SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 270
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वीरगणेश, लक्ष्मीगणेश, शक्तिगणेश, हरिद्रागणेश के मंत्र आदि का निरूपण 2) वाग्वादिनी, हंसवागीश्वरी, बाला, भैरवी, कामेश्वरी, राजमातंगी के मन्त्र आदि का प्रतिपादन । 3) भुवनेश्वरी, दुर्गा, जयदुर्गा, लक्ष्मी अन्नपूर्णा के मंत्र आदि। 4) अश्वारूढा, गौरी, ज्येष्ठ लक्ष्मी, वहितवासिनी, शिवदूती, त्रिकण्टकी, बगलामुखी के मंत्र आदि । 5) उग्रतारा, दक्षिणाकालिका, धूमावती, भद्रकाली, महाकाली, उच्छिष्टचाण्डालिनी, धनदयक्षिणी, के मन्त्र आदि । 6) वराह, सुदर्शन, पुरुषोत्तम से मंत्र कथन। 7) हृषीकेश, श्रीधर, नृसिंह, राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान् आदि के मन्त्र आदि । 8) गोपाल, कामदेव, कार्तवीर्यार्जुन, सूर्य, चंद्र आदि के मंत्र । अघोर, नीलकण्ठ, क्षेत्रपाल, 9) शिव- दक्षिणामूर्ति, मृत्युजंय बटुक आदि के मन्त्र । www.kobatirth.org - मन्त्रचिन्तामणि 1) बटुक भैरव - मन्त्रविधान वर्णित । श्लोक- 9321 विषय बटुक भैरव के मन्त्र, ऋषि, देवता, छन्द आदि का वर्णन, पुरश्चरण, पुरश्चरण-प्रयोग, मंत्र-संन्ध्या आदि, गावत्री आदि वहिमनुका आदि का निरूपण, सिंहबीजन्यास आदि कथन, विशेष अर्ध्य स्थापन की विधि, प्रमेय आदि आवरण देवों की पूजा, रुद्राक्षमालाभिमन्त्रविधि, बलिदानविधि, सात्त्विक और राजस भेद से बलि के दो प्रकार, लक्षण आदि कथा, दीपदान विधि, आकर्षण, विद्वेषण आदि कर्मो में दीप के लिए घृत, तेल आदि के भेद का कथन, धारण मन्त्र के लक्षण, सात्त्विक ध्यान कथन, अनन्तर राजसध्यान कथन, जन्ध्या की चिकित्सा, प्रज्ञाप्राप्ति के निमित्त औषधि, आपदुद्धरण आदि । मंत्रचिन्तामणि - ले. (१) ले दामोदार पण्डित पितागंगाधर। श्लोक - 696 नौ पीठिकाओं में पूर्ण । विषय- मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण तथा विपत्ति से मोचन करानेवाले विविध प्रकार के मंत्रों का वर्णन। 2) ले - शिवराम शुक्ल । श्लोक- 189। 3 ) ले आदिनाथ । 4 ) ले नित्यनाथ। 5 ) ले- नृसिंहाचार्य । 6 ) ले शिवराम । मंत्रचिन्तामणि ले. - ( नामान्तर मंत्रराजागमशास्त्र) श्यामाचार्य । श्लोक- लगभग 1440 लिपिकाल- 1831 वि. मंत्रचिन्तामणि ( वश्याधिकार मात्र) हर-गौरी संवादरूप | विषय- महामोहनमंत्र, राजमोहनमंत्र, मृत्युंजय मंत्र, शत्रुस्वानुकूलकर मंत्र, क्रोधशमन मन्त्र, स्वीसौभाग्यकर मंत्र, स्त्रीवश्यकर मंत्र, मदनमर्दन मंत्र, कामराजमंत्र 1 - - - मंत्रदर्पण ले. वागीश्वर शर्मा । श्लोक- 10238 । मंत्रदीपिका ले. - श्रीकृष्ण शर्मा । श्लोक - 1362 । मंत्रदेवप्रकाशिका - ले. श्रीविष्णुदेव । पितामह- परमाराध्य । पिता- लक्ष्मीधरसूरि । पटल- 321 श्लोक- 1161 विषय दीक्षा, होम तथा अन्यान्य तान्त्रिक विधियां, विविध देवियों की पूजा और मंत्र । मंत्रपद्धति ले. श्रीदत्त । श्लोक- 2001 कल्प-7। विषयभूतशुद्धि, विविध प्रकार के न्यास, पुरश्चरण, दीक्षा और विभिन्न वैष्णवी देवियों की पूजा । (2) ले सोमनाथ । मंत्रपारायणम् श्लोक- 160। इसमें त्रिपुरोपनिषद् भी सम्मिलित है। - मंत्रपारायणप्रयोग ले. बुद्धिराज श्लोक- 5261 मंत्रपुरश्चरणम् ले गोविन्द कविकंकण । मंत्रप्रकाश ले. सोमनाथ भट्ट । विषय- शाबर मंत्रों की साधना । मंत्रप्रदीप 1) ले. आगमाचार्य हरिपति । पिता रुचिपति । श्लोक- 4640 पटल - 15 विषय- दीक्षा की आवश्यकता, सिद्ध आदि मंत्रों का निर्णय, अकडमादिचक्रविधि, नाडीविधि, राशिचक्र, नक्षत्रचक्र, ऋणधन जिज्ञासा, कुल, अकुल आदि का विचार, मंत्रों के बालादि भेद, मंत्र-संस्कार दीक्षा का समय, देश, गुरु, शिष्य आदि का निरूपण, दीक्षाविधि ग्रहणकाल आदि की दीक्षा, नवग्रहोमविधि, वागीश्वरी, भुवनेश्वरी, नित्या, दुर्गा, बाला, गणेश, चन्द्र, कार्तिकेय आदि के मंत्र, सर्वदेवता-प्राणप्रतिष्ठा, प्रशस्त आसन, श्रीकण्ठादि न्यास, मालाद्रव्य, जपविधि, माला - संस्कार, त्रिशक्ति पूजा, छिन्नमस्ता, उग्रतारा, उच्छिष्ट- चाण्डाली के पूजन आदि कथन, सुन्दरी तथा त्रिपुरसुन्दरी की पूजाविधि, नवदुर्गा पूजाविधि आदि 2) ले काशीनाथ भट्टाचार्य श्लोक1207 I परिच्छेद- 4 | विषय- मंत्रार्थ, मंत्रचैतन्यकरण, योनिमुद्रानिरूपण इ. मंत्रार्थ - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only - मंत्र- ब्राह्मणम् ( सामवेदीय) इस ब्राह्मण में दो प्रपाठक है। प्रत्येक प्रपाठक में 8 खण्ड हैं। इसमें भिन्न भिन्न वेदों से लिए गए मंत्रों का संग्रह है। कौथुम शाखा के सब ब्राह्मण छान्दोग्य ब्राह्मण के सामान्य नाम से पुकारे जाते हैं, पर इस ब्राह्मण को विशिष्ट रूप से छान्दोग्य - ब्राह्मण कहते हैं। कुछ अभ्यासकों का तर्क है कि पंचविंश, षडविंश, मंत्र ब्राह्मण और छान्दोग्य उपनिषद् ये सब मिलाकर एक ही ताण्ड्य या छान्दोग्य ब्राह्मण था । इस का संपादन सन 1901 में स्टोनर ने और सत्यव्रत सामश्रमी ने संवत् 1947 में कलकत्ता में किया। - I मंत्रभागवतम् ले. नीलकंठ चतुर्धर । पिता- गोविंद। माताफुल्लांबिका ई. 17 वीं शती कोपरगांव (महाराष्ट्र) निवासी। इस पर लेखक ने मंत्ररहस्य - प्रकाशिका नाम टीका लिखी है। राम और कृष्ण के चरितानुसार वेदमंत्रों का व्याख्यान करने का प्रयत्न ग्रंथकार ने किया है। श्लोकसंख्या- 1100 । - मंत्रमहोदधि ले. - महीधर । पितामह - रत्नाकर। पितारामभक्त राजा लक्ष्मीनृसिंह की संरक्षकता में संवत् 1645 में इसका निर्माण हुआ था। तांत्रिक पूजा का विवरणात्मक ग्रंथ । तरंग- 25 श्लोक- 3000। इसके प्रारंभ में ग्रंथकार ने लिखा संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 253 -
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy