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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोछम्मि ( ५३६ ) लोलाधर लोछम्मि (म्मी)-देखो 'लक्ष्मी'। लीलगर-देखो 'नीलगर'। लीडीकट-पु० तलवार की बनावट विशेष। लीलगरी-देखो 'नीलगरी' । लोण-पु० १ बरसात के समय धूए की तरह उड़ने वाले बादल । लीलगवाहणी-स्त्री० हंसवाहिनी, सरस्वती। लौर । २ बादल । ३ उचित, वाजिब । ४ देखो 'लीन' । लीलड़-पु० ऊटों का एक रोग। लोणता-देखो 'लीनता' । लीलड़ी-स्त्री० १ न्योहरा, खुशामद । २ गहरे बैंगनी रंग का लीट, लीदड़-स्त्री० हाथी, घोडे, गधे प्रादि का मल । एक बड़ा भ्रमर । ३ देखो 'लीला'। लोध, लोधु लोधु, लोध, लोधौ-देखो 'लीन्हो' । | लोलडो-पु० १ सब्जी के काम का एक प्रकार का मोटा पापड़ लोधड़-पु. छोटा बाज पक्षी । २ देखो 'नोलो'। लीमिरण-स्त्रो० [सं० ऋद्ध-मरिण] मूगा, प्रवाल । लीन-वि० [सं०] १ समाविष्ट, मिला हुमा । २ अनुरक्त, लीलणी (बौ)-क्रि० १ नीला होना, हरा होना। २ निगलना। मासक्त । ३ लुप्त, गायब । ४ किमी ध्यान में निमग्न, | लीलपत-देखो 'लीलापत' । तल्लीन । ५ किसी कार्य में पूर्ण मनोयोग से संलग्न ।। लोलभवाळ (भुपाल, भुवाळ)-पु० इन्द्र, सुरपति ।-वि० उदार, ६ चिपटा या सटा हुप्रा । ७ देखो 'लीन्हो' । दातार। लीनता-स्त्री० लीन हो जाने की अवस्था या भाव, तल्लीनता। लीलरी-स्त्री० शुरौं, सलवट । लीनोड़ो, लीनौ-देखो 'लीन्हो' । लीलवण-देखा 'नालवरण' । लीन्ह, लीन्हउ, लीन्होड़ो, लीन्ही-वि० (स्त्री० लीन्होड़ी) | लीलविलास-पु. १ इन्द्र, सुरपति । २ समुद्र, सागर । ३ प्रष्ट लिया हुआ। वर्णी एक छन्द । ४ अानन्द, मगल ।-वि. १ लीला करने लीपणो (बी)-क्रि० १ लेपन करना, पोतना । २ लिप्त होना। वाला । २ दातार, उदार । ३ डूबना। लीलारण-स्त्री० हरियाली। लीपारणी (बी), लीपाबरणौ (बो)-क्रि० १ लेपन कराना, लोलाम -पु० [पुर्त० लेलम] १ किसी वस्तु या सामान को क्रय पुतवाना । २ लिप्त कराना । ३ डुबाना । करने के लिये तानों द्वारा कीमत बोलने की प्रक्रिया । लीपियोगृपियौ, लोपियोचूपियो-वि० लिपा हुपा, पुता हुमा, २ इस प्रक्रिया से की जाने वाली बिक्री ।-घर-पु० उक्त लिप्त. डूबा हुप्रा। प्रकार का कार्य या व्यापार करने का स्थान कक्ष । लीपी-स्त्री. १ जलाशयों में पानी सूखने पर जमीन पर लीलामी-स्त्री. १ वस्तु या सामान के क्रय-विक्रय के लिये __ जमने वाली पपड़ी। २ चूने का प्रवलेह, भीगा हुप्रा चूना। लगाई जाने वाली खुली बोलो। २ नीलाम करने की क्रिया लीब-१ देखो 'नीम' । २ देखो 'नींबू' । या भाव। लोर-वि० १ फटा हुआ, जीण-शीण । २ देखो लोरो'। | लीला-स्त्री० [सं०] १ प्रानन्द, मौज । २ मनोरंजन का कार्य, लीरडी, लीरडो-देखो 'लीडी' । खेल । ३ खेलने में की जाने वाली अद्भुत या विचित्र लोरी, लीरो-पु. १ वस्त्र, कागज पादि का लंग या छोटा चेष्टाएँ। ४ ईश्वर द्वारा अपने विभिन्न अवतारों में किये टुकडा। २ धज्जी, पट्टो। ३ फल की लंबी फांक । गये अलौकिक कार्य। ५ ईश्वर की माया। ६ रचना, ४ देखो 'लीड़ो'। बनावट । ७ चरित्रगान । ८ गुण । ६ नायिका का एक लोलंग-पु० १ हंस । २ डिंगल का एक छंद ।-वि० लीला भाव, चेष्टा । १० विशेषक नामक छंद का दूसरा नाम । करने वाला। ११ एक छन्द विशेष । १२ एक अन्य वर्ण वृत्त । १३ हरी लीलगरित-पु० तोता. मूवा, शुक । घाम । १४ निसाणी छंद का एक भेद । १५ नाटक, लीलबर-पु० [सं० नील-अंबर] नीला प्राकाश, नील गगन । अभिनय । -करण-वि० लीला करने वाला ।-पु० ईश्वर । लील-पु० १ अानन्द-मंगल, परमसुख । २ पानो की काई । -स्त्री० स्त्रियों की ६४ कलाओं में से एक । ३ हरियाली । ४ प्रहार या चोट के कारण शरीर पर | लीलाड़ी-देखो 'ललाट' । बनने वाला निशान, चिह्न । ५ श्याम स्तनों वाली गाय । लीलाती-स्त्री० [सं० लीलायत] मनोरंजन, प्रानन्द । ६ रंग विशेष को घोड़ी । ७ सारस्वत नगर के वीर-वर्मन राजा का पुत्र । ८ देखो 'लीला'। लीलाधरण-पु० लीला के स्वामी, ईश्वर । लीलग-देखो 'लीलंग'। लीलाधर-पु० [सं०] ईश्वर, परमात्मा। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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