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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1057 ) दूसरी राशि में जाने का मार्ग 4. स्थानान्तरण, (किसी। सम्पर्क 4. संगति, साहचर्य, मैत्री, अनुराग-- सतां दूसरे को) सौंपना-संपातिताः पयसो गण्डषसङ्क्रान्तयः | सद्धिः सङ्गः कथमपि हि पुण्येन भवति-उत्तर०२।१, --उत्तर० 3116 5. (अपना ज्ञान दूसरों तक) संगमनुखज़ संगति में रहना, मंडली में रहना,-मुगाः हस्तान्तरित करना, (दूसरों को) विद्यादान की शक्ति मृगैः सङ्गमनुव्रजन्ति - सुभा० 5. अनुरक्ति, प्रीति, विवादे दर्शयिष्यन्तं क्रियासङ्क्रान्तिमात्मनः- अभिलाषा----ध्यायतो विषयान्सः सङ्गस्तेषपजायते मालवि० 118, शिष्टा क्रिया कस्यचिदात्मसंस्था ... भग० 2 / 62 6. सांसारिक विषयों में आसक्ति, सङ्क्रान्तिरन्यस्य विशेषयुक्ता---१।१६ 6. प्रतिमा, मनुष्यों के साथ साहचर्य - दौर्मन्यान्नृपतिविनश्यति प्रतिबिंब 7. चित्रण। यतिः सङ्गात् भर्तृ० 2 / 42 7. मुठभेड़, लड़ाई।। सङ्काम --दे० 'संक्रम'। सङ्गणिका [ सम्+गण +ण्वुल+टाप, इत्वम् ] श्रेष्ठ या सकीडनम् सिम् + क्रीड्+ल्युट्] मिल कर खेलना। अनुपम प्रवचन। सङ्क्ले वः [सम्+क्लिद्+घा] 1. तरी, नमी 2. गर्भा- | सङ्गत (भू० क० कृ०) [ सम्+गम्+क्त ] 1. मिला, घान के पश्चात् प्रथम मास में स्रवित होने वाला रस हुआ, जुड़ा हुआ, साथ साथ आया हुआ, साहचर्य से जिससे भ्रूण के आरंभिक रूप का निर्माण होता है। यक्त 2. एकत्रित, संचित, संयोजित, सम्मिलित सङ्क्षयः [सम् +क्षि+अच्] 1. विनाश 2. पूर्ण विनाश या 3. प्रणयग्रन्थि में आबद्ध, विवाहित 4. मैथुन द्वारा उपभोग 3. हानि, बर्बादी 4. अन्त 5. प्रल्य। मिला हुआ 5. साथ साथ भरा हुआ, समुचित, सक्षिप्तिः (स्त्री०) [सम्+क्षिप+क्तिन्] 1. साथ साथ युक्तियुक्त, संवादी-श० 3 6. से युक्त ( जैसे कि फेंकना 2. भींचना, संक्षेपण 3. फेंकना, भेजना 4. घात ग्रहों से) 7. शिकनवाला सिकुड़ा हुआ, दे० सम् में रहना। पूर्वक 'गम्', तम् 1. मिलाप, सम्मिलन, मैत्री,-विक्रम सङ्क्षपः [सम्+क्षिप्+घञ] 1. साथ साथ फेंकना 5 / 24, श० 5 / 23 2. समाज, मण्डली 3. परिचय, 2. भींचना, छोटा करना 3. लाघव, संहति 4. निचोड़, मित्रता, घनिष्टता-कु० 5 / 39 4. सामंजस्यपूर्ण या सारांश 5. फेंकना, भेजना 6. अपहरण करना 7. किसी सुसंगत वाणी, युक्तियुक्त टिप्पण / अन्य व्यक्ति के कार्य में सहायता देना (संक्षेपेण, | सङ्गतिः (स्त्री०) [ सम्+गम्+क्तिन् ] 1. मेल, मिलना, संक्षेपतः (क्रि० वि०) थोड़े