SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 173
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra है ( १७८ ) अ, द, य चूंकि त्रिव अ फ फ द ज ज व ह और ह स ब में भुजा फ, द ज, यह और सब आपस में बराबर हैं गौर भुण चव, द फ, यज और सह व्यापम में बराबर है और कोन और स समकोन हैं इसलिये चारों त्रिभुज व तरह व्यापस में बराबर हैं यानी व्याधार वफ, फ ज ज ह हू ब ग्रापस में बराबर हैं और कोन अ अ फा, द फ ज य ज ह और स ह व व्यापस में बराबर हैं और कोन अफ व द जफ, यह ज और स वह व्यापम में बराबर है ( १ - सा० ४ ) इसलिये चारों त्रिभुज मिलकर त्रिभुज व स के चौगुने हैं यानी अ व और बस के बराल के दूने हैं (१- सा० ४१ के टि०२ को देखो ) चौर में बराबर हैं इस लाय कि कोन य ब फ बराबर है कोन द फ ज के इसलिये कोन और बफ और फब बराबर हैं कोन द फ अ फ ब के यानी बरावर हैं कुल कोन बज के लेकिन कोच व फ और अ फ ब मिलकर एक ममकोन हैं ( १ - सा० ३२ ) इसलिये कोन ब फ ज समकोन है और और इसी तरह साबित हो सक्ता है कि कोन फ ज ह ज ह ब बफ में से हरएक समकोन हैं इसलिये क्षेत्र ब फ ज ह समकोन चतुर्भुध है और उसकी भुज व फ, फ ज ज ह और ह व व्यापस लिये ब फ ज ह वर्ग बफ परका है और बराबर है वर्गों यानी अब गौर परके वर्गों के (१- सा० वर्ग बराबर चार त्रिभुत्र अ व क फ द ज ज य ह है और के धरातल और दस के योग के जो बहावर के दूने और स पर के वर्ग के इसलिये अ व और बस पर के वर्ग मिल के धरातल के छूने और कर बराबर हैं अ ब और टि. २ सातवीं साध्य का तीसरा सुबूत यह है और बस का धरातल बरावर है अस व स श्रव वल ब स यस परके वर्ग के स सब के घर तल स व और और परके वर्ग के ( २- सा० ३ ) इसलिये अव बस के और धरातल का टूना बराबर है अ स और स ब के धरातल के टूने और सब पर के वर्ग को दूने के इन दोनों बराबरों में से वरया में अस पर का व मिलाया इसलिये अ ब र ब स के धरातल का दूना और च स पर का वर्ग मिलकर बराबर हैं अस के धरातल के दूने और ल व पर और सब के वर्ग के टूने के और अ स पर के वर्ग के लेकिन च स और और अस पर के वर्ग मिलकर बराबर है यव चोर स व पर के वर्ग के (२०) इसलिये अब और व स पर से सब के धरातल का दूंगा मिलकर पर बावर न्य ज www.kobatirth.org और Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व स के मानस के दूने और For Private and Personal Use Only व चौर अ फ पर ०७, लेकिन ब फजह पौर हस ब
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy