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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra स www.kobatirth.org , स स १ देखो वेस' २ देखो 'बेसर' ३ देखी 'वेस्या'। ४ देखो 'वैस्य' ५ देखो' ( ६६८ ) सास (सि) - देखो 'विस्वास' । सासणी (बी) - देखो 'विस्वासणी' (बी) | बेसिक पु० [सं० वैशिक] वैश्यागामी एक नायक । वैसी - स्त्री० १ वंश्य की स्त्री । २ एक प्रकार की गाथा । सणी - स्त्री० १ चार प्रकार की गाथानों में से एक। २ वैश्य वैसौ वि० १ जैसा कोई पहले था वैसा, उसके अनुरूप । २ उस की स्त्री । - प्रकार का । वणव (बु.) [वि० [सं० वंध्य] विष्णु का, विष्णु संबंधी - पु० १ विष्णु का उपासक या भक्त । २ विष्णु का उपासक बेसक -स्त्री० [सं० वेशक ] १ वेश्या, रंडी । २ देखो 'बेसक' | ३ देखो 'बैठक' | सणी (बी) - देखो 'बैठणी' (बो) । सन- देखो विस्णु' सनर देखो 'स्वानर बेसन १ देखो 'स्व' २ देखो 'विष्णु' ३ देखो' बैसो' सण- देखो बेसरणौ । सनो-देखो''। सर दो'स्थान' । वैसयिक - वि० [सं० वैषयिक] १ किसी पदार्थ का, पदार्थ संबंधी । २ लपट विषयो । लोण (न) - पु० [अ० बेस्जिन] मल्हम की तरह का एक स्निग्ध पदार्थ जो शीतकाल में त्वचा की सुरक्षार्थ काम में लिया जाता है । (ब) ० १ दफनाना गाड़ना २ देखो 'बैठाणी' (47) I साख-पु० [सं० वैशाख ] १ चैत्र के बाद माने वाला मास, महीना । २ बाण चलाने की एक मुद्रा । ३ घोड़ों का एक रोग । ४ मथ दंड । —नंदण, नंदन- पु० गर्दभ, गधा । वैसाखा - देखो 'विसाखा' । साख (खी) वि० [सं० वंशाखी] 'वैशाख मास का, वैशाख राजा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बेहवार एक सम्प्रदाय । चाप-पु० सारंग नामक धनुष । - स्त्री० [सं० वंशावी ] १ विष्णु को शक्ति २ देवी दुर्गा । ३ गंगा । ४ लक्ष्मी । ५ तुलसी । ६ वैष्णव सम्प्रदाय की स्त्री । वैस्य य-पु० १ व्यवसाय एवं उद्योग करने वाला एक वर्ग । २ बनिया, वनिक | स्था देखो 'देस्या' । यंत्रण १० [सं०] वैधवस] १ शिव, महादेव २ धनपति, कुबेर । ३ लंकापति रावण । वैस्रवणाय, वैस्रवणालय - पु० १ कुबेर की अलकापुरी । २ वट वृक्ष स्वयुग १० विश्वासु धौर पराभाव नामक पांच संवत्सरों का युग । वैस्यानर पु० [सं० वंश्वानरः] अग्नि की उपाधि २ इन्द्र सभा का एक महर्षि । ३ श्रग्नि का एक पुत्र । ४ जठाराग्नि । पाचन शक्ति । ५ वेदांत में चेतना शक्ति । ६ परमात्मा, ईश्वर । ७ प्राग, प्रथिन । स्वामित्र - पु० विश्वामित्र । वहंग देखो 'विहंग'। वैचणी (बौ) - देखो 'बेंचरणों' (बो) । वैहंडणौ (बो) - देखो विडणी' (बो) । वह १ देखो 'यस' २ देखो 'विधाता' ३ देखो 'वे'माता' वणी (बौ)- देखो 'वही' (बो)। वहतोवांण - १ देखो 'वंतियांरण' । २ देखो 'वहतीवांण' । हरणों (बी-देखो'री' (बी) वैहराणी (बी), वंहरावणो (बी) - देखो 'बंराणी' (बी) । वैहळ, वैहल - वि० १ बिना हल का उपाय रहित । २ देखो 'बद्दल' । 2 मास संबंधी स्वी० १ वंशाख मास की पूर्णिमा, एक पर्व दिन | २ वैशाख शुक्ला तृतीया, अक्षय तृतीया । ३ सौर मास की संक्रांति का उत्सव । पत्नी । ५ लंगड़े आदमी द्वारा बगल में लकड़ी को घोड़ी। ४ वसुदेव की एक लेकर चलने की साखो-देखो 'साथ' साड़ी (ब), साणौ (बौ) - देखो 'बैठाणी' (बो) । बंसार देखो वानर'। वैसारण - देखो 'सारिए' । सारणी (बी) देखो बैठा (बो सारिणस्त्री० [सं०] वारिणः] मी वैसाल-पु० [सं० वैशाल] १ राजा विशाल द्वारा बसाया हुधा वैहलणी (ब) - क्रि० बुझना । एक नगर । २ एक प्राचीन ऋषि । बहल, बैहली-देखो 'बहुत'। - सालिनी स्त्री० [सं० वंशाविनी] विशाल " राजकुमारी । कोहळा, हलौ वि० (स्त्री० [ळी हसी) १ दुःखी, व्यथित, व्याकुल । २ मत, उन्मत्त । ३ शीघ्र, तुरंत । हवार देखो 'व्यवहार' | सावण (ब) - देखो 'बैठाणी' (बी) । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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