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________________ संग्रामे संघले पूर्व। नदी वाविद्यमरथाननाम तं परिज्ञानमुवश्यमेव । रशिशनानिनिरोध मनास्वाधिकार-कुर्य शत्रु पक्ष विपक्षादेशका बरे परिजानुगनिमास्यैः प्रकारै: धार्मिक पंचशनि का योधा पर सहस्त्रधारा जनगाय राशीयः विधमोराचामतिरपि विनाशयनो। मयाव्यायेने ना रंगमन्न मनोहार सर्वे सहस्य सामग्रयं पनि नदिन मान कोपनम् सर्वे धार्मिका योधा सुसज्जिता दिव्यायुधासहिता नगरिजार्थ अंचवीकनिजपाप यदिदेवयोगोदकमा कार्याधार्मिकाविश सुन्यावयन्जे वालादजस्था बन्यः शत्रुहननान्यथा येनकेनापान स्वस्थानीराज धानसार युद्ध न करोमि विजये राजनदामी पाप्यते राजविद्याराविन्यः विजयप स्थित: X A 4. A JA 41*22*££70. pAday Ajuo asn jeuosed puy and Joy goy gegnu विद्यम्य-पायी दुराचारीन्य मम " माया प्रकृतिवपि पतिशमचारी 3-न्याराउ, तैयल कन स्थान वावस्था ★ स्थिता रक्षितानान्यथा पयाधिक 4. रविविजयराज जागी पा 2007→ A OPEELPEPP 06/7// 04444444 71167 04444 4AAK at not at जगद्धिताधार्मिकामासना बलस्य मुममाया पकूजितम् न्यूनेपि सहज कुवरि: सेना प्रकाशदर्शम् 414 4 pueue unsuebesse jey seeyp AdAn ++ 4 Y 6 不爷爷爷爷麼 A 444444 24 ३ 6Joeqo MMM to A: • डामे थे,कासहिजा है बाम्बस्वास का भरसहित मश्वारुढ वाम् कानासाहे पादरी नार 1- कष्टादीनारयाग कापसासे कुन्ना सोहना जगात धर्ममामाए: - सहायता सामराय प्रेष्णानि संजि धार्मिकाणां सेनास्थाने स्थान MMM 90. 444444 014 eupuay eueupery uer Jews
SR No.020594
Book TitleRajvidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbramhachari Yogiraj
PublisherBalbramhachari Yogiraj
Publication Year1930
Total Pages308
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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