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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपत्तियां, संकट आदि निवृत्त होते हैं। विशेष प्रसिद्ध है। सर्वगन्धा - प्रारम्भ सन् 1977 में। संपादक- डा. वीरभद्र सर्वपुराणार्थसंग्रह - ले.- वेंकटराय। मिश्र। सहायिका- श्रीमती अनीता। कार्यालय- माईजी का मंदिर सर्वपुराणमार - ले.-शंकरानन्द । अशरफाबाद, लक्ष्मणपुर (लखनऊ)। उपहासपूर्ण लेख तथा सर्वप्रायश्चित्तप्रयोग - ले.- बालशास्त्री (या बालसूरि) । पिताकविताएं इस मासिक पत्रिका की विशेषताएं हैं। शेषभट्ट कागलकर। तंजौरराज शरभोजी भोसले के आदेश पर सर्वसिद्धिकारिका - ले.- कल्याणरक्षित। ई. 9 वीं शती। लिखा गया ग्रंथ। (2) ले.- अनन्तदेव। विषय- बौद्ध दर्शन । तिब्बती अनुवाद उपलब्ध। सर्व-मंगलमन्त्रपटलम् - रुद्रयामल के अन्तर्गत । सर्वज्ञसूक्तम् - ले.- विष्णुस्वामी। वैष्णव संप्रदाय-चतुष्टयी में चण्डीसर्वस्वान्तर्गत भी कहा गया है। श्लोक- 168 । समाविष्ट रुद्र-संप्रदाय के एकमात्र मुख्य प्रवर्तक। विष्णुस्वामी सर्वमन्त्रोत्कीलन-शापविमोचनस्तोत्रम् - शिवरहस्यान्तर्गत । की विपुल ग्रंथसंपदा में "सर्वज्ञसूक्त" ही ऐसी रचना है जो श्लोक- 162। प्रमाण-कोटि में स्वीकृत की गई है। श्रीधरस्वामी ने अपनी सर्वमन्त्रोपयुक्त-परिभाषा - ले.- स्वामिशास्त्री। प्रपंचसारसंग्रह रचनाओं में इस प्रथ का अत्यधिक उपयोग किया है। भागवत से नवीन संग्रह । श्लोकसंख्या- Acco: की श्रीधरी टीका में विष्णुस्वामी के कतिपय सिद्धांतों का भी आभास मिलता है। विष्णु स्वामी के ईश्वर सच्चिदानंद-स्वरूप सर्वशास्त्रार्थनिर्णय - ले.- कमलाकर । हैं और वे अपनी लादिनीसंवित्" के द्वारा आश्लिष्ट हैं तथा सर्वसंमोहिनीतंत्रम् - श्लोक- 288 । भाया उन्हीं के आधीन रहती है। सर्वसंवादिनी - ले.- जीव गोस्वामी। चैतन्य मत के एक सर्वज्ञानोत्तरम् . विषय- तंत्रशास्त्र। ग्रन्थ के विद्यापाद में । मूर्धन्य आचार्य। 16 वीं शती। लेखक ने अपने ही षट्संदर्भ निम्नलिखित प्रकरण हैं : त्रिपदार्थविचार-शिवानन्द, साक्षात्कार नामक ग्रंथ पर लिखी हुई यह पांडित्यपूर्ण व्याख्या है। षट्संदर्भ, प्रकरण, भूतात्मप्रकरण, अन्तरात्मप्रकरण, तत्त्वात्मप्रकरण, भागवत-विषयक 6 प्रौढ निबंधों का उत्कृष्ट समुच्चय है। मन्त्रात्मप्रकरण, परमात्मप्रकरण। इस पर शिवाग्रयोगीन्द्र शैवाचार्य सर्वसाम्राज्यमेधानाम-सहस्त्रकम् - यह कालीरूप नकारात्मक की टीका है। सहस्रनाम स्तोत्र है। श्लोक- 1831 सर्वज्वरविपाक - रुद्रयामलान्तर्गत। शिव-पार्वती संवाद रूप। सर्वसार - ले.