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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1058 ) से दूसरा है, और जब गायें दूहने के बाद चरने के / 6. मैथुन, स्त्रीसंभोग 7. व्यभिचार .. मनु० 8 / 6, लिए ले जाई जाती हैं। 72, याज्ञ० 2172 8. आशा करना 9. स्वीकार सङ्गावः[सम् +गद्+घञ्] प्रवचन, समालाप, बातचीत। करना, प्राप्त करना,--णी पेचिस / सङ्गिन् (वि.) [सञ्ज+घिनुण] 1. संयुक्त, मिला हुआ | सङ्ग्रहीतु (पुं०) [सं+ ग्रह +तृच्] सारथि / 2. अनुरक्त, भक्त, स्नेहशील-श० 5 / 11, रघु० सङ्ग्रामः [सङ्ग्राम्+अच्] रण, युद्ध, लड़ाई-सामाङ्गण 19 / 16, मालवि० 4 / 2, भग० 3 / 26, 1415 / / मागतेन भवता चापे समारोपिते--काव्य०१०। सम० सङ्गीत (भू० क० कृ०) [सम् +ग-क्ति] मिलकर गाया -जित् (वि.) युद्ध में जीतने वाला,-पटहः युद्ध हुआ, सहगान, सम्मिलित कण्ठों से गाया हुआ,- तन् में बजाया जाने वाला एक बड़ा भारी ढोल / 1. सामहिक गान, बहुत से कण्ठों से मिलकर गाया समाहः [सम्+ग्रह धिज.] 1. हाथ डालना, ले लेना जाने वाला गान,-जगुः सुकण्ठयो गन्धर्व्यः सङ्गीतं सह- 2. बलात् छीन लेना 3. मुट्ठी बाँधना 4. तलवार भर्तका:-भाग० 2. गायन, मधुर गायन, विशेषतः की मुठ। वह गायन जो नृत्य तथा वाद्ययन्त्रों के साथ गाया | सङ्घः [सम्-हिन्+अप, टिलोपः, घत्वम् ] 1. समूह, संग्रह, जाय, त्रिताल युक्त गान - गीतं वाद्यं नर्तनं च त्रयं समुच्चय, झुण्ड जैसा कि महर्पिसङ्घ, मनुष्यसङ्क 2. एक सङ्गीतमुच्यते; किमन्यदस्या: परिषदः श्रुतिप्रसादनत: __साथ रहने वाले लोगों का समूह। सम० चारिन् सङ्गीतात्- श० 1, मृच्छ० 1 3. संगीत गोष्ठी, (पु०) मछली, - जोविन् (पुं०) किराये का मजदूर, सहसंगीत 4. नृत्य वाद्य के साथ गाने की कला-भर्त० कुली, वृत्ति (स्त्री०) संघटनवृत्ति / 2 / 12 / सम–अर्थः 1. संगीत प्रदर्शन का विषय सङ्घटना [ सम् + घत्+णिच् +युच्+टाप् ] साथ साथ 2. संगीतशाला के लिए आवश्यक सामग्री या उपकरण मिलना, मेल, सम्मेल--रत्न० 4 / 20 / / ---मेघ० ५६,--शाला गायनालय,-मा० २,--शास्त्रम् सङ्घट्टः [सम्+घट्ट + अच्] 1. संघर्षण,के एक साथ घिसना, गानविद्या। रगड़ना सरलस्कन्धसङ्घट्टजन्मा (दवाग्निः)-- मेघ० सङ्गीतकम् सङ्गीत+कन्] 1. संगीतगोष्ठी, सुरताल से युक्त 53, मा० 5 / 3 2. टक्कर, खटपट, मुठभेड़---शि० गान 2. सार्वजनिक मनोरंजन जिसमें नाच-गाना हो / 20126 3. भिड़न्त, संघर्ष 4. मिलना, सम्मिलन, सङ्गीर्ण (भू. क. कृ.) [सम्-+-+क्त 1. सम्मत, टक्कर या स्पर्धा (जैसे कि पत्नियों की)-रघु० स्वीकृत 2. प्रतिज्ञात।। 