयांका। 518 अकलंकदेव की अष्टशती- सप्तशती । अष्टसाहस्त्री। पर विद्यानन्दी कृत टीका दशशती । पंचदशी। का नाम (?) है। 519 क्रियागोपन-रामायण- - 12/14/16/181 चम्पू की रचना शेषकृष्णने __(?) वीं शताब्दी में की520 हेमचंद्रसूरि (?) उपाधि - कलिकालसर्वज्ञ ।सर्वज्ञभूप से विभूषित थे- कवितार्किककण्ठीरव। घटिकाशतसुदर्शन। 521 अष्टाध्यायी की पूर्ति के - धातुपाठ । गणपाठ। लिए पाणिनि ने (?) नहीं फिटसूत्र । उणादिसूत्र । लिखा। 522 अष्टाध्यायी की पूर्ति के - 2/3/4/5। लिए कात्यायन द्वारा रचित वार्तिकों की संख्या (?) सहस्त्र है523 महारानी अहल्यादेवी के - करमरकर शास्त्री। जीवनपर महाकाव्य (?) सखारामशास्त्री भागवत । ने लिखा है श्रीपादशास्त्री हसूरकर। डॉ. प्र. न. कवठेकर। 524 पांचरात्र साहित्य के - अहिर्बुध्न्य । शाकल। अन्तर्गत निर्मित 215 तैत्तिरीय । कौथुम संहिताओं में प्रमुखतम (?) संहिता है525 अहिर्बुध्न्य संहिता की - काश्मीर । पंचनद । विदेह । रचना (?) में हुई- सिन्धुदेश। 526 वैष्णवों के पांचरात्र - आगमप्रामाण्य । आगम सिध्दान्त का अवैदिकत्व तत्त्वविलास ।आगमचन्द्रिका । यामुनाचार्यने (?) आगमकल्पवल्ली। ग्रंथद्वारा खंडित किया527 वैदिक और तांत्रिक मार्गों - आगमोत्पत्ति-निर्णय । के विभेद की चर्चा कालीभक्ति-रसायन । काशीनाथ भट्ट ने अपने पुरश्चरणदीपिका । पदार्थादर्श । (?) ग्रंथ में की है528 सुप्रसिद्ध तांत्रिक लेखक - काश्मीर । वाराणसी। काशीनाथ भट्ट (?) प्रतिष्ठान । करवीर। के निवासी थे529 तैत्तिरीय संहिता के - आत्रेय । गौतम। पदपाठकार (?) ऋषि गोविन्दस्वामी । आपस्तम्ब । माने जाते है530 (?) उपपुराण है- - ब्रह्माण्ड । विष्णुधर्मोत्तर। ब्रह्मवैवर्त । गरुड। 531 विष्णुधर्मोत्तर पुराण (?) - 805/806/807/ 808 । अध्यायों में विभक्त है532 उपपुराणोंका विशिष्ट - डॉ. हाजरा । डॉ. प्रियबाला अध्ययन (?) ने नहीं - शाह । डॉ. स्टेला क्रामरिश्च । किया मैक्समूलर। 533 वाल्मीकि को विष्णु का - गणेश । नरसिंह। अवतार (?) उपपुराण विष्णुधर्मोत्तर । सौर। में माना है534 पुराण के पंचलक्षणां में - सर्ग । प्रतिसर्ग । गाथा । (?) नहीं माना जाता- मन्वन्तर । 535 पुराणों में (?) दशलक्षणी- श्रीमद्भागवत । पद्म । पुराण माना गया है- अग्नि । स्कन्द । 536 महापुराणों एवं उपपुराणों - कूर्मपुराण । भविष्यपुराण। में (?) अन्तभूर्त नहीं है- महाभारत । कालिकापुराण । 537 महापुराणों में (?) पुराण - अग्नि । वायु । पद्म । मत्स्य । प्राचीनतम माना जाता है538 कृष्णप्रिया राधा का - श्रीमद्भागवत । विष्णुधर्मोत्तर उल्लेख (?) पुराण ब्रह्मवैवर्त लिंग। में ही है539 विष्णुधर्मोत्तर पुराण - 2/3/4/51 (?) खंडों में विभाजित 540 श्रीमद्भागवत पुराण (?) संवादद्वारा निवेदित है541 हंसगीता (?) के अंतर्गत है - शुक-परीक्षित । कृष्ण उध्दव । मैत्रेय-विदुर। नारद-वसुदेव। अध्यात्मरामायण। योगवासिष्ठ । विष्णुधर्मोत्तर पुराण । श्रीमद्भागवत। 18 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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