SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परसा ] १४६ [ પરિપંથી ५२साह- प्रसाद पु. | राय-वि० परोपकारः परसेवा-स्त्री. चाकरी स्त्री. खिदमत सम्मान-१० दूसरेका आश्रय पु० परसेवा-धु, पसीना पु. गैरका सहारा १२२५२-५० आपसमें श्र० ५२१३मी-पि. दूसरेके आसरेपर ५२७२-४०० तजना, छोड़ना । रहनेवाला पर-वि. नियमित श्राहार पु० परहेज राण-न० घास स्त्री० कैदी ५२त-वि. शेष; बाकी ५२'तु-म० किन्तु अ० ले कन प२ि४२-पु. कटिबन्ध पु० कमरपट्ट ५२५२-स्त्री० पूर्व पद्धति स्त्री० पुश्तैनी समूह रिवाज परिग्रह-पु. अंगीकार पु० कबूल, ५रा-स्त्री. अन्यकी; जो अपनी नहीं संग्रह पराम-न० शौर्य पु० बहादुरी परिच-पु. घिराव पु० गोलाई ५।-पु. पुष्पधूलि स्त्री० पश्यिय-पु० जानकारी स्त्री० पहचान पति -स्त्री. पुनर्गमन पु० वापजाना, परियर- सेवकखिदमतगार परिया२४-पु. सेवक पु. खिदमतगार ५२।१य-पुं० पराभाव स्त्री० हार परियित-वि. ज्ञात वि० जाना पहिचाना ५२७-१० हारा हुअा वि० पश्छेिद-पु. सीमा स्त्री० हदः भाग पराली-स्त्री. छोटी लकड़ी परिशन-पु. न० नौकर, सेवक ५ो -५० बलात् अ. जबर्दस्तीसे | परिश्य-पु० विवाह पु. शादी पराधीन-वि० परतंत्र; गुलाम परिणाम-न० फल पु० नतीजा परापूर्व-पु. प्राचीनकाल पु. मेंदीमी | परिणीत-वि. विवाहित वि० शादीशुदा बत ५२ -५० पराजय स्त्री० हार परिताप-पु. संताप पु. पराभुत-५० पराजित पु• हारा हुआ जित प. द्वारा हा परित्याग-पु. त्याग पु० पराव-वि० तल्लीन पु० मसगूल | परिधान- वस्त्र पहनना पु० कपड़ा; वत्र परायतन-1. परघर पु० गैरमुकाम परायु-वि० राया पु• गैर परि५:१-१० पका हुआ वि० ५।२-० बीता या प्रानेवाला तीसरा परिपत्र-पु.१० सूचना-पत्र पु० वर्ष पु० परि५था- दस्यु पु• डाकू For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy