SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 587
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हुए। 272 पुराणों के अनुसार (?) - वत्री आत्रेय । वश-अश्व । वसिष्ठ के भाई थे। अगस्त्य । शक्ति । 273 "द्वितीय बुद्ध" संज्ञा - असंग । वसुबन्धु । (?) को प्राप्त हुई थी। कुमारजीव । बुद्धघोष । 274 वसुबन्धु का - योगाचार । माध्यमिक। अभिधर्मकोश (?) वैभाषिक । शून्यवाद। मत का प्रमाण ग्रंथ है। 275 सांख्य-सप्तति के प्रणेता - ईश्वरकृष्ण । आसुरि। (?) है। विन्ध्यवासी । हरेरामशास्त्री शुक्ल। 276 "लघुभोजराज' उपाधि - वस्तुपाल । बालचंद्र। के धनी (?) थे। वीरधवल । नरेन्द्रप्रिय सूरि। 277 नरनारायणानन्द के - सोमेश्वर । वस्तुपाल। रचयिता महाकवि (?) हरिहर । यशोवीर । थे। 278 अष्टांगसंग्रह के - सौराष्ट्र । सिंधु । मालव । रचयिता वाग्भट का जन्म आन्ध्र । (?) देश में हुआ। 279 आयुर्वेद के ग्रंथों में - चरकसंहिता । अष्टांगसंग्रह सर्वाधिक टीका (?) अष्टांगसंग्रह। ग्रंथ पर है। शागधरपद्धति। 280 आयुर्वेद को विदेश में - वाग्भट । धन्वन्तरि । प्रतिष्ठा देने का कार्य शाईगधर । जीवक। (?) ने किया। 281 काव्यानुशासन एवं - वाग्भट । हेमचन्द्र। छन्दोनुशासन के लेखक विश्वनाभ । विद्याधरशास्त्री। (?) थे282 नेमिनाथ (?) थे। - तीर्थंकर । नाथपंथी। बौद्धपंडित । वीरवैष्णवा 283 वाचस्पति मिश्र ने (?) - न्याय । वैशेषिक। दर्शन छोड़कर अन्य सभी योग । सांख्य। दर्शनों पर टीकाएं लिखी है। 284 भामतीप्रस्थान के रचयिता - वाचस्पति मिश्र। (?) थे। मण्डनमिश्र। शोभाकर मिश्र उदयनाचार्य। 285 तात्पर्याचार्य एवं - वाचस्पति मिश्र । नागेशभट्ट षड्दर्शनीवल्लभ विश्वेश्वर भट्ट । हेमचंद्र सुरि उपाधियों के धनी (?) थे। 286 अभिनव-वाचस्पति मिश्र - विवादचिंतामणि। आचारका प्रमुख ग्रंथ (?) है। चिंतामणि । नीतिचिंतामणि । द्वैतचिंतामणि। 287 कामसूत्रकार वात्स्यायन - ब्रह्मचारी । गृहस्थ। (?) थे। संन्यासी । बौद्धभिक्षु 288 वात्स्यायन का कामसूत्र - 5/7/10/12 (?) अधिकरणों में विभक्त है। 289 वात्स्यायनभाष्य (?) - कामसूत्र । अर्थशास्त्र । पर लिखा है। न्यायशास्त्र । चाणक्यसूत्र 290 ज्ञानसूर्योदय वादिचंद्र का - दूतकाव्य । नाटक। जैनपुराणग्रंथ । महाकाव्य। 291 वादिराजतीर्थ का . तीर्थप्रबंध। सुप्रसिद्ध ग्रंथ (?) है। तत्त्वप्रकाशिका। सरसभारती-विलास। प्रमेय-संग्रह। 292 “स्याद्वादविद्यापति" - अकलंकदेव। उपाधि से (?) वादिराजसूरि। विभूषित थे। मतिसागरमुनि । वादीभसिंह। 293 वादिराजसूरि (?) के - एकीभावस्तोत्र । पठन से कुष्ठरोग से मुक्त भक्ताभरस्तोत्र । पार्श्वनाथचरित। अध्यात्माष्टक। 294 न्यायविनिश्चय के वादीभसिंह। लेखक (?) है। अकलंकदेव। वादिराजसूरि। धर्मकीर्ति। 295 काव्यालंकार सूत्र के - मंत्री । राजदूत । सेनापति । रचयिता वामन काश्मीर पुरोहित नरेश जयापीड के(?) थे 296 रीति संप्रदाय के प्रवर्तक - उद्भट । वामन । (?) थे भामह । मम्मट 297 काशिकावृत्ति की रचना - जयादित्य । उद्भट । वामन ने (?) के जयापीड । मम्मट। सहयोग से की 298 (?) वेमभूपाल के - भट्टात्रि । वामनभट्ट । राजकवि थे वासुदेव । विद्यानाथ। 299 वेमभूपालचरित (?) - गद्य । पद्य । चम्पू। ग्रंथ है खंडकाव्य। 300 यशोधरचरित विषयक - वासवसेन । प्रभंजन। प्राचीनतम ग्रंथ के पुष्पदन्त । गन्धर्वकवि। (?) लेखक है 301 वासुदेव दीक्षित की - सिद्धान्तकौमुदी। बालमनोरमा टीका (?) मध्यकौमुदी। लघुकौमुदी प्रक्रियाकौमुदी। 302 साहित्य के संगीतशास्त्र - कविचिन्तामणि । की चर्चा (?) ग्रंथ गीतगोविन्द । लक्ष्यसंगीत । 10 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy