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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योगी अरविन्द का मृणालिनी देवी के साथ विवाह, उनके देशसेवा व्रत लेकर पति के अनुरूप बनना, बन्धु वारीन्द्र का देशसेवा का संकल्प, सन 1902 के सूरत अधिवेशन में अरविन्दजी द्वारा पूर्ण स्वातंत्र्य की घोषणा, मानिकतला तथा मुजफरपुर प्रकरण में अरविन्दजी का कारावास, चित्तरंजन दास द्वारा उनकी निःशुल्क पैरवी करना, पाण्डिचेरी प्रस्थान, माता मीरा का फ्रान्स से आगमन, स्वतंत्रता के समय भी देश के विभाजन से उन्हें होने वाली व्यथा और पाण्डिचेरी आश्रम में धर्मपताका का फहरना आदि प्रसंगों का चित्र इस नाटक में है। भारताचार्य - ले.- डॉ. रमा चौधुरी। सन् 1966 में राष्ट्रपति भवन में अभिनीत। निर्देशन लेखिका द्वारा। राष्ट्रपतिद्वारा "प्राच्यवाणी' को रु. 1500/- इसके अभिनय पर पुरस्काररूप में प्राप्त । विषय - राष्ट्रपति राधाकृष्णन् का चरित्र । भारतान्तरार्थ ले.- बेल्लमकोण्ड रामराय। आंध्र निवासी। भारती- (मासिकी पत्रिका)- सन 1950 में भारती भवन, गोपालजी का रास्ता, जयपुर से सुरजनदास स्वामी के संपादकत्व में इसका प्रकाशन प्रारंभ हुआ। संचालक थे पं. गिरिराज शर्मा। चार वर्षों बाद संपादक का दायित्व भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने संभाला। इस पत्रिका में भारतीय वीर पुरुषों के चित्रों के अलावा काव्य, नाटक, कथा और विनोदी साहित्य का प्रकाशन होता है। इसके अलावा संस्कृत सम्मेलनों का विवरण, भारतीय उत्सवों की सूचना तथा संक्षिप्त समाचार भी होते हैं। यह प्रति पूर्णिमा को प्रकाशित होती है। भारती गीति- ले.- हेमचन्द्र राय कविभूषण। जन्म-1872 । भारतीयम् इतिवृत्तम्- ले.- रामावतार शर्मा । विषय - भारत का इतिहास। भारतीय विद्याभवन बुलेटिन - सन् 1947 में मुबंई से जयंतकृष्ण हरिकृष्ण दवे के सम्पादकत्व में इस पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। समाचार प्रधान इस पत्रिका में संस्कृत विश्वपरिषद् शाखाओं के समाचार, सुभाषित, संस्कृत भाषण, संस्थाओं के विवरण आदि प्रकाशित होते रहे। भारती विद्या - संपादक- स्वामी चिन्मयानन्द। फतेहगढ़ से प्रकाशित मासिक पत्रिका। 2) सन् 1937 में भारतीय विद्याभवन, मुम्बई से इसका प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह शोध-निबन्ध प्रधान पत्रिका है। इसमें गवेषणा सामग्री, संस्कृत हस्तलिखित ग्रंथों तथा समालोचनाएं आदि का प्रकाशन होता है। भारतीविलास - शेक्सपियर कृत "कॉमेडी ऑफ एरर्स'' का अनुवाद। अनुवाद कर्ता श्री. शैल दीक्षित। भारतीस्तव - ले.-ब्रह्मश्री ति. वि. कपालीशास्त्री। योगी अरविन्द के राष्ट्रवादानुसार स्वातंत्र्य प्राप्तिदिन (15 अगस्त 1947) में रचित भारतमाता का स्तवन । (योगिराज अरविन्द का जन्मदिन 15 अगस्त) इस में श्लोकरचना 7 भिन्न छन्दों में है। भारतोद्योत - ले.- चित्रभानु । राष्ट्रीयभावनापरक काव्य । भारतोपदेशक - सन् 1890 में मेरट से संस्कृत-हिन्दी में प्रकाशित इस मासिक पत्र का सम्पादन ब्रह्मानंद सरस्वती करते थे। इसमें सामाजिक और धार्मिक निबन्ध प्रकाशित होते थे। भार्गवचम्पू - ले.- रामकृष्ण । भार्गवार्चनदीपिका - ले.- सावाजी (या सम्बाजी या प्रतापराज) अलवर-निवासी। भाल्लवी शाखा (सामवेदीय)- ले.-भाल्ल्लवी शाखा की संहिता अभी तक उपलब्ध नहीं हुई। सुरेश्वर कृत बृहदारण्यक भाष्य वार्तिक में भाल्नवी शाखा की एक श्रृति उल्लिखित है। वह श्रुति इस प्रकार है: "अतः मन्यस्य कर्माणि सर्वाण्यात्मावबोधतः । हत्वाविद्यां धियैवेयात्तद्विष्णोः परमं पदम्।। विद्वानों का तर्क है कि इस शाखा का ब्राह्मण विद्यमान था । भारतधर्म- इस मासिक पत्र का प्रकाशन 1901 मे चिदम्बरम से हुआ। धर्मप्रचार इसका उद्देश्य था। भारद्वाज (या भरद्वाज) संहिता - श्लोक-40001 4 अध्यायों में पूर्ण। विषय- न्यासोपदेश विस्तार से वर्णित। भारद्वाजगार्ग्य-परिणयप्रतिषेध-वादार्थ - विषय- भारद्वाज एवं गार्ग्य गोत्र वालों में विवाह का निषेध । भारद्वाज-श्रौतसूत्रम् - कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा के छह सूत्रों में एक। इस सूत्र का उल्लेख हिरण्यकेशी सूत्र के टीकाकार महादेव ने अपनी टीका की प्रस्तावना में किया है। यह सूत्र आपस्तंब सूत्र के पूर्व रचा गया है। रचना काल ई. स. पूर्व 600 वर्ष। सन् 1935 में डॉ. रघुवीर ने इस सूत्र का कुछ अंक प्रकाशित किया था। पुणे निवासी डॉ. चिं. ग. काशीकर ने इस सूत्र का गहन अध्ययन कर सन 1964 में इसकी आवृत्ति प्रकाशित की । इस ग्रंथ में 14 अध्याय हैं। भारद्वाजस्मृति - इस पर महादेव एवं वैद्यनाथ पायगुण्डे (नागोजी भट्ट के शिष्य) की टीका है। भावचषक - ओमरखय्याम की रुबाइयों का अनुवाद। ले. डॉ. सदाशिव अम्बादास डांगे। वसन्ततिलका वृत्त, केवल 66 रूबाइयां, हिन्दी गद्यानुवाद सहित खामगांव (विदर्भ) से प्रकाशित। डॉ. डांगे मुंबई विद्यापीठ में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष थे। भावचिन्तामणि - (नामान्तर-सन्तानदीपिका) - छह पटलों में पूर्ण है। विषय- पुत्र की उत्पत्ति में प्रतिबन्धक शाप के मोचक का प्रतिपादन तथा पुत्रोत्पादक ग्रहयोग का वर्णन । भावचूडामणि - ले.- विद्यानाथ। गुरु-रामकण्ठ। श्लोकलगभग-234001 विषय- दिव्य, वीर और पशु भाव के संकेत और उनके भेद। दिव्य, वीर और पशु क्रम से ब्रह्म की संस्कृत वाङ्मय कोश-ग्रंथ खण्ड/237 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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