SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुका ( ११७ ) -सोमनाथ । -बोधा बुंद तुंद दंदि के प्रवीन बेनी बरसत सरसत तुरी-संज्ञा, पु० [अ०] कलगी, पगड़ी में लगाये मदन बदन मुंदि रहै को। -बेनी प्रवीन | जाने वाला पखं । तुका-संज्ञा, पु० [फा०] बिना फल का तीर, उदा० सोहे पाग जरकसी तुर्रा। -बोधा वह तीर जिसमें गाँसी की जगह पुंडी होती है। मान दैक तोरा तुर्रा सिर पै सपूती को। उदा० गाड़े ह रहे ही सहे सन्मुख तुकानि लीक । -पद्माकर -दास तुरुराना-क्रि० अ० [सं० तुर] घबराना, पातुर काम के तुका से फूल डोलि डोलिडार, | होना । मन औरे किये डार ये कदंबन की डारै री। । उदा० अनमनी बानि पहिचानि पति सौमनाथ, -कवीन्द्र बिनती करत जब जीभ तुरुरानी री । तुझाना-क्रि० स० [?] छोड़ाना, दूर करना - सोमनाथ उदा. नित बोलि प्रमी रस पान करै यह कान के तुलही- संज्ञा, स्त्री० [सं० तुला] तुला, तराजू । __ बान तुझावैरों को। -रघुनाथ उदा० कपोल ज्यों प्रेम पला तुलही के। - देव तुठी-संज्ञा, स्त्री० [सं तुष्टि] तुष्टि, प्रसन्नता । तुलाई-संज्ञा, स्त्री० [सं० तूल] रजाई, सौड़ । उदा० पूछत या हित सों तुम सों चित सों हहा उदा० तपन तेज, तपु-ताप तपि अतुल तुलाई दीजै बताय तुठी मैं । --वाल माह। -बिहारी तुति-संज्ञा, स्त्री० [सं० स्तुति] स्तुति ।। तुख-संज्ञा, पु० [सं० तुष सींक, तिनके का उदा. यह सुनि विरंचि ने सुख सु पाइ । तुति टुकड़ा। करी ईस की हित बढ़ाइ। उदा० तीखी दीठि तूख सी, पतूख सी अरुरि अंग, -सोमनाथ ऊख सी मरूरि मुख, लागत महूख सी। तुन--संज्ञा, पु० [सं० तुन] एक विशाल वृक्ष -देव जिसके फूलों से बसंती रंग निकलता है। तूचह-संज्ञा, पु० [सं० त्वचा] त्वचा, चर्म । उदा. पोऊ रहे हेरि मोहि मैह उन्है हेरि रही उदा० तूचह मन तजि जमपुरी बसै सो स्वप्न ह्व रहे चकित दोउ ठाढ़े तरे तुन के । बखानि । -रसलीन -रघुनाथ तूटना-क्रि० प्र० [सं० तोट] टूटना, नष्ट होना, तुपक-संज्ञा, स्त्री० [तु० तोप] एक प्रकार की छूटना । छोटी तोप । उदा० अरु तुम कमलजोनि से छूटी । श्राप ताप उदा० लिए तुपक जरजार जमूरे । कौ सासौ तंटौ। ---जसवंतसिंह -चन्द्र शेखर तूती संज्ञा, स्त्री० [फा०] १. छोटी जाति का तुफंग-संज्ञा, स्त्री० [तु.] हवाई बंदूक । तोता २. मटमैले रंग की एक छोटी तथा सुन्दर उदा० तोमर तबल तुफङ्ग दाव लुट्टियो तिही चिड़िया । -सूदन | उदा० काम की दूती पढ़ावत तूती चढ़ी पग जूती तुर-क्रि० वि० [सं० आतुर] जल्दी, शीघ्र। बनात लपेटा । -देव उदा० हरष सों पागे महालगन की सिद्धि पाइ भारथ अकर कर तूतिन निहारि लही, प्रागे राह रोकी जाइ अति गति तुरसों। यातें घनस्याम लाल तोते बाज पाए री। -रघुनाथ - दास तुरमती-संज्ञा, स्त्री० [तु० तुरमता] बाज की तूदा-संज्ञा, पु० [फा०] राशि, ढेर, समूह । माँति एक शिकारी चिड़िया । उदा० ज्यों ज्यों मोरन को कहति मोर पक्षधर उदा० तुरमती तहखाने तीतर गुसुलखाने सूकर लाल । काम खाक तूदा करत त्यों त्यों हनि सिलहखाने कूकत करीस हैं -भूषण शर जाल । -नंदराम तुराय-क्रि० वि० [सं० स्वरा] तेजी से, स्वरा तून-संज्ञा, पु० [सं० तूरण] . तूण, तरकश, वेग से, झोंके से। वाण रखने का चोंगा २. तृण। उदा० बिरह बारि बाढ़ी नदिया चली तुराय।। उदा. जाहिर जोर प्रमा दरस सरस तिनतें छवि मोरो नबो जीवन बिरवा उखरि न जाय ।। काम के तून की। -प्रतापसाहि For Private and Personal Use Only
SR No.020608
Book TitleRitikavya Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorilal
PublisherSmruti Prakashan
Publication Year1976
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy