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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir य] ३७ [४ डियो-Y• थवई पु• राज ने-५० समीप अ० नजदीक -स्त्री. अकोड़ा पु. की इनवाजियो-५० चोरका बाहर खड़ा डीती-वि० दृढ़ पु० मजबूत साथी पु. 3312-३५० सपाटाबंध अ. दनादन ना-40 [६० एक बाजू मुका -वि० कुरूप पु० बदशक हुअा अ०कि. पढापा-पु. कोश पु. तकलीफ | 3-4-स्त्री० पुत्री स्त्री० बेटी दि-वि. खूष गर्म किया हुआ वि. ४५८-१० प्रपंच पु. दगा प्रौटाया हुश्रा पी-वि० प्रपंची पु० दगाबाद ४-५० कन पु० दाना ४५२-वि० दुरूह वि० मुश्किल रिया-पु. अनाज बेचनेवाला पु० ४ात२-वि० कुपात्र वि. नालायक उतरातु-वि• भयभीत वि० डरा हुआ। ४॥शया-पु. बिनौला पु. तन-स्त्री. हत्या स्त्री० कत्ल पाणट-स्त्री० सरपच्ची स्त्री० माजतार-स्त्री. पंक्ति स्त्री• कतार पच्ची 34नी-स्त्री० कथा स्त्री किस्सा योत-न० पारावत पु० कबूतर ४ -०. विनष्ट होना अक्रि० पोर-पु. गाल पु० । बर्बाद होना उपादित-वि० मिथ्या वि० बनावटी या-स्त्री. वार्ता स्त्री किस्सा -वि० क्रुद्ध पु०. खना ममोसी-स्त्री. चरणस्पर्श पु. कदम शे-व० बेढंग वि०. बोसी | मलगी-यु० संपत्तिपर कब्जा ४६२-स्त्री० सम्मान पु. कद्र करके रकम लेना पु. ४६२-१० कुरूप वि० बदनुमा पनि यात-स्त्री० कोष्ठबद्धता स्त्री० उहाय-स. कदाचित् अ० शायद कब्ज १२-१० सुदृढ़ वि० मजबूत। पन्ने-अधिकार पु० कब्जा ही-५० कभी अ० ३७५३-वि० मूर्ख वि० बेअकल अनाव-पु. पतंग पु० ४५७-२०१० दुःख देना सक्रि० -स०. कष्ट देना स०कि. सताना हैरान करना ४५२-स्त्री० समाधि स्त्री० मजार निष्ठ-वि० सबसे छोटा पु., हलका | ५५-वि. बुरा वि० खराब For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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