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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चोपायत मान करना । रुस्ट - वि० [सं० रुष्ट ] नाराज, प्रसन्न । क्रुद्ध | वस्टता स्त्री० [सं०] रुष्टता]] प्रसता नाराजगी को 1 पुस्ट वि० [सं०] हृष्ट-पुष्ट मोटा ताजा स्वस्य । रुस्टि स्त्री० [सं० रुष्टि ] कोप, नुस्खा, कोष । दस्तक - पु० एक प्रकार की मिठाई । दळी, रुल्यो-वि० (स्त्री० रुळी) १ बिना स्वामी या मालिक का अवारा २ बिना देखभाल का । ३ निर्जन । ४ प्रवारा । चरित्रहीन ६ व्यर्थ, फिजून vat - देखो 'रूणी' । रुसवाई - स्त्री० [फा० रोशनाई] १ चमक-दमक । २ प्रकाश, रूखो-देखो 'रूख' । धानन्द, हर्ष, सुनो ४ स्याही रोशनी इसा- देखो 'रसा' । सारणी (at) - क्रि० [सं० रुष्ट्] नाराज होना, क्रुद्ध होना । www.kobatirth.org रळीयायत देखो 'रळियाइत' । खड़ो, (ड़ौ) - देखो 'रूख' । क्रेट वि० १धवारा परिषहीन व्यभिचारी २ दुष्ट, नोच खरा (६) स्त्री० [सं०] दुख रात्रि) १ वृक्षों की कतार । , उद्दण्ड २ वनस्पती । सिगार पु० [सं०] वृक्ष-वार]] १ चंदन २ प फूल - फल रूखावळि (ळी) - स्त्री० १ वृक्षों की कतार, श्रेणी । २ वनस्पती । वाळी पु० बंदर ( ४९५ ) - रुहपत - स्त्री० [सं० पत्ररुह ] पृथ्वी, धरती । बहरा देखो 'रुधिर । रहिनाळ - पु० रक्त का नाला, धारा । रुहिर - देखो 'रुधिर' | ० एक प्रकार का कंटीला वृक्ष । झट पु० १ भंझट, झमेला । २ रुझ । रूठ-पु० १ लक्कड़, लकड़ा । २ सूखा पेड़ । रुस्तम - पु० १ फारस का एक इतिहास प्रसिद्ध पहलवान । २ कोई रूंड-पु० १ एक मात्रिक छंद विशेष । २ देखो 'रु'ड' | बड़ा वीर व्यक्ति । रुंडमाळ - देखो 'रु' डमाळ' | रुस्तम-स्त्री० वीरता, बहादुरी डळी-देखो 'रू'ड' | रूण- देखो 'रूण' । रूणझूण- देखो 'रुणझुण' । हराळी स्त्री० [सं० रुधिर + प्रालुच] रक्त की, रक्त संबंधी रुगणी (बौ) - देखो 'रुणझुणी' (बी) । हा हाड़ी-स्त्री० मनोरथ, इच्छा। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - केश, रोम, बाल । , गटाळी - स्त्री० मेंड़ । वि० जिसके बाल अधिक हों । रूंगी-स्त्री० सनक । हंगोली - वि० स्त्री० गीली सनकी, तुनक मिजाज गू, गौ- पु० प्रश्र बूंद, मांसू । [वि० जिसके पांव तिरखे पढ़ते हो । रुहेलखंड - पु० श्रवध के उत्तर में, रुहेला पाठनों का एक क्षेत्र । रुहेला स्त्री० उक्त प्रदेश के पठानों की एक शाखा । रुहिराख - पु० [सं० रुधिराख्य ] एक प्रकार का रत्न या मणि । वारणी (बी), रुदावली (बी) - क्रि० हिराळ-देखो 'हरि' । बहुला देखो 'रहेगा'। रूपाळो - वि० (स्त्री० संग्राळी) १ रोमयुक्त, रोमवाला । २ सुन्दर, कांतिवान । रूख पु० [सं० रुक्ष ] १ पेड, वृक्ष । २ पौधा । ३ वंश वृक्ष । रूखड़, रूखलौ पु० १ दरियायी नारियल का खप्पर लेकर प्रलख जगाने वाला फक्कड़ । २ बंदर । ३ रूख, पेड खड़ियो वि० १ वृक्षों पर बसने वाला २ मूर्ख पु० 1 १ बंदर । २ पेड, रूख । बड़ी वी० जड़ी-बूटी वनस्पती १ पैरों तले कुचलवाना, रुंदवाना | मसलाना । २ अधिकार में कराना । ३ रुकवाना | (ब) कि० [सं० नम्] १ रोकना २ करना । ३ प्राच्छादित करना। ४ विचारों में उलझाना, फंसाना । ५ घेरना, आवेष्टित करना । ६ रौंदना, मसलना । 'देखो 'ई', 'रोम' | बाली स्वी० कांति, दीप्ति २ रोमावली - वि० सुंदरानी (बी), धाणी (बी), धारणी (ब)-०१मनोहर । २ 'देखो 'वाली' । वाना। २ श्रवरुद्ध कराना। ३ प्राच्छादित कराना । ४ विचारों में उलझाना। ५ घेराना, मावेष्टित कराना । ६ दाना, मसलाना । तोड़-० रोम के जड़ से उखड़ने से होने वाला फोड़ा। वणी (बौ), वळणो (बौ) - क्रि० १ पैरों से कुचलना, रोदना । मसलना । २ अधिकार में करना। ३ रोकना । རྩ་བ 1 रून स्त्री० रोने की अवस्था या भाव, रुलाई । बड़ी For Private And Personal Use Only स्त्री० [१] विलून बाहर निकालने का उपकरण । २ फोड़ा, फुंसी हंबरी पु० जाति विशेष का मोड़ा। रूम देखो रोम' ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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