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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रभु [ પ્રસાદ प्रभु-५० स्वामी पु० मालिक; परमात्मा प्रा५-पु. रुदन पु० रोना प्रभुत्व-१० स्वामित्व पु० मालिकी प्राम-वि० लुभानेवाल। पु० प्रमेह- पु. फरक ललचाने वाला अमय-स.•ि मंथन करना प्रति-म०[8प्रवर्तन करना, प्रम-पु. हर्ष पु० खुशी फैलाना अभE-बी० युवती स्त्री० जवान औरत प्रवास- यात्रा काल पु० मुसाफिरी प्रभाए-10 प्रमास पु० सबूत प्रवास- बहाव पु. प्रभारभूत-१ि० प्रामाणिक वि० प्रवाहित-१० बहता हुआ वि० विश्वासपात्र प्रवा-पि० तरल वि. प्रभास२-१० मापसे वि० प्रा-वि० कुशल पु. होशियार प्रभारे-म० रीतिसे अ० तरहसे प्रत्त-१० दत्तचित्त पु० मशगुल प्रमाद-पुं० आलस्य पु० गफलत प्रति-स्त्री. उद्योग, हलचल प्रमान-1. परिमार्जन पु० साफ- प्र-१० वर्द्धित पु. बढ़ा हुआ करना प्रवेश-पु. भीतर जाना पु० दाखिला प्रभुम-पु. प्रधान पु० खास; सभापति प्रवेश६।-० द्वार पु० दरवाजा प्रमोह-५० अानन्द पु. खुशी प्रशय-वि. प्रशंसनीय प्रयत्न-पु. यत्न पु० कोशिश प्रशस-वि० प्रशंसा करनेवाला पु० अथाए-न० गमन पु० कूच प्रशस-स्त्री० तारीफ प्रयास- चेष्टा स्त्री कोशिश xaiत-वि० धैर्यवान पु. प्रयुत-वि. प्रयोजित प्रश्न-पु.न. सवाल पु० प्रयुत-वि० दसलास वि० प्रअविराम-10 प्रश्नवाचक चिह्न पु० प्रयोग-पु. उपयोग पु. साधना प्रसन्न-५० भानन्दी पु० खुश; सन्तुष्ट प्रया - लेखक पु० ; प्रेरक प्रस२- प्रसार पु० फैलाव प्रयाग-1. उद्देश्य पु० सबब प्रसव-पु. जन्म होना पु. अयोलित-वि. आयोजित वि. प्रस- अवसर पु० मौका प्र३-१० वृद्धि पाया हुश्रा वि० शा -५० प्रसंगवश पु० मौके से प्ररोह-५० फुनगी स्त्री. प्रसा-० कृपा स्त्री० मेहरबानी; पूजाप्रय-पु. विनाश पु० कयामत काप्रसाद For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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