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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org इंडियाना ( २२ उदा० घेरदार पांइचे, इजार कीमखापी ग्वाल इंडियाना – क्रि० प्र० [हिं० प्रड़ियाना ] हठ करना, अड़ना । उदा० रस के निधान बसकरन बिधान कहौ, आज इड़ियाने छिड़ियाने कैसे डोली हौ । —ठाकुर इतमाम -संज्ञा, पु० [अ० एहतमाम ] प्रबन्ध, इन्तजाम 1 उदा० तिलक छरी गहि कनक की, त्योंरी तेज जसोल । करत श्रनख इतमाम कौं पिय नहि सकै सकोल । -नागरीदास इतिमान संज्ञा, पु० [अ० इहतिमाम ] इन्तजाम, प्रबन्ध, व्यवस्था । उदा० भारी दरबार भर्यो भौंरन की भीर बैठ्यी मदन दिवान इतिमाम काम काज को । -पंडित प्रवीन ईचनि - संज्ञा, पु० [सं० ईक्षण] आँख, नेत्र । उदा० काल्हिहि नीठि कठोर उठे कुच ईचनि सों ठनि के निठुराई । - देव ईच्छा -- संज्ञा, स्त्री० [सं० इच्छा ] इच्छा, कामना उदा० भोर कठोर हियो करि के तिय सों पी बिदा भौ बिदेस के ईछे । - पजनेस ईछी - संज्ञा, स्त्री० [सं० इच्छा ] इच्छा, कामना, अभिलाषा । उदा० भेष भयो विष भावे भोजन को कछु ईछी । न भूषरण, भूख न - देव ईछु — संज्ञा, स्त्री० [सं० ईक्षु] ईख, गन्ना । उदा० दाखऊ माखनऊ मिसिरी मधु ईछु मिल किन आजु उबीठो । — देव ईठि- क्रि० वि० [सं० इष्टि] १. यत्न पूर्वक अच्छी तरह, चेष्टा पूर्वक २. मित्रता, दोस्ती ३. सखी (संज्ञा, स्त्री ० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ; इलबेस – संज्ञा, पु० [अ० इल्बास ] पहनावा, वेश । हा उदा० रेसमी रखत इलबेस सी सुदेस किये, देखि देस देस के नरेस ललचात हैं । — गंग इलाम – संज्ञा, पु० [अ० ऐलान ] हुक्म, आज्ञा, इश्तिहार । उदा० ठान्यो न सलाम मान्यो साहि को इलाम धूम धाम के न मान्यो रामसिंहहू को बरजा । -- भूषरण इषुधी- संज्ञा, पु० [सं० इषु = वारण + धि - धारण करना ।] तूणीर, तरकश उदा० नेकु जहीं दुचितो चित कीन्हो । सूर तहीं इषुधो धनु दीन्हो । -केशव उदा० १. सखियाँ कहैं सु साँच है लगत कान्ह की डीठि । कालि जु मो तन तकि रहयो उभरयो प्राजु सो ईठि । For Private and Personal Use Only - दास ३. याको अचंभो न ईठि गनो इहि दीठको बाँधिबो श्रावै घनेरो । - दास ईनो - संज्ञा, स्त्री० [प्रा० ईड = स्तुति ] १. स्तुति, प्रशंसा २. प्रार्थी, अभिलाषी [प्रा० ईरा ] उदा० बैठी मृग छाला सी दुलीचिये विछाइ बाला माला मुकुता को धरे ध्यान अब ईनो है । - तोष रति मांगी तुमते करी ईड़ा । —सबलसिंह ईहा - संज्ञा, स्त्री० [सं० इच्छा ] इच्छा, कामना, अभिलाषा । उदा० जानि पराये चित्त की, ईहा जो प्राकूत । - मतिराम
SR No.020608
Book TitleRitikavya Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorilal
PublisherSmruti Prakashan
Publication Year1976
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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