SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्यान झबिया ज्यान-संज्ञा, पू० [अ० जियान] हानि, नुकसान | उदा० १. औरै भयो रुख तातै कैसे सखी ज्यारी क्षति, घाटा । होति, बिफल भये हैं बंद कळून बसाति उदा० उनको बहुरत प्रान हैं तुम्हें न तनको ज्यान -सेनापति -दास २. प्रान प्यारी ज्यारी घनानंद गुननिकथा ज्यारी-संज्ञा, स्त्री० [हिं० जियारी] १. हृदय रसनी रसीली निसि बासर करत गान । की दृढ़ता, साहस, जीवट, जिगरा २. जिलाने -घनानन्द वाली। अपना-क्रि० अ० [सं० भाप] १. उछलना, २. । उदा० कहै पद्माकर सु चंचल चितीनहूँ तें औझक छिपना ३. लज्जित होना, झेपना ४. बंद करना, उझकि झझकीन में फसत है। ढकना [क्रि० सं०] । -पद्माकर उदा० १.चरइ सलिल, उच्छलइ भान्, जलनिधि झपक-संज्ञा, स्त्री० [सं० झंप] शीघ्रता, जल्दी। जल झंपिय । --सेनापति उदा० इभ से भिरत, चहुँघाई सों घिरत घन ३. ता दिन ते वृजनायिका सुन्दरि, रंपति, पाबत झिरत झीने झरसों झपकि झपकि। झंपति कंपति प्यारी । -गंग - देव ४. भयो सपेद बदन दृग झंपै। डोलत दंत झपना-क्रि० प्र० [सं० झंप] टूटना, एकबारगी गात सब कंपै। -चन्द्रशेखर गिरना। झाई-संज्ञा, स्त्री० [सं० छाया] १. प्रतिध्वनि उदा० ठौर ठौर झूमत झपत भौंर झौंर मधु अंध । गूज २. परछाई, प्रतिबिम्ब । -बिहारी उदा० १. दीनी न दिखाई, छांह छोरध्यौ न छवाई झपने-संज्ञा, पु० [अनु० झप] पाने की क्रिया, परयौ बोल की सी भाई जाइ लंका के | झपटना, प्राक्रमण करना। महल मैं। -सेनापति उदा० कहे पद्माकर सु जैसे हैं रसीले अंग तैसी झांकना--क्रि० अ० [हिं० झंकना] १. रोना, ही सुगंध की झकोरन के झपने । पछताना, व्याकुल होना २. खीझना, कुढ़ना । ---पद्माकर उदा० १. देहौं दिखाई तौ पैहौं घनो दुख, झाँको झपाक--क्रि० वि० [सं० झंप, हिं० झप] जल्दी बिना जल की झखियानि मैं । -देव से, शीघ्र । झखराज-संज्ञा, पु० [सं० झषराज] घड़ियाल, उदा० उझकि झपाक मुख फेर प्यारो-रुख और नक्र, मगर । हेरि हेरि हरषि हिमंचल पै अरिगो । उदा० कहैं नंदराम भारी भीतिन के भौंरन मैं भलि --पजनेस भूलि भ्रम झखराजन भिरा करै ।। देखि दुगद्व ही सों न नेकह प्रवैये इन -नदराम ऐसे झुकाइक में झपाक झखियाँ दई । झझकाना---क्रि० सं० [हिं० झझक] डराना, भय -पदमाकर उत्पन्न कराना । झपेटना-क्रि० प्र० [सं. झंप] दबाना अाक्रमण उदा० जज्यौ उझकि झाँपति बदन कति बिहँसि करना। सतराय । तत्यौं गुलाब मुठी झठी झझका- उदा० किय बनबिहार इहिविधि स्यामघन त्रिभुवन वत पिय जाय । -बिहारी रूप झपेटैं। -सोमनाथ झझकीन-संज्ञा, स्त्री० [हिं० झिझक] झिझक, झबिया--- संज्ञा, स्त्री० [हिं० झब्बा] कपड़ों और संकोच, हिचक । । गहनों में लगा हुया तारों का गुच्छा। For Private and Personal Use Only
SR No.020608
Book TitleRitikavya Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorilal
PublisherSmruti Prakashan
Publication Year1976
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy