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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुहूर्तभूषणटीका - ले.- रामदत्त । मुहूर्तभैरव - ले.- दीनदयालु पाठक । मुहर्तमंजरी - ले.- यदुनन्दन पण्डित। चार गुच्छों एवं 101 श्लोकों में पूर्ण। मुहूर्तमणि - ले.-विश्वनाथ । मुहर्तमाधवीयम् - ले.-सायण या माधवाचार्य का कहा गया है। मुहूर्तमार्तण्ड - ले.- नारायणभट्ट। पिता- अनन्त । देवगिरि (आधुनिक दौलताबाद (महाराष्ट्र) निवासी। सन 1572 में लिखित। शार्दूलविक्रीडित श्लोक संख्या- 160। लेखक द्वारा मार्तण्डवल्लभ नामक टीका लिखित । सन 1861 में मुंबई में प्रकाशित। मुहूर्तमार्तण्ड - ले.-नारायणभट्ट। ई. 16 वीं शती। पितारामेश्वरभट्ट। मुहूर्तमाला - ले.- रघुनाथ। शाण्डिल्यगोत्री। चित्तपावन ब्राह्मण जातीय सरस के पुत्र । सन 1878 में रत्नागिरि में मुद्रित।। मुहूर्तमुक्तावली - ले.-श्रीकण्ठ। 2) ले.- श्री हरिभट्ट। 3) ले.- देवराम। 4) ले.- भास्कर। 5) ले.- लक्ष्मीदास । गोपाल के पुत्र। 6) ले.- काशीनाथ । मुहूर्तरचना - ले.-दुर्गासहाय । मुहूर्तरत्नम् - ले.- ईश्वरदास । ज्योतिषराय के पुत्र। ग्रंथ का अपरनाम "मुहूर्तरत्नाकर" है। 2) ले.- गोविन्द 3) ले.रघुनाथ। 4) ले.- शिरोमणिभट्ट । मुहर्तरत्नमाला - ले.- श्रीपति। टीका- लेखकद्वारा । मुहूर्तराज - ले.-विश्वदास। मुहूर्तशिरोमणि - ले.- धर्मेश्वर । रामचंद्र के पुत्र । मुहूर्तसिद्धि - ले.- नागदेव। 2) ले.- महादेव। मुहूर्तसिन्धु - ले.-मधुसूदन मिश्र। लाहोर में मुद्रित । मुहूर्तस्कन्ध - ले.- बृहस्पति। मुहूर्तालंकार - ले.- गंगाधर । भैरव के पुत्र । सन 1633 में लिखित। 2) ले.- जयराम । मूर्खहा - विषय- संकल्पवाक्य, नान्दिश्राद्ध, तिथिश्राद्ध, तिथिव्यवस्था, एकोद्दिष्टकालव्यवस्था, श्राद्धव्यवस्था, गोवधादिप्रायश्चित्त, व्यवहारदायादिव्यवस्था, विवाहनक्षत्रादि । मूर्तिलक्षणम् - श्लोक- 650 । पार्थिवलिंग-पूजाविधान पर्यन्त । मूल्यनिरूपणम् - ले.-गोपाल। मूलशान्ति - ले.-शिवप्रसाद। श्लोक- 1501 मूलशान्तिविधि - ले.-मधुसूदन गोस्वामी। मूलप्रकाश - ले.- प्रेमनिधि पन्त । मूलमाध्यमिककारिकावृत्ति - ले.- स्थिरमति। नागार्जुनकृत माध्यमिककारिका की टीका। मूलाचारप्रदीप - ले.-सकलकीर्ति । जैनाचार्य । पिता- कर्णसिंह । माता- शोभा । ई. 14 वीं शती। अधिकार नामक 12 अध्याय । मूलाविद्यानिरास - ले.-वाय. सुब्बाराव। चतुर्थाश्रम स्वीकार करने पर लेखक का नाम सच्चिदानंद सरस्वती हुआ। उन्होंने शंकराचार्य के अध्यासभाष्य पर 'सुगम' नामक विवेचक निबंध लिखा है। मूल्याध्याय - ले. कात्यायन । मृगाङ्कलेखा (नाटिका) - रचयिता- विश्वनाथ देव। रचनाकाल- सन 16071 काशीविश्वनाथ के महोत्सव में अभिनीत। अंगी रस शृंगार। वैदर्भी रीति। अन्योक्ति तथा अनुप्रास का प्रचुर प्रयोग। शार्दूलविक्रीडित और स्रग्धरा का अधिक प्रयोग। वसन्ततिलका तथा मालिनी का क्रमांक उनके बाद आता है। नीच पात्रों के मुख से भी यत्र तत्र संस्कृत पद्यों की योजना है। सरस्वतीभवन प्रकाशनमाला में प्रकाशित । कथासार- कलिङ्ग के राजा कपूरतिलक, कामरूप की राजकुमारी मृगाकलेखा को देख काममोहित हो जाता है। दानव शंखपाल नायिका मृगाङ्कलेखा को तिरस्करिणी प्रयोग द्वारा अपहृत करना चाहता है, परन्तु योगिनी की सहायता से नायक उसे अन्तःपुर में ले जाता है। शंखपाल नायिका का पिण्ड नही छोडता। वह उसका अपहरण करके कालीमन्दिर में प्रणय निवेदन करने ही वाला है, कि वहा नायक पहुंचता है और शंखपाल को भगा देता है। अन्त में नायक-नायिका का विवाह सम्पन्न होता है। मृगेन्द्रटीका (मृगेन्द्रवृत्ति)- ले.-भट्ट नारायणकण्ठ। पिता- या गुरु- विद्याकण्ठ। श्लोक- 32201 मृगेन्द्रतन्त्र - इसपर अघोरशिवाचार्य विरचित मृगेन्द्रवृत्तिदीपिका टीका है। टीका के नाम से ज्ञात होता है कि दीपिका नारायणकण्ठ कृत टीका पर टीका है। मृगेन्द्रतन्त्रविवृत्ति -श्लोक - 3751 मृगेन्द्रवृत्तिदीपिका - अघोरशिव कृत नारायणी वृत्ति की व्याख्या। मृगेन्द्रोत्तर • श्लोक- 1750। पटल- 271 विषय- शिवजी की पूजा तथा महिमा । इस पर नारायणकण्ठ भट्ट कृत टीका है। मृच्छकटिकम् - महाकवि शूद्रक-विरचित सुप्रसिद्ध प्रकरण । इसमें चारुदत्त एवं वसंतसेना नामक वेश्या का प्रणय-प्रसंग, 10 अंकों में वर्णित है। प्रथम अंक में प्रस्तावना के पश्चात् चारुदत्त के निकट उसका मित्र मैत्रेय (विदूषक) अपने अन्य मित्र चूर्णवृद्ध द्वारा दिये गये जातीकुसुम से सुवासित उत्तरीय लेकर जाता है । चारुदत्त उसका स्वागत करते हए उत्तरीय ग्रहण करता है। वह मैत्रेय को रदनिका दासी के साथ मातृ-देवियों को बलि चढाने के लिये जाने को कहता है, पर वह प्रदोष-काल में जाने से भयभीत हो जाता है। चारुदत्त उसे ठहरने के लिये कह कर पूजादि कार्यों में संलग्न हो संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 275 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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