- विष्णुचन्द्र। पुराण और तन्त्रों से उद्धरण पटल-8। विषय- विविध प्रकार के ज्वरों की चिकित्सा और लेकर इस ग्रन्थ का निर्माण हुआ है। श्लोक- 52672 । निवृत्ति के उपाय निर्दिष्ट हैं। विषय- रुक्मिणी-श्रीकृष्ण के अष्टोत्तर सहस्रनाम, युगलस्तोत्र, सर्वतीर्थयात्राविधि - ले.- कमलाकर । सरस्वतीस्तोत्र, पंचवक्रशिवस्तोत्र, बगलामुखी-शतनाम, सर्वतोभद्रचक्र-टीका - ले.- गौरीकान्त चक्रवर्ती। विषय- प्रतिमालक्षण, नृत्येश्वररूपवर्णन, अर्धनारीश्वररूपवर्णन, तन्त्रोक्त सर्वतोभद्रचक्र आदि की व्याख्या । उमा-महेश्वररूप वर्णन, शिवनारायण, नृसिंह तथा त्रिविक्रम का सर्वधर्मप्रकाश - ले.- नीलकंठ। ई. 17 वीं शती। पिता- रूपवर्णन, ब्रह्मा, कार्तिकेय, गणेश,दशभुजादेवी, इन्द्र, प्रभाकर, शंकरभट्ट। (2) ले.. शंकरभट्ट। पिता- नारायणभट्ट। वह्नि, यम, वरुण, वायु, कुबेर आदि का रूपवर्णन, ब्राह्मी सर्वधर्मप्रकाशिका - ले.- वल्लभकष्ण। ई. 19 वीं शती। आदि मातृकाओं तथा लक्ष्मी का रूप वर्णन इ. रामभक्ति पर ग्रंथ। 42 श्लोकों में पूर्ण । विषय- विभिन्न मासों . सर्वसारनिर्णय - श्लोक- 2001 एवं तिथियों में मदनोत्सव (चैत्र द्वादशी) (आषाढ शुक्ल सर्वसारसंग्रह - ले.- भट्टोजी। द्वादशी पर) क्षीराधिशयनोत्सव, मुद्राधारणविधि, सर्वस्मृतिसंग्रह - ले.- ले. सर्वऋतु वाजपेययाजी। चातुर्मास्यव्रतविधि जैसे उत्सव। सर्वस्व - ले.- सर्वानन्द। अमरकोश की व्याख्या । सर्वदर्शनभाष्यम् - ले.- कपाली शास्त्री। गुरु-गणपति मुनि सर्वागमसार - विषय- गुरु-शिष्य के लक्षण के साथ दीक्षा के ग्रंथ पर भाष्य। का प्रतिपादन तथा साथ ही मन्त्रों के 10 संस्कार, न्यास, सर्वदेवप्रतिष्ठा - ले.- पद्मनाभ । श्लोक- 11201 जप, होम और मुद्राओं का वर्णन इ. भी प्रतिपादित हैं। सर्वदेवप्रतिष्ठा-पद्धति - ले.- त्रिविक्रम । श्लोक- 25001 सर्वागसुन्दरम् - ले.- अरुण दत्त (इ. 12 वीं शती) वाग्भट सर्वदेवप्रतिष्ठाप्रयोग - ले.- माधवाचार्य । कृत "अष्टांगहृदय" पर भाष्य। विजयरक्षित (श. 13) द्वारा सर्वदेवप्रतिष्ठाविधि - ले.- रामचन्द्र दीक्षित के एक पुत्र । अरुण दत्त के मतों का खण्डन किया गया है। सर्वदेशवृत्तान्तसंग्रह - ले.- महेश ठक्कुर । अकबर बादशाह सर्वांगसुन्दरी (प्रयोगसार की व्याख्या) - ले.- देवराजगिरि। के आश्रित मिथिलानरेश। यह ग्रंथ "अकबरनामा' नाम से श्लोक - 18751 पटल- 541 संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 393 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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