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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुशील पति-पत्नी, समझदार श्वशुर परन्तु दुष्ट सास व ननद की कथा । पात्रों के नाम गुणानुसार हैं यथा- सास दुराशा, ननद दुर्ललित, अशुर सुशील, पति सुगुण तथा बहू सच्चरित्र नायिका सच्चरित्र सदैव पर्दे की आड में उसकी मानसिक प्रतिक्रियाएं अन्य व्यक्तियों के संवादों द्वारा प्रतीत होती हैं । I स्त्रीधर्मकमलाकर- ले. कमलाकरभट्ट । स्त्रीधर्मपद्धति- ले. त्र्यंबक । स्त्रीपुनरुद्वाह-खण्डनमालिका- ले. राघवेन्द्र । स्त्रीमुक्ति- ले. शाकटायन पाल्यकीर्ति जैनाचार्य। ई. 8 वीं शती । विषय स्त्रियों की मरणोत्तर मुक्ति संभव है या नहीं। स्त्रीवशीकरणम् श्लोक- लगभग 262| स्त्रीविलास ले. देवेश्वर उपाध्याय । स्पन्दकारिका (नामान्तर-स्पन्दसूत्र ) - ले. वसुगुप्त । उत्पल वैष्णव के मतानुसार वसुगुप्त से उपदेश प्राप्त कर कल्लट ने इसकी रचना की। स्पन्दकारिका - विवरणम् - ले. राजानक रामकण्ठ । स्पन्दनिर्णय ले क्षेमराज श्लोक 800 1 स्पन्दप्रदीप- ले. विद्योपासक भट्टारक स्वामी । स्पन्दप्रदीपिका ले. उत्पलदेव । - www.kobatirth.org स्पन्दशास्त्रम् - काश्मीर में प्रचलित शैवमत की एक शाखा । वसुगुप्त की स्पंदकारिका पर से इस शाखा का नाम स्पंदशास्त्र पडा । वसुगुप्त के शिष्य कल्लट इस शास्त्र के प्रथम आचार्य थे। उन्होंने उक्त ग्रंथ पर "स्पंदसर्वस्व" नामक टीका लिखी। यह एक अद्वैतवादी शास्त्र है जिसमें परमेश्वर पूर्ण स्वतंत्र तथा सर्वशक्तिमान् माना गया है जो अपनी इच्छाशक्ति से जगत् की उत्पत्ति करता है। आईने में जिस प्रकार प्रतिबिम्ब दिखाई देता है, उसी प्रकार परमेश्वर में भी सृष्टि का आभास होता है और प्रतिबिम्ब की भांति ही परमेशवर सदा अस्पृष्ट होता है । स्पन्दसन्दोह ले क्षेमराज । स्पन्दसर्वस्वम् ले कल्लट । - । स्पन्दसूत्रम् (या शिवसूत्र) सटिप्पण- ले. वसुगुप्त । टिप्पण के निर्माता अज्ञात | - स्फोटवाद ले. नागेशभट्ट । व्याकरण का दर्शनशास्त्रीय विवरण | स्फोटसिद्धि - ले. मंडनमिश्र । ई. 7 वीं शती (उत्तरार्ध) । विषय- वैयाकरणों का दर्शनशास्त्र । - स्मरदीपिका- ले. रुद्र विषय कामशास्त्र । (2) ले.मीननाथ। ई. 10 वीं शती । स्मार्तसमुच्चय-ले. - नन्दपण्डित । देवशर्मा के पुत्र । इन्होंने दत्तक-मीमांसा को अपना ग्रन्थ कहा है। स्मार्तप्रायश्चित्तविनिर्णय- ले. वेंकटाचार्य । 420 / संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्मार्तगंगाधरी- ले. गंगाधर । स्मार्तव्यवस्थार्णव- ले. रघुनाथ सार्वभौम । मधुरेश के पुत्र । 1661 62 ई. में राजा रत्नेश्वरराय के आदेश से प्रणीत तिथि, संक्रान्ति, आशौच, द्रव्यशुद्धि, अधिकारी, प्रायश्चित्त, उद्वाह एवं दाय नामक प्रकरणों में विभक्त । स्मार्तप्रायचित्तप्रयोग (या प्रायश्चित्तोद्धार) ले. दिवाकर काले। पिता- महादेव। यह कमलाकरभट्ट के बहन के पुत्र थे। समय- 17 वीं शती । - स्मार्तस्फुटपद्धति - ले. नारायण दीक्षित । स्मार्ताधानपद्धति- पीताम्बर । काश्यपाचार्य के पुत्र । ई. 17 वीं शती । स्मार्तमार्तण्ड प्रयोग- ले. मार्तण्ड सोमयाजी । स्मार्तप्रायश्चित्तोद्धार- ( अपरनाम - स्मार्त-प्रायश्चित्तप्रयोग या प्रायश्चित्तोद्धार । ले. दिवाकर। स्मार्तप्रयोग ले. बोपण्णभट्ट । स्मार्तप्रायश्चित्तम्- ले. तिप्याट्ट पिता रामभट्ट । स्मार्तप्रयोग (हिरण्यकेशीय)- टीका वैजयन्ती । स्मार्तपदार्थानुक्रमणिका- ले. द्वैपायनाचार्य स्मार्तानुष्ठानपद्धति- ले. अनन्तभट्ट । विश्वनाथ के पुत्र । इसे अन्तभट्टी भी कहा गया है। आश्वलायन के आधार पर लिखित । । स्मार्तोल्लास- ले.- शिवप्रसाद । श्रीनिवास के पुत्र | पुष्करपुरनिवासी मदनरल, टोडरानन्द का उल्लेख है। 1580 1680 ई. के बीच में रचित विषय आधानकाल, मुहूर्तविचार, अग्निहोत्री के कर्तव्यों एवं रजस्वला धर्म इत्यादि । स्मार्तसमुच्चय-ले. नंदपंडित । ई. 16-17 वीं शती । स्मृति- ले. शंकर मिश्र । ई. 15 वीं शती । स्मृतिकदम्ब ले केचे येल्लुभट्ट - स्मृतिकल्पद्रुम ले. ईश्वरनाथ शुक्ल टीका लेखकद्वारा । - - स्मृतिकोशदीपिका- ले. तिम्मण भट्ट। केवल आह्निक पर। स्मृतिकौमुदी - ले. रामकृष्ण भट्टाचार्य । - (2) ले. देवनाथ ठकुर विषय चातुर्वर्ण्य के आचार, आह्निक संस्कार, श्राद्ध, अशौच, दायभाग, व्रत, दान एवं उत्सर्ग। यह निबन्ध ग्रंथ है। - I (3) ले. - मदनपाल । इसे शूद्रधर्मोत्पलद्योतिनी भी कहते हैं। स्मृतिकौस्तुभ ले. अनंतदेव ई. 17 वीं शती पिता- आपदेव । 12 दीधितियों में विभक्त । (2) ले. वेंकटाद्रि । स्मृतिग्रन्थराज ले सार्वभौम । For Private and Personal Use Only स्मृतिचन्द्र- ले. भवदेव न्यायालंकार । हरिहर के पुत्र । 1720-22 ई. में प्रणीत 16 कलाओं में विभाजित यथा- तिथि, व्रत, संस्कार, आह्निक, श्राद्ध, आचार, प्रतिष्ठा, वृषोत्सर्ग, परीक्षा,
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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