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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लेखिणि ( ५४२ ) लेखिणि (णी)-देखो 'लेखणी' । लेमटो-पु. बाजरी या ज्वार का दलिया। लेखिराति (ती)-पु०सं० लेख्यराति] कुत्ता, श्वान । लेरियो-पु० विभिन्न रंगों की धारियों वाला मोढने का वस्त्र,साफा। लेखू-देखो 'लेखो'। लेलरी, लेलरी-स्त्री० १ दीवार या पत्थर पर लगने वाला लेखे, लेख-अव्य१ किसी के नाम। २ किसी के निमित्त । | रोग, कीटाणु । २ एक प्रकार की चिड़िया ।। ३ किसी के खाते में। ४ हिसाब में, गिनती में। ५ अनुसार। लेलरू-पु. एक प्रकार का घास । ६ काम में, उपयोग में। | लेलहान, लेलिह, लेलिहान-पु० सर्प, सांप । लेखपासो-पु० बही का दाहिना भाग, नाम, खर्च या बकाया लेळो-वि० १ जिसके लार टपकती हो । २ भोला । लिखने वाला भाग। लेव-पु. [सं० लेप] १ लप, लेपन । २ स्पर्श, प्रसर । लेखो-पु. १ हिसाब-किताब, पाय-व्यय विवरण। २ खाता।। । ३ पपड़ी। ३ गणना, हिसाब । ४ गिनती, गणना। ५ व्यवहार । | लेबड़, लेबड़ी-पु० चूने, रंग प्रादि की पपड़ी। ६ समता, बराबरी।। लेबरणो (बो)-देखो 'लेणी' (बी)। लेडो-पु. ऊंट का पतला मल । लेबाड़, लेवाड़ी, लेवाळ-वि० १ लेने वाला। २ खरीददार, लेचि (छी)-देखो 'लची'। ग्राहक। 'लेजम-स्त्री० फा० एक प्रकार का धनष। २ प्रनष | लेवी-स्त्री० सरकार द्वारा किसानों से की जाने वाली अनाज चलाने के प्रयास हेतु बनी लचकदार कमान । वसूली। लेट-स्त्री०१ लेटने की क्रिया या भाव, सोना।२ विलंब, देरी । लेवी-पु. ऊनी वस्त्रों में लगने वाला कीड़ा विशेष । लेटणो (बो)-क्रि० [सं० लेटनम्] १ सोना, सोजाना। २ जमीन | लेस-वि० [सं० ले श] १ प्रत्यल्प, घोड़ा, किंचित । २ सूक्ष्म । पर लौंबा पड़ जाना। ३ नींद में सो जाना। ४ पाराम ३ रंच मात्र । ४ तनिक । ५ प्रणुमात्र ।-पु०१ एक अलंकार करना। विशेष । २ देखो 'लस' । लेटाणो (बो), लेटावरणौ (बी)-क्रि० १ सुलाना, सोने के लिये लेसाळ, लेसाळा-देखो 'नेसाळ' । प्रेरित करना । २ लबा पटकना । ३ माराम कराना । लेसाळियो, लेसाळीयउ-देखो 'नेसाळियौ' । लेठी-पु. कमी। लेस्या-स्त्री० जीव की प्रात्मा की, कर्मों से संबंध की एक लेड-पु० माभूषण विशेष । अवस्था । लेलेडो-वि० (स्त्री० लेडी) १ मूर्ख, बेवकूफ। २ कायर, डरपोक। . लेहंगा-देखो 'लहंगो'। लेण-देण-देखो 'लेन-देन'। लेह, लेहण-पु० [सं० ले ह्य] १ भोजन, पाहार । २ पानन्द, मजा। ३ चाटकर खाने की वस्तु। ४ चटनी, चाट, लेणरित-पु० भिखारी, याचक । प्रवलेह । ५ ग्रहण का एक भेद । लेबहार-वि० लेने वाला। लेहणी-देखो 'लेणी'। लेणी (बो)-देखो 'लेणी' (बो)। लेहणी (बो)-कि० [सं० लेह] १ चाटना । २ स्वाद लेना । लेन-देन-पु. १ लेने-देने की क्रिया। २ गिरवी का धंधा। ३ चखना। ३ व्यापार । लेहल्ल-वि० पकड़ रखने वाला। लेप-पु० [सं०] १ दीवार या किसी वस्तु पर पोतने का गाढा लेहासमा-स्त्री. लेखक सभा, लेखक मंडली। पदार्थ, लपन । २ लेपन या पुताई की क्रिया । ३ उबटन, लेह्य-वि० चाटने योग्य। मालिश। ४ उबटन का पदार्थ । लैंगिक-पु० [सं०] लिंग द्वारा प्राप्त ज्ञान या अनुमान ।-वि. लेपक-वि० लेप करने वाला। १ लिंग संबंधी, लिंग का । २ चिह्न संबन्धी । लेपकरम (म्म)-पू०१ लेपन का कार्य । २ स्त्रियों की चौसठ ३ प्रनमानित । कलामों में से एक। लैंगो-देखो 'लहंगों'। लेपणी (बी)-क्रि० [सं० लेपनम्] १ पोतना, पुताई करना। लैंसर-पु० [अं०] फोजी रिसाले का एक भेद । २ उबटन करना, मालिश करना। ३ कोई लेप बढाना।। ल-पु. १ राम । २ प्रलय। ३ उमा। ४ रमा । लक्ष्मी । लेपन-स्त्री. चौसठ कलामों में से एक, लेप । ५ करुणा, दया । ६ अवसर, मौका । ७ ध्यान, लगन । लेबो-वि. ढीला, थूकने की अवस्था जैसा, तीखा। लंबा । ८वश, अधिकार। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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