अक्षरों में, संहरण करके, संगम 2. संसर्ग, सहयोगिता, साहचर्य, पारस्परिक संक्षेप में) मेलजोल मनो हि जन्मान्तरसङ्गतिज्ञम् -- रघु० 7.15 सक्षेपणम् [सम्+क्षिप्-+ल्यूट] 1. ढेर लगाना 2. छोटा 3. मैथुन 4. दर्शन करना, बार बार आना-जाना करना, लघुकरण 3. भेजना / 5. योग्यता, उपयुक्तता, प्रयोगात्मकता, संगत, सम्बन्ध सक्षोभः [सम्+क्षुभ्+घा] 1. आन्दोलन, कंपकपी 6. दुर्घटना, देवयोग, आकस्मिक घटना 7. ज्ञान 2. बाधा, हलचल-मृच्छ० 13. उथल पुथल, उलट 8. अधिक जानकारी के लिए पृच्छा। पुलट 4. घमंड, अहंकार / सङ्गमः [ सम् + गम् +अप् ] 1. मिलना, मेल-- विक्रम सङ्ख्यम् [ सम् +ख्या+क] संग्राम, युद्ध, लड़ाई सङ्ख्ये 4 / 37, रघु० 12 / 66, 90 2. साहचर्य, संगति, सह द्विषां वीररसं चकार ..विक्रम० 1167, 70 वेणी० योगिता, पारस्परिक मेलजोल -जैसा कि 'सद्भिःसंगमः' 3125, शि० 18570 / में 3. सम्पर्क, स्पर्श-रघु० 8 / 44 4. मैथुन या रतिसङ्ख्या [ सम्+ख्या + अ +टाप ] 1. गणना, गिनती, क्रिया -अयं स ते तिष्ठति सङ्गमोत्सुकः -श० 314, हिसाब लगाना - सङ्ख्यामिवैषां भ्रमरश्चकार-रधु० रघु० 19 // 33-5. (नदियों का) मिलना; संगम 16 / 47 2. अंक 3. अंकबोधक 4. जोड़ 5. हेतु, समझ, स्थान-- गङ्गायमुनयोः सङ्गमः 6. योग्यता, अनुकूलन प्रज्ञा 6. विचार, विमर्श 7. रीति / सम०-अतिग, 7. मुठभेड़, लड़ाई 8. (ग्रहों का) संयोग। --अतीत (वि०) असंख्य, अनगिनत, गणनातीत, | सङ्गमनम् [सम्+गम् + ल्युट्] मिलना, मेल, दे० 'सङ्गम'। --वाचक (वि०) संख्या बोधक (कः) अंक / सङ्गरः [ सम् +गृ+अप् ] 1. प्रतिज्ञा, करार, -तथेति सब्यात (भू० क० कृ०) [ सम् + ख्या+क्त ] 1. गिना तस्यावितथं प्रतीतः प्रत्यग्रहीत्सङ्गरमग्रजन्मा-रघु० गया 2. हिसाब लगाया गया, गिना हुआ, तम् अंक, 5 / 26, 11140, 13 / 05 2. स्वीकृति, हाथ में लेना -- ता एक प्रकार की पहेली।। 3. सौदा 6. संग्राम, युद्ध, लड़ाई--अतरस्त्वभुजौजसा सङ्ख्यावत् (वि.) [ सङ्ख्या--मतुप् ] 1. संख्या वाला मुहर्महतः सङ्गरसागरानसौ शि० 16 / 67 5. ज्ञान 2. हेतु से युक्त---पुं० विद्वान् पुरुष / 6. निगल जाना 7. दुर्भाग्य, संकट 8. विष / सङ्गः [ सञ्ज भावे धा ] 1. साथ मिलना, सम्मिलन सङ्गवः [ संगता गावो दोहनाय अत्र-नि० प्रातःस्नान के "2. मिलना, मेल, संगम (जैसे नदियों का) 3. स्पर्श, / तीन महर्त बाद का समय जो दिन के पांच भागों में 133 For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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