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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १७८ ) १- सा० ४३ उप. अब चूंकि म ज बराबर है जय के इन दोनों बराबरों में से हर एक में ल क मिलाया इसलिये कुल अके बराबर है कु लघ के इसलिये अक औरस य मिलकर दूने एक के २- ख०२ लेकिन शक और सय मिलकर अ क फ मापक पौरस क १ - ख०२ वर्ग हैं इसलिये कफ मापक और स क वर्ग मिलकर टूने अक के लेकिन न्ध्र व और वस के धरातल का टूना भी अक से टूना है क्योंकि व क बराबर है बस के इसलिये अ क फ सापक और लक वर्ग मिलकर बराबर है चद और बरा के धरातल के दूने के इन दोनों बराबरों में से हरएक में हठ जो यल परका वर्ग है मिलाया इकलिये चषक सापक चोर सवा वर्ग और हफ वर्ग मिलवार परावर व और बस के घरातल के टूमे और अस परके बर्ग के ह लेकिन अकफ़ मापक और स क वर्ग और वर्ग नि लकर चदयव और स क क्षेत्रों को जो अब और बस पर के बर्ग हैं बनाते हैं इसलिये अव और बस परके वर्ग मिलकर बराबर अब और व स के धरातल के दूने और न् स पर के वर्ग के पाल- इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त यही साबित करना था टि०१- सातवीं साध्य का दूसरा मुबूत यह है अस पर अदय स वर्ग बनाओ और दअ, और सयको बढ़ाकर च फ द ज और यह यद CTET a के बनाओ और वफ, फज, जन्ह और हब को मिलायो For Private and Personal Use Only VII ↑ Ú स ख
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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