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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४ मेहानान] [मोर महानहान-वि० विनाश पुं० पायमाली भामतु-१० थोथा वि० खोखला पानी-५० ऊधमी वि० शरारती भागीर-न. जीन पु० भोपियो- दूत पु. कासिद भोयर-10 प्राचीन युग पु० गुजरा येम श-वि० क्षेमकुशल पु० राजी बमानाः मोर-श्री. शोध स्त्री० खोज खुशी के समाचार मोट-स्त्री. गलती स्त्री० खामी; मेरमा-वि० शुभेच्छु वि० खैरख्वाह मोटा-स्त्री. असत्य पु० झूठ; हरामीमे२१-स०० खदेड़ना स०क्रि० पन मेरसया-स्त्री. समाधान पु० सुलह मोटी-20 विलम्ब होन। अ० देर होना मेरात-स्त्री. दान पु. खरात । मोटी --वि० आलसी पु० सुस्त मेराती-वि० धर्मार्थ पु० खैराती | मोटु-१० असत्य वि० झूठ; बेवा श-वि. अधिक वि० ज़ियादा; मो-स्त्री. दोष पु० नुस्ख; शारीरिक अ० बिना खामी; कलंक मेल-पु. क्रीडा स्त्री० खेल माया-न० खेतके प्रवेश-स्थानपर मेस-म०४० क्रीड़ा करना अ०कि. गड्डा खोदकर उसपर लकड़ी का खेलना बनाया हुआ संकड़ा रास्ता पु० मेव-पु० पल पु० क्षण; स्त्री० वेलामोडी:-वि. ढीठ वि. जिद्दी; दोषी अपना-स्त्री. संभाल स्त्री० निगरानी मई-वि० खंज वि. लँगड़ा मेस-पु. अंस-परिधान पु• दुपट्टा । मोडे।-पु. नाश पु० बर्वादी मेह-पु. शोक पु० गम मोत२'-स०० खोदना सक्रि० मक्षा-वि० अत्यन्त अशक्त वि. मोतर-न० मिस पु० बहाना बहुत कमजोर मोह-स०० खुदाई का काम स० क्रि० थेय-स्त्री. आकर्षण पु० खिंचाव; भोपरी-श्री. माथा पु० सर श्राग्रह मोइ-पु. क्रोध पु०गुस्सा मैं-श्री. शुष्कता स्त्री० सूखापन मोमो-पु. अंजलि स्त्री. भा-स्त्री. स्वभाव पु० आदत मानना-स्त्री. कमी स्त्री० कोताही मोठ-स्त्री० झूला पु० पालना भोया-न• जलती लकड़ी स्त्री० मोम-वि० भारी भरकम आवाज मोर-स०० अंगारोंको खदेड़ना वाला वि०; अघटूटा सक्रि० For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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