SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 372
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उध्दृत) इसमें निर्णय हुआ है कि आधुनिक राजकुमार उपनयन सम्पादन के अधिकारी नहीं है। चौखम्भा संस्कृत सीरीज द्वारा प्रकाशित । व्रात्यस्तोमपद्धति - ले. माधवाचार्य। इसमें 'व्रात्य' का अर्थ है "पतितसावित्रीकः" कहा है। व्यक्तिविवेक ले. आचार्य महिमभट्ट । रचना का उद्देश्य आनंदवर्धन के "ध्वन्यालोक" में प्रतिपादित ध्वनिसिद्धांत का खंडन ग्रंथ के मंगलाचरण में ही भट्टी ने अपने विमर्श में ध्वनि की परीक्षा करते हुए "ध्वन्यालोक" के प्रतिपादन में 10 दोष प्रदर्शित किये गए है। ग्रंथकर्ता ने वाच्य तथा प्रतीयमान अर्थ का उल्लेख कर प्रतीयमान अर्ध को अनुमितिग्राहा सिद्ध किया है। महिमभट्ट ने ध्वनि की तरह अनुमिति के भी 3 भेद किये है- वस्तु, अलंकार व रस। द्वितीय विर्मश में शब्ददोषों पर विचार कर ध्वनि के लक्षण में प्रक्रमभेद तथा पुनरुक्ति आदि दोष दिखाये गए हैं। तृतीय विर्मश में ध्वन्यालोक के उन उदाहरणों को अनुमान में गतार्थ किया है जिन्हें "ध्वन्यालोककार ने ध्वनि का विशिष्ट उदाहरण माना है । प्रस्तुत ग्रंथ का मुख्य प्रतिपाद्य है- "ध्वनि या व्यंग्यार्थ का खंडन कर परार्थानुमान में उसका अंतर्भाव करना" । "व्यक्तिविवेक" संस्कृत काव्यशास्त्र का अत्यंत प्रौढ ग्रंथ है, जिसके पद पद पर उसके रचयिताका प्रगाढ अध्ययन एवं अद्भुत पांडित्य दिखाई देता है। इस पर राजानक रूय्यक कृत "व्यक्तिविवेकव्याख्यान" नामक टीका प्राप्त होती है, जो द्वितीय विमर्श तक ही है। इस पर पं. मधुसूदन शास्त्री ने "मधुसूदनी" विवृति लिखी है, जो चौखंबा विद्याभवन से प्रकाशित हुई है। इसका हिंदी अनुवाद डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी ने किया है, जिसका प्रकाशन 1964 ई. में चौखंबा विद्याभवन से हुआ है। व्यंजनानिर्णय ले. नागेशभट्ट - व्यतिषंगनिर्णय ले. रघुनाथभट्ट । व्यतिपातजननशांति www.kobatirth.org ले. कमलाकरभट्ट । व्यवस्थादर्पण ले. आनन्दशर्मा। रामशर्मा के पुत्र । विषयतिथिस्वरूप, मलमास, संक्राति आशौच, श्राद्ध, दायानधिकारी, दायविभाग आदि । - - - व्यवस्थादीपिका ले. राधानाथ शर्मा विषय आशौच । व्यवस्थानिर्णय विषय तिथि, संक्रान्ति, आशौच द्रव्यशुद्धि. प्रायश्चित्त, विवाह, दाय इत्यादि । - व्यवस्थारत्नमाला के पुत्र । विषय- दायभाग, स्त्रीधन, दत्तकव्यवस्था इत्यादि । 10 गुच्छों में पूर्ण । इसमें मिताक्षरा एवं विधानमाला का उल्लेख है । व्यवस्थार्णव ले. रघुनन्दन। विषय पूर्वक्रय । राय राघव के आदेश पर लिखित । ले. लक्ष्मीनारायण न्यायालंकार। गदाधर व्यवस्थासंक्षेप ले. गणेशभट्ट । व्यवस्थासंग्रह - गणेश भट्ट । विषय- प्रायश्चित्त, उत्तराधिकारी आदि । - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 2) ले. महेश विषय आशौच, सपिण्डीकरण, संक्रातिविधि, दुर्गोत्सव, जन्माष्टमी, आह्निक, देवप्रतिष्ठा, दिव्य, दायभाग, प्रायश्चित्त इत्यादि । व्यवस्थासारसंग्रह- ( नामान्तर व्यवस्थासारसंचय) ले.नारायणशर्मा। विषय- आशौच, दायभाग, दत्तक, श्राद्ध, इत्यादि । 2) ले रामगोविंद चक्रवर्ती मुकुन्द के पुत्र विषयतिथिसंक्रांति अन्येष्टि, आशौच आदि । 3) ले. महेश व्यवस्थासेतु ले ईश्वरचंद्र शर्मा व्यवहारकल्पतरु - ले.- लक्ष्मीधर । (कल्पतरु ग्रंथ का अंश) । व्यवहारचन्द्रोदय- कीर्तिचन्द्रोदय का भाग। न्यायसंबंधी विधि एवं विवादपदों पर विवेचन । व्यवहारचमत्कार- ले. रूपनारायण। पिता भवानीदास । विषय- गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन आदि संस्कार, विवाह यात्रा, मलमासनिर्णय से संबंधित फलित ज्योतिष । व्यवहारचिन्तामणि- ले. वाचस्पति । व्यवहारतत्त्वम्- ले. नीलकण्ठ। ई. 17 वीं शती । पिताशंकरभट्ट । यह ग्रंथ व्यवहारमयूख और दत्तकनिर्णय नामक प्रस्तुत लेखक के ग्रंथों की संक्षिप्त आवृत्ति ही माना जाता है। 2) ले. रघुनंदन 3) ले. भवदेव भट्ट । व्यवहारदर्पण ले रामकृष्णभट्ट विषय राजधर्म, साक्षी, जयपत्र आदि । 2) ले अनन्तदेव याज्ञिक विषय व्यवहार, विवादपद, प्रतिवाद, साक्षिसाधन, स्वामित्व आदि । व्यवहारकमलाकर ले. कमलाकर । रामकृष्ण के पुत्र । यह धर्मतत्त्व ग्रंथ का सातवां प्रकरण है। - For Private and Personal Use Only व्यवहारकोश ले. वर्धमान तत्वामृतसारोद्धार का एक भाग । मिथिला के राजा राम के आदेश से ई. 15 वीं शताब्दी . उत्तरार्ध में प्रणीत । - व्यवहारकौमुदी - ले. सिद्धान्तवागीश भट्टाचार्य । व्यवहारदशलोकी (या दायदशक) ले. श्रीधरभट्ट । व्यवहारदीधिति - राजधर्मकौस्तुभ का एक अंश । व्यवहारनिर्णय ले. मयाराम मिश्र गौड । काशीनिवासी । जयसिंह के आदेश से लिखित न्यायविधि एवं व्यवहारपदों पर विवेचन । 2) ले. वरदराज । बर्नेल द्वारा अनुवादित | संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 355
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy