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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोलायात्रामृतम् - ले. नारायण तर्काचार्य । दोलयात्रामृतविवेक - ले. शूलपाणि । दोलारोहणपद्धति - ले. विद्यानिवास। दौर्गानुष्टान-कलापसंग्रह - श्लोक 5500 । विषय- बीजांकुरारोपण से लेकर तीर्थस्नानान्त दुर्गोपासना संबंधी संपूर्ण क्रियाकलाप। द्यूतकरनिर्वेद - अनुवादकर्ता - महालिंग शास्त्री। ऋग्वेद के अक्षदेवन सूक्त (10-34) का संस्कृत पद्यात्मक रूपान्तर। द्रव्यगुणम् - ले. राजवल्लभ। विषय- औषधिशास्त्र। गंगाधर कविराज द्वारा लिखित टिप्पणी सहित उपलब्ध है। द्रव्यगुणसंग्रह - ले. चक्रपाणि दत्त। ई. 11 वीं शती। वैद्यकशास्त्रीय ग्रंथ। द्रव्यदीपिका - ले. विमलकुमार जैन। कलकत्ता निवासी। द्रव्यशुद्धि - ले- रघुनाथ। द्रव्यसंग्रह - ले- नेमिचन्द्र जैनाचार्य। ई. 10 वीं शतीं । द्रव्यसारसंग्रह - ले- रघुदेव न्यायालंकार। द्राविडार्यासुभाषित-सप्तति - प्रख्यात तमिल कवयित्री औवय्यी के लोकप्रिय सुभाषितों का अनुवाद। अनुवादक- वाय, महालिंगशास्त्री। इसमें सन्मार्गबंध तथा वृद्धोक्तिसंग्रह नाम दो खंड हैं। अनुवादक ने अमृतोर्मिला और मत्तभ्रमरी नामक नवीन दो छंदों का प्रयोग किया है। द्राह्यायण गृह्यसूत्रम् (देखिए खादिरगृह्यसूत्रम्) - आनन्दाश्रम प्रेस (पूना) में टीका के साथ मुद्रित। इस पर रुद्रस्कन्द और श्रीनिवास की टीकाएं हैं। द्राह्यागण गृह्यसूत्रकारिका - ले- बालाग्निहोत्री। द्राह्यायणसूत्रम् (नामान्तर वसिष्ठसूत्रम्)- सामवेद की राणायनी शाखा का एक श्रौतसूत्र । लाट्यायन श्रौतसूत्र से इसका काफी साम्य है। द्राह्यायणगृह्यसूत्रप्रयोग - ले- विनतानन्दन । द्रुतबोधव्याकरणम् - ले- भरतमल्लिक। ई. 17 वीं शती। इस पर ग्रंथकार द्वारा लिखित "द्रुतबोधिनी' नामक वृत्ति. उपलब्ध है। द्रोणाद्रिशतकम् - ले- केरल वर्मा। त्रिवांकुर (त्रावणकोर के) अधिपति। द्रौपदी- परिणयम् (रूपक) - ले- पेरी काशीनाथशास्त्री। ई. 19 वीं शती। द्रौपदी-परिणय चंपू- ले- चक्रकवि। ई. 17 वीं शती। पितालोकनाथ। माता- अंबा। वाणीविलास प्रेस श्रीरंगम्। यह चंपू 6 आश्वासों में विभाजित है। इसमें पांचाली (द्रौपदी) के स्वयंवर से लेकर धृतराष्ट्र द्वारा पांडवों को आधा राज्य देने तथा युधिष्ठिर के राज्य करने तक की घटनाएं वर्णित हैं। कथा का आधार महाभारत के आदि पर्व की एतद्विषयक घटना है। कवि ने अपनी ओर से उसमें कोई भी परिवर्तन नहीं किया है। ग्रंथ के प्रत्येक अध्याय में कवि-परिचय दिया गया है। द्रौपदीवस्त्रहरणम् - कवि- गोवर्धन। दात्रिंशदीक्षाप्रयोग - विषय- शाक्त संप्रदाय में प्रचलित दीक्षा-संबंधी विविध 32 विधियों का निरूपण। द्वात्रिंशिका-स्तोत्रम् - सिद्धसेन दिवाकर (जैन न्याय के प्रणेता)। ई. 5 वीं शती (उत्तरार्ध)। द्वादशदर्शन- सोपानावलि- ले- श्रीपादशास्त्री हसूरकर। इंदौर में संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य। इसमें न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्व और उत्तर मीमांसा इन 6 आस्तिक, एवं चार्वाक, जैन, बौद्ध (वैभाषिक, सौत्रांतिक, योगाचार, माध्यमिक) इन 6 नास्तिक, कुल मिलाकर द्वादश) दर्शनों का. सुव्यवस्थित परिचय दिया है। साथ ही उत्तर मीमांसा के अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, द्वैत, द्वैताद्वैत इ. सांप्रदायिक दर्शनों का भी स्वतंत्र परिचय दिया है। उपसंहार में इन सभी दर्शनों का समन्वय तथा उनकी उपयुक्तता का मार्मिक विवेचन शास्त्रीजी ने किया है। द्वादशमंजरी - ले- प्रा. कस्तूरी श्रीनिवासशास्त्री। द्वादश-महागणपतिविद्या - कुलडामरान्तर्गत। श्लोक- 112 । द्वादशयात्रातत्त्वम् (या द्वादशयात्रा-प्रमाणतत्त्व):- लेरघुनंदन। विषय- जगन्नाथपुरी में विष्णु की 12 यात्राओं या उत्सवों का प्रतिपादन। द्वादशयात्राप्रयोग - ले- विद्यानिवास। विषय- जगन्नाथपुरी की 12 यात्राएं। द्वादशस्तोत्रम् - ले- मध्वाचार्य। ई. 12-13 वीं शती। द्वाविंशतिपात्रविधि - इस में कौलों की 22 पात्रविधियां वर्णित हैं। द्वाविंशत्यवदानम् - प्रस्तुत ग्रंथ का प्रारंभ उपगुप्त तथा अशोक के संवाद से होता है किंतु शीघ्र ही उनके स्थान शाक्यमुनि तथा मैत्रेय लेते हैं। इस में 22 कथाएं संस्कृत में, गाथाओं से संवलित गद्य में रचित हैं जिन में श्लाघ्य पुण्यकृत्य, दानशीलता, उदारता आदि गुणों का माहात्म्य प्रतिपादन किया है। समय ई. 6 वीं शती। द्वीपकल्पलता - ले- परशुराम। उल्लास- छह । द्विजाह्निकपद्धति - ले- ईशान। हलायुध के ज्येष्ठ भ्राता। ई. 12 वीं शती। द्विरूपकोश- ले- पुरुषोत्तम देव। ई. 12 वीं अथवा 13 वीं शती। (2) ले- श्रीहर्ष। ई. 12 वीं शती। द्रिरूप-ध्वनि-संग्रह - ले- भरत मल्लिक । ई. 17 वीं शती। द्विविध-जलाशयोत्सर्ग-प्रमाणदर्शनम् - ले- बुद्धिकर शुक्ल। विषय- धर्मशास्त्र । द्विसंधानकाव्यम् (राघवपांडवीयम्) - ले- धनंजय। यह संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 145 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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