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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तर क्रिया करनेका विधान ॥ (८) करन्यास ॥ ॐ नमो अरिहंताणं अङ्गष्टांभ्यां नमः ॐ नमो सिद्धाणं तन्जिनिभ्यां नमः ॐ नमो आयरियाणं मध्यमाभ्यां नमः ॐ नमो उवज्झायाणं अनामिकाभ्यां नमः ॐ नमो लोए सव्वसाहणं कनिष्टाभ्यां नमः ॐ सम्यक्दर्शनज्ञानचारित्रतपेभ्यां करतल करपृष्ठाभ्यां नमः ॥ इस मंत्र द्वारा अनुक्रम से तीन दफा उङ्गलियों पर मंत्र वालना चाहिए। ___ इतना कर लेने बाद एक वख्त ध्यान लगा कर चितवन द्वारा गुरुमहाराज, दशदिग्पाल, नवग्रह, क्षेत्रदेवता आदिकी स्थापना करने के लिये इस प्रकार चितवन करे। ___अतः परं सर्वमपि कृत्यमेकवारं भविष्यति पुनः अत्र गुरूणां दशदिग्पाल, नवग्रहगण क्षेत्रदेवता दिनां च पूजा क्रमेऽनुक्रमो प्यूहयास्तद्यथा येन ज्ञानमदियेन निरस्याभ्यंतरं नमः ममात्मा निम्मलीचक्रे तस्मैश्रीगुरुवेनमः । अनेन कृत्वा श्रीगौतममुधर्मादि परंपरागत वर्तमानइष्ट धर्मदात्सुगुरुपर्यंतावली मनसिचिंतयेत्, नमस्कृत्वा चशिरसितेषां पादुकाभ्याः स्थापनकार्या धृपोक्षेपणं च कार्यतत् ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020611
Book TitleRushimandal Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1940
Total Pages111
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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