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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पतत्पतंगप्रतिमस्तपोनिधि:--शि० १११२ 4. अपने फूटना, उत्पन्न होना-निष्पेषोत्पतितानल-रघु० आप को डालना, नीचे फेंकना-मयि ते पादपतिते ४।७७, रसात्तस्माद्वरस्त्रिय उत्पेतुः . रामा०, नि-, किंकरत्वमुपागते-पंच०४।७, इसी प्रकार 'चरणपति- 1. नीचे गिरना या आना, अवरोहण करना, उतरना, तम्' मेध० १०५ 5. (नैतिक दृष्टि से) गिरना, डबना-निपतती पतिमप्यपातयत्-रघु० ८।३८, भट्टि. जाति से पतित होना प्रतिष्ठा का नष्ट होना, भ्रष्ट १५।२७ 2. फेंका जाना, निर्दिष्ट होना-रघु० ६।११ होना- परधर्मेण जीवन् हि सद्यः पतति जातितः 3. (पैरों में) डालना, साष्टांग लेटना-देवास्तदंते मनु० १०१९७, ३।१६, ५।१९, ९।२००, याज्ञ० ११३८ हरमढभार्य किरीटबद्धांजलयो निपत्य-- कु०७।९२, 6. (स्वर्ग से) नीचे आना--पतंति पितरो ह्येषां भर्त० २।३१ 4. गिरना, उतरना, मिल जाना---रघु० लुप्तपिंडोदकक्रिया:-भग०११४१ 7. घटना, आपद्- १०।२६ 5. टूट पड़ना, आक्रमण करना, पिलप डना-- ग्रस्त या संकटापन्न होना-प्रायः कंदुकपातेनोत्पतत्यार्य: सिंहः शिशुरपि निपतति मदमलिनकपोलभित्तिषु गजेषु पतन्नपि भर्त० २।१२३ 8. नरक में जाना, नारकीय -भर्त० २।३८6. होना, घटित होना, आ पड़ना, भाग्य यातना सहन करना-मन्० १११३७, भग० १६११६ मे होना–सकृदंशो नियतति मनु० ९।४७ 7. रक्खा 9. पड़ना, घटित होना, हो जाना, संपन्न होना-- जाना, स्थान पर अधिकार करना-अभ्यहित पूर्व लक्ष्मीर्यत्र पतंति तत्र विवृतद्वारा इव व्यापदः-सुभा० निपतति–प्रेर०-1. नीचे गिराना, फेंकना, पटक देना 10. निदिष्ट होना, उतरना या पड़ना (अधि० के 2. मार डालना, नष्ट करना, बर्बाद करना निस्साथ )---प्रसादसौम्यानि सतां सुहृज्जने पतंति चक्षुषि निकलना, फूट पड़ना, फल निकलना, निकल पड़नान दारुणाः शरा:-- श० ६।२८ 11. भाग्य में होना अरविवरेभ्यश्चातकनिष्पतद्धिः--श० ७७, एषा 12. ग्रस्त होना, फँसना-प्रेर०-(पातयति-ते-पतयति विदूरीभवतः समुद्रात्सकानना निष्पततीव भूमिः-- विरल प्रयोग) 1. नीचे गिराना, उतारना, डबोना रघु० १३११८, मनु० ८1५५, याज्ञ० २।१६, कु०३। -निपतंती पतिमप्यपातयत्-रघु० ८१३८, ९।६१, ७१, मेघ० ६९, परा-, 1. पहुँचना, निकट आना, ११७६ 2. गिरने देना, नीचे को फेंकना, गिराना, पास जाना 2. वापिस आना, परि , इधर उधर (वृक्ष आदि का) गिराना 3. बर्बाद करना, परास्त उड़ना, चक्कर काटना, छा जाना--बिंदूत्क्षेपान् करना 4. (आँसू) गिराना 5. फेंकना, (दृष्टि) पिपासुः परिपतति शिखी भ्रांतिमद्वारियंत्रम्-मालवि० डालना, सन्नन्त--पिपतिषति-पित्सति, गिरने की २११३, अमरु ४८ 2. झपट्टा मारना, आक्रमण करना, इच्छा करना—अनु---, 1. उड़ना 2. पीछे दौड़ना, टूट पड़ना (युद्ध में) 3. सब दिशाओं में दौड़नाअनुसरण करना, पीछे लगे रहना, पीछा करना (हयाः) परिपेतुर्दिशो दश-महा. 4. चले जाना, ---मुहुरनुपतति स्पंदने दत्तदृष्टि:-- श० ११७, मा० गिर पड़ना-शि० ११४१, प्र-, 1. नीचे आना, ९।८, शि० १११४०, अभि-, 1. निकट उड़ना, नीचे गिरना, उतरना 2. गिरकर अलग या दूर हो नजदीक जाना, पास पहुँचना, अधिरोढमस्तगिरि- जाना 3. उड़ना, इधर उधर झपटना, प्रणि--, प्रणाम मभ्यरतत्----शि० ९।१, कि० १२।३६ 2. आक्रमण । करना, अभिवादन करना (कर्म० या संप्र० के साथ) करना, धावा बोलना, टूट पड़ना-रघु ० ७।३७ प्रणिपत्य सुरास्तस्मै— रघु०१०।१५, वागीशं वाग्भिर3. उड़ कर पकड़ लेना 4. वापिस आना, लौट पड़ना र्थ्याभिः प्रणिपत्योपतस्थिरे-कु० २१३, प्रोद-ऊपर पीछे हटना, अभ्युद्--, टूट पड़ना, आक्रमण करना, उड़ना, उड़ान भरना, विनि-, उड़ना, गिरना, उतरना आ--, 1. टूट पड़ना, आक्रमण करना, धावा बोलना -~-ऋतु० ४।१८ (प्रर०) गिराना, बर्बाद करना, --रघु० १२१४४, ५.५० 2. उड़ना, पिल पड़ना, नष्ट करना--मच्छ० २।८, सम्-, 1. मिल कर झपटना 3. निकट जाना 4. होना, घटित होना, आ उड़ना, एकत्र होना 2. इधर उधर जाना या घूमना पड़ना-कथमिदमापतितम्--उत्तर० २, अहो न 3. आक्रमण करना, टूट पड़ना, धावा बोलना 4. होना, शोभनमापतितम्-पंच०२5. सूझना, (मन में) आना, घटित होना, (प्रेर०)-1. निकट लाना 2. संग्रह करना, इति हृदये नापतितं--का० २८८, उद्-, उछलना एकत्र करना मिलाना,-.-रघ०१४।३६, १५।७५ । कूदना-मंसूदपाति परितः पटलै रलीनाम्-शि० ५। पतः [ पत्- अच्] 1. उड़ना, उड़ान 2. जाना, गिरना, ३७, (प्रायः कर्म या संप्र० के साथ) उत्पतोदङमखः उतरना, । सम०-गः पक्षी, मन० ७।२३ । खम्-मेघ १४, भट्टि० ५।३०, स्वर्गायोत्पतिता पतंगः [ पतन् उत्प्लवन् गच्छति-गम् | ड, नि०] 1. पक्षी भवेत ...विक्रम० ४।२, कु०६।३६. सूझना, विचार –नपः पतंग समघत्त पाणिना---०१।१२४, भामि० में आना रघु० १३.११ 3. (गेंद को भांति) उछल १।१७ 2. सूर्य विकसति हि पतंगस्योदये पुंडरीकमकर आना--भर्तृ० २।८५ 4. उदय होना, जन्म लेना, उत्तर० ६।१२, मा० १११२ शि० १११२, रघु०२। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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