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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पंतो पैंती- पु० भेद, रहस्य | त्रीसी-देखो 'पेठीयों नाग- देखो 'नाग' । पेसट - देखो 'पैंसठ' | पैकंबर - देखो 'पैगंबर' । पंक [वि० [फा० बैंक ] चतुर, होशियार, कुशल, प्रवीण कनभाव - पु० हाथी की एक बीमारी । www.kobatirth.org ( ९९ ) , पेट-देखो 'पेठ' । के लिये अभ्यस्त करना, प्रशिक्षरण देना । स- वि० [सं० पञ्चषष्ठि] साठ और पांच पु० साठ और पंठ स्त्री० [सं० प्रविष्ठ १ प्रवेश गति पहुंच २ मूल हो पांच की संख्या व उसका अंक, ६५ । पैंसठमा (व) - वि० पैंसठ के स्थान वाला । - वि० स के भ खोजाने पर उसके स्थान पर लिखी जाने वाली हुण्डी । ३ भरोसा, विश्वास । ४ साख, प्रतिष्ठा, इज्जत । ५ चरित्र । ६ कार्य कुशलता, दक्षता । ७ जानकारी, ज्ञान । सठी पु० ६५ का वर्ष पैठणी (बौ) - क्रि० [सं० प्रदिष्ठम् ] १ प्रविष्ठ होना, घुसना । २ गहरा जाना, उतरना । क पं वि० [सं० प्रभा ] १ सुन्दर, मनोहर २ चमकदार [सं० पद] ३ पैदल, प्यादा पु० [सं० पद १ चरण. पैर । २ पद, श्रोहदा । ३ सगा संबंधी । ४ पैसा, टका । श्रद्धा [सं०] [स] दूध ७ जन, पानी पयज] ८ कमल, नीरज - क्रि०वि० १ ऊपर पर । ३ पास, निकट । ४ किन्तु, लेकिन ५ अनन्तर, पीछे । 1 २ [सं० में कळी ० १ बड़ी जू २ देखो। पैकाम पु० [फा०] पैकान] तीर की नोक पैकार - स्त्री० [फा०] १ लड़ाई, युद्ध । [फा० पायकार ] २ फुटकर सौदा बेचने वाला व्यापारी । ३ देखो 'पेसकार' । पैकेट पु० [० ] छोटा गट्ठर, पुलिंदा । | पैगंबर- पु० [फा०] ईश्वर का संदेश वाहक धर्म प्रवर्तक । पंबरी० [फा०] १ पैगंबर होने की अवस्था या भाव। २ पैगंबर का पद । पंचांग-पु० संदेश, सूचना, खबर पंडकाळी १० जीना, सोड़ी पेड़णी (बो) - देखो 'पहड़गी' (बी) । 1 ही स्त्री० [१] जीना सीढ़ी २ सिचाई के लिये जलाशय से पानी लाकर डाले जाने का स्थान, पोदर । ३ डिंगल का निसांरगी छंद विशेष । ४ देखो 'पेड' । बैड़ी पु० [सं० परिधि] १ पहिया, चक्का, चक २ जा चक्र । जाटों का बड़ा मृत्यु भोज । ३ खोए की एक मिठाई विशेष । ४ मकान पर पट्टियां चढ़ाने के लिए बनाया गया रास्ता । ५ देखो 'पेड़ो' । 'बाल स्त्री० [सं० प्रत्याभिज्ञान] १ परिचय पहचान २] जानकारी । 'चलो (बी) - देखो 'पहचांगरणी' (बो) । पैज स्त्री० [सं० प्रतिज्ञा ] १ प्ररण, प्रतिज्ञा २ प्रतिस्पर्धा । प्रतिद्व ंद्विता । ३ मर्यादा, सीमा । बंध-वि० प्रतिज्ञा वीर प्रति मर्यादा रखने वाला प्रतिस्पर्धा करने वाला । पंजार - पु० [फा०] जूता, उपानह । पेटवली (बी) क्रि० [सं०] प्रविष्ठम्] नये बैलों को कृषि कार्य Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पैठवांन, पंठवांनियो- पु० १ विश्वसनीय व्यक्ति । २ रेल की लाइन बदलने वाला कर्मचारी । पंडाली (बी) कि० १ प्रविष्ठ कराना, पुमाना २ गहरा भेजना, उतारना । हार-०१ प्रवेश २ प्रवेश द्वार दरवाजा | पेठावणी (बी) - देखो 'पठाणी' (बो) । पंडि-देखो बैठ पैनाग पंड - स्त्री० १ कुए के पास बना ढालु रास्ता जिस पर बैल चलते हैं । २ देखो 'पंडी' । पैरागी - देखो 'पांणगी' । पंडी पु० १ गाटा' या रहट में भीतर की मोर चलने वाला वेद २ देखो 'पैडी'। पेली-देखो ''शो'। पत्रक, पैत्रिक वि० [सं० पैतृक] पूर्वजों का, पूर्वजों से चला भा रहा, पुश्तैनी पैदल- वि० [सं० पाद तल] १ पैरों से चलने वाला, प्यादा । २ बिना सवारी का क्रि०वि० पैरों से, पांव पांव । -पु० १ पांवों से चलने की क्रिया या भाव। २ पैदल सिपाई । ३ शतरंज की एक गोटी, प्यादी । वंवादि० [सं०] १ उत्पन्न, प्रसूत जम्मा हुधा २ प्रति " कमाया हुआ । ३ प्रकट, उपस्थित । पैदाइस पैदास-स्त्री० [फा० पैदाइश] १ उत्पत्ति जन्म २ प्राप्ति । ३ श्रय, ग्रामदनी । ४ उत्पादन । ५ निर्माण । ६ सृजन, रचना । पैदावार, पैदावारी - स्त्री० [फा० पैदावार ] १ फसल उपज । २ ग्रामदनी प्राय । पैदास - देखो 'पैदाइस' । पैना देखा पिनाक' २ देखो 'नाग' । " For Private And Personal Use Only पैनाग, पैनायक - पु० [सं० पन्नग] १ सर्प, सांप । २ हाथी, गज । ३ देखो 'पिनाक' |
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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