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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सखलेखनम् - ले.- भरत मल्लिक। ई. 17 वीं शती। संस्कृत रचना हेतु सुबोध मार्गदर्शिका । सुखावतीव्यूह - महायानी बौद्धों का एक सूत्र ग्रंथ। इसमें अमिताभ बुद्ध की महिमा गायी गई है। इस सूत्र के दो संस्करण उपलब्ध हैं जिनमें एक बडा व दूसरा छोटा है। दोनों में काफी भिन्नता के बावजूद दोनों संस्करणों में अमिताभ बुद्ध के सुखावती नामक स्वर्ग की महत्ता प्रतिपादित की गयी है। सुगतिसोपान - ले.- गणेश्वर मंत्री। देवादित्य के पुत्र। यह चण्डेश्वर के चाचा थे। लेखक ने अपने को महाराजाधिराज कहा है और लिखा है कि वह देवादित्य सांधि-विग्रहिक (अपने पिता) से सहायता पाता था। ई. 14 वीं शताब्दी के प्रथम चरण के लगभग प्रणीत ।। सुगन्धदशमीकथा - ले.- श्रुतसागरसूरि। जैनाचार्य। ई. 16 वीं शती। सुग्रीवतंत्रम् (विषतंत्र) - योगरत्नावली का आकर ग्रंथ। सुग्रीववशीकरणविद्या - विषय- मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तंभन आदि के संबंध में सुग्रीव तथा अन्य देवताओं के मंत्र। सुजनमनःकुमुदचन्द्रिका - अनुवादक- तिग्मकवि। मूल रसिकजनमनोभिराम नामक तेलगु कथासंग्रह तिग्मकवि के पितामह द्वारा लिखित। विषय- शिवभक्ति का महत्त्व। सुज्ञानदुर्गोदय - ले.- विश्वेश्वर, (गागाभट्ट)। दिनकर भट्ट के पुत्र । विषय- 16 संस्कार। 1675 ई. के लगभग प्रणीत । सुदर्शनकालप्रभा - ले.- रामेश्वरशास्त्री। सुदर्शनचक्रम् - रुद्रयामलान्तर्गत । श्लोक- 110। सुदर्शनचरितम् - ले.- सकलकीर्ति। जैनाचार्य। ई. 14 वीं शती। पिता- कर्णसिंह माता- शोभा। 8 सर्ग। जैनमुनि सुदर्शन का चरित्र। सुदर्शनचरित - ले.- विद्यानन्दी। जैनाचार्य। ई. 15-16 वीं शती। 1362 श्लोक। सुदर्शनभाष्यम् - आपस्तम्ब-गृह्यसूत्र पर सुदर्शनाचार्य की टीका। भट्टोजी के चतुर्विंशति व्याख्यान में तथा निर्णयसिंधु में वर्णित । रचना- 1550 ई. के पूर्व । टीका अनाविला, ब्रह्मविद्यातीर्थ द्वारा लिखित। सुदर्शनमीमांसा - ले.- धानुष्कयज्वा। ई. 13 वीं शती। सुदर्शनसंहिता - उमा-महेश्वर- संवाद रूप। पूर्व और उत्तर खण्डों में विभक्त। उत्तर खण्ड में श्लोक- 2689। पटल-12 विषय-1-2 पटलों में राज्यप्राप्ति, विजयप्राप्ति, वशीकरण आदि के विषय में मंत्रोद्धार आदि का निरूपण। तीसरे में दत्तात्रेय, हनुमान् तथा सुदर्शन के मंत्रों का निरूपण। 4 थे में पूजाविधि, मंत्र, संध्या आदि, अन्तर्यागविधि। 5 वें में विषय रूप से बहिर्याग विधि का प्रतिपादन, 6 वें में वर्ण, चक्र, न्यास आदि का निरूपण। 7 वें पटल में कवच, न्यास आदि का निरूपण। 8 वें में विविध प्रकार के भिन्न-भिन्न मंत्रों का निरूपण, मंत्र सिद्धि का लक्षण तथा उसके उपायों का प्रतिपादन। 9 वें में जप, होम, तर्पण, मार्जन, तथा ब्राह्मणभोजन रूप पंचाग पुरश्चरण का विस्तार। 10 वें पटल में दूसरे के चक्र के निवारण के लिए उपाय कथन। 11 वें में विजयपताका यंत्र निरूपणपूर्वक कवच के परिमाण आदि का निरूपण एवं 12 वें पटल में दीपदान, महादीपदान, रक्षा न्यास आदि की विधियां वर्णित हैं। सुदर्शना (तंत्रराज की व्याख्या) ले.- प्रेमनिधि पंत । श्लोक66821 सुदामचरितम् - ले.-श्रीनिवास । सुधर्मा - संस्कृतभाषा का यह (तीसरा) दैनिक पत्र, जुलाई 1970 से वरदराज अयंगार के सम्पादकत्व में (561, रामचन्द्र अग्रहार) मैसूर से प्रकाशित किया जा रहा है। इसका वार्षिक मूल्य 24 रु. है। इस पत्र में सरल संस्कृत में देश-विदेश के संक्षिप्त समाचारों के अलावा धार्मिक व वैज्ञानिक निबन्ध तथा बाल साहित्य का प्रकाशन किया जाता है। सुधर्माविलास - ले.- बघेलखण्ड के अधिपति रघुराजसिंह । 88 पृष्ठों में प्रकाशित। इसमें 17 उल्लास और 850 श्लोक हैं। यह मूलतः दर्शन-ग्रंथ है। सुधाक्षरी (उपन्यास) - ले.- प्रधान वेंकप्प। श्रीरामपुर के निवासी। सुधातरंगिणी - ले.-शक्तिवल्लभ भट्टाचार्य। सुधालहरी - (पीयूषलहरी या गंगालहरी) ले.- जगन्नाथ पण्डितराज। ई. 16-17 वीं शती। पिता- पेरुभट्ट। विषयगंगास्तुति। अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्र । सुधाविलोचनम् - ले.-वैदिकसार्वभौम । सुनीतिकुसुममाला - अनुवादक- अप्पा बाजपेयी। मूल-तमिल कवि तिरुवल्वार का तिरुक्कुरल काव्य। के.व्ही. सुब्रह्मण्य शास्त्री की टीका सहित ई. 1927 में प्रकाशित । सुन्दरदामोदरम् - ले.-लोलम्बराज । सुन्दरप्रकाश शब्दार्णव - ले.- पद्मसुन्दर । यह एक शब्दकोष है। सुन्दरकल्प - सुन्दरी देवी की पूजा पर यह तांत्रिक निबन्ध है। सुन्दरीपद्धति - श्लोक- 612। सुन्दरीपूजारत्नम् - ले.-श्रीबुद्धिराज। पिता- व्रजराज दीक्षित । नानाविध सम्मत तंत्रों का अवगाहन कर यह त्रिपुरार्चन की विधि शकाब्द 1843 में रची गई। सुन्दरीमहोदय (या त्रिपुरसुन्दरीमहोदय) - ले.-शंकरानन्दनाथ कविमण्डल शम्भु। गुरु- रामानन्दनाथ (या रामानन्द सरस्वती) उल्लास- 5) श्लोक 3000। ज्ञानार्णव से संबद्ध विषय दीक्षाविधि, उपोद्धात, न्यासादि खण्ड, नित्य पूजाविधि, विविध 412 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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