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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रंडी रंडी - स्त्री० गायों की एक नस्ल या इस नस्ल की गाय । रैंडी - पु० उक्त नस्ल का बैल । - देखो 'रण' | रेकी - स्त्री० राजस्थानी का एक छंद । रेणायर - देखो 'रत्नाकर' । - देखो 'रेणु' | रंगो (बौ) - देखो रहरणो' (बी) । रंदी स्त्री० खरबूजे की फांक । रंग देखो 'रमण' । w tant (at) - देखो 'रहणी' (बी) । देखो 'रेवंत' । रेहट - देखो 'ट' | 1 - पू० [सं०] १ धन, द्रव्य २ राजा नृप । ३ सुखधर । ४ श्याम रंग । ५ धर्म, संतोष - अव्य० के । रंक - पु० [अ०] पुस्तकें, सामान प्रादि रखने की खुली घालमारी। कळियो, रंकळी- पु० [स० रेखागतो] १ वह छकड़ा जिस पर बहुतसी बंदूकें लगी हों। २ सवारी के काम की छोटी व हल्की बैलगाड़ी । ३ एक प्रकार की तोप । रंकारी पु० 'तू', 'तुम' यादि का छोटा हल्का संबोधन | रेड - देखो 'रहडू' । 'रहदुग्रो' । रंज-पु० वर्षा के पानी से रखो की फसल होने वाला देव । रेडी- पु० बड़ा पत्थर | रंग-पु० १ राज्य । २ देखो 'रण' । ३ देखो 'रेणु' । ४ देखो 'रहरणी' । रंगका देखो 'रेणुका'। रैणपत ( पति, पती) - देखो 'रयणपति' । - देखो 'रण' । www.kobatirth.org खापत (पति, पती) देखो 'पति' । रंणायर - देखो 'रत्नाकर' । रंगावर देखो रत्नाकर' । (४०१ ) रंगा स्त्री० [सं० रज, रजनी] १ पृथ्वी, भूमि । २ रत्न । ३ धूल, रेत, बालू । ४ रात, रात्रि । रेखाइर रेखायर देखो 'रस्नाकर' रंगावे - देखो 'रांगादें' । गावळि (लो) स्त्री० [सं० रजनी] रात, रात्रि । रैखि, रंखिका, रंगी-स्त्री० [सं० रजनी] रात, रात्रि । रे' गी- देखो 'रहणी' । रंगीचर - पु० [सं० रजनीचर] निशाचर, राक्षस । वि० रात में खाने वाला, रात में चलने वाला, विचरण करने वाला । रेखीय (पति, पती) देखो'पति' । 'गो, (बी) - देखो 'रहणी' (बी) । रंत, रंति, रैती-१ देखो 'रय्यत' । २ देखो रेत' । रैदास - पु० चमार जाति के एक प्रसिद्ध संत । रेवासी पु० 'दास' की सम्प्रदाय का प्रवायी। रंग नि रंगी-देखो''। रैबारण स्त्री० रेबारी' जाति की स्त्री । रेवारी पु० (स्त्री० [वार) भेड़, भेड़, बकरी व ऊटों का पालनपोषरण तथा व्यवसाय करने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । रेबूद रंबूद्यो वि० [फा० रहबूत ] ( स्त्री० रंबूदरण) १ भोलाभाला, सीधा-सादा । २ जिसे सुबह-शाम का कोई ज्ञान न हो । ₹ 'म - देखो 'रहम' ।-दिल = रहमदिल' | रयत देखो 'रम्पत'। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वणी (ब) - देखो 'रहरणो' (बी) । १ देखो 'रंवंत' २ देखो 'क' I या स्त्री० गांव की चौपाल, प्रथाई. बैठक 1 रेळ, रेळी - स्त्री० [अ०रहल] १ ठंडी हवा का झोंका । २ लहर । ३ देखो 'रहल' | रेळौ - पु० कलंक, दोष । रंवंत-देखो 'रेवंत' । , रोई रेवतक पु० [सं०] १ गिरनार नामक पर्वत २ पांचवें मन्वन्तर के मनु का नाम । रेवतीरमण रेवतीरक्षण - देखो 'रेवतीरमण' । रेवणनद (नदी) - देखो 'रेवानदी' । देवा देवी 'देवा'। रेवाड़ी - स्त्री० [सं० राजपाटिका, प्रा० रायवाडी ] १ देवतानों की सवारी निकालने का पालकीनुमा बाहुन २ राजा की सवारी का वैभव पूर्वक परिभ्रमण रेवाड़ीएकादसी स्त्री० भादव शुक्ला एकादशी, भूलनी ग्यारस । रवाळ पु० बनिहान में जागीरदार का हिस्सा देने के बाद रहने वाला अनाज | रंवास, रंवासो-देखो 'रहवास'। रहण (ब) - देखो 'रहणी' (बो) । हळ स्त्री० [१] शीतल वायु की लहर २ देखो 'रळ' | रों - पु० एक प्रकार की घास । रोख, खड़ो-देखो 'हं''। For Private And Personal Use Only रो पु० १ उदर, पेट २ बाल रोमावली ' ऋषि, मुनि ४ तृष्णा । ५ त्रास । ६ रोग, बोमारी । ७ देखो 'रौ' । रोमणी (यो) देखो 'रोबो' बो घाव (बी) देखो 'वाणी' (बो) | रोई- देखो 'रोही' ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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