14 / 86 5. आलिंगन-ट्टा एक बड़ी लता, वेल / / सङ्ग्रहः [ सम् + ग्रह, +-अप] 1. पकड़ना, ग्रहण करना सङ्घट्टनम्,-टन। [सम्---घट्ट+ल्युट ] 1. मिला कर 2. मुट्ठी बाँधना, चंगुल, पकड़ 3. स्वागत, प्रवेश -!.संर- रगड़ना, संघर्षण 2. टक्कर, खटपट 3. घनिष्ठ संपर्क, क्षण, प्ररक्षण तथा ग्रामशतानां च कुर्याद्राष्ट्रस्य संग्रहम् लगाव 4. संपर्क, मेल, चिपकाव 5. पहलवानों का मनु०७।११४ 5. अनुग्रहण, प्रसादन, आदर-सत्कार पारस्परिक लिपटना 6. मिलना, मुठभेड़। करना, पालन-पोषण करना मनु० 31138, 8 / 311 | सङ्घशस् (अव्य०) [ संघ-शस् ] झुंडों में, दल बनाकर / 6. भरना, संग्रह करना, एकत्र करना, संचय करना सङ्घर्ष [सम्+-घृष्+घञ ] 1. दो चीजों की रगड़, -----तैः कृतप्रकृतिसङ्ग्रहः रघु० 19155, 17.60 घृष्टि 2. पीस डालना, चरा करना 3. टक्कर, खट 7. शासन करना, प्रतिबंध लगाना, नियन्त्रण करना पट 4. प्रतिद्वन्द्विता, प्रतिस्पर्धा, श्रेष्ठता के लिए होड़, 8. राशीकरण 9. संयोजन 10. संघद्रीकरण (एक -तस्याश्च मम च कस्मिंश्चित्सङ्घर्षे दश०, नाट्याचाप्रकार का 'संयोग') 11. सम्मेल करना, अवधारणा र्ययोर्महान् ज्ञानसङ्घर्षों जात: मालवि०१ 5. ईर्ष्या, 12. संकलन 13. सारांश, सार, संक्षेपण, सारसंग्रह डाह 6. सरकना, मन्द मन्द बहना / ...-सङ्ग्रहेण प्रवक्ष्ये भग० 8 / 11, इसी प्रकार तर्क सङ्घाटिका [ सम्+-घट+णिच+पवल+टाप, इत्वम् ] सङ्ग्रह' 14. जोड़, राशि, समष्टि -करणं कर्म कति 1. जोड़ा, दम्पती 2. दूती, कुटनी 3. गंध। त्रिविधः कर्मसङ्ग्रहः- भग० 18 / 18 15. तालिका, सङ्घाणकः,--कम् [शिघाण पृषो०] नाक का मल, सिणक / सूची 16. भंडारगृह 17. प्रयत्न, चेष्टा 18. उल्लेख, सङ्घातः [ सम्+हन्+घञ ] 1. संघ, मिलाप, समाज हवाला 19. बड़प्पन, ऊँचापन 20. वेग 21. शिव 2. समुदाय, समवाय, समुच्चय, उपायसङ्घात इव का नाम / प्रवृद्धः--रघु० 14 / 11, कु० 4 / 6 3. बध, हत्या सङ्ग्रहणम् [सम्+ग्रह +ल्यट] 1. पकड़ना, ले लेना ___4. कफ 5. सम्मिश्रणों का निर्माण 6. नरक के एक 2. सहारा देना, प्रोत्साहित करना 3. संकलन करना, प्रभाग का नाम / संचय करना 4. गड्ड-मड्ड करना 5. मंढना, जड़ना सचकित (वि०) विस्मित, भयभीत, तम् (अव्य०) कांपते -----कनकभूषणसङ्ग्रहणोचितः (मणिः)--पंच० 1175 / हुए, चौंक कर, चौकन्ना होकर, विस्मित होकर / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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