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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थकार थतार्थई थकार-. 'थ' वर्ण। थटक, थटक्क-देखो 'थाट'। थकाव, थकावट-स्त्री० १ थक जाने की अवस्था या भाव । | थटणी (बी)-क्रि०१ शोभित, होना, शोभायमान होना । २ शिथिलता, कमजोरी। ३ आवेग, उत्साह आदि की २ सुसज्जित होना । ३ तैयार होना, उद्यत होना, कटिबद्ध कमी । ४ मंदी, धीमापन । होना । ४ इकट्ठा होना। ५ डटना । ६ प्रकट होना, थकावणी (बौ)-देखो 'थकारणो' (बौ)। उत्पन्न होना । ७ प्रविष्ट होना, घुसना । ८ अवस्थित होना । ६ हटना, मिटना, प्रभाव समाप्त होना। कित-वि० [सं० स्थकितः] १ थका हुअा, शिथिल । २ मुग्ध, मोहित । ३ आश्चर्य चकित, भौंचक्का । १० संगृहीत या एकत्र होना । ११ खदेड़ा जाना, पराजित होना। थकियौ-देखो 'थको'। थटा-स्त्री० सेना, फौज। थको-प्रत्य० [सं० स्थित] से। -क्रि०वि० १ लिए, वास्ते । थटायट -देखो 'थटोथट'। २ के समय, में। ३ कारण से। ४ पर। ५ होते हुए। -वि० ६ स्थित, विद्यमान । थटीलो-वि० (स्त्री० थटीली) १ ठाट-बाट से रहने वाला। धकेलो-देखो 'थाकेलो'। २ शौकीन । ३ मस्त, प्रसन्न । थटेत, थटेल, थटेत, यटेल-वि० १ योद्धा, वीर । २ ठाट-बाट थक-देखो 'थकी'। थको--वि० [सं० स्थित] (स्त्री० थकी)१ होता हुमा, रहता हुमा, | से रहने वाला, ऐश्वर्यवान । स्थित । २ हुवा हुआ। ३ वाला, का। -क्रि०वि० १ से। थटोथट-वि० पूर्ण, पूर्ण भरा हुआ । -क्रि० वि० लबालब । २ ही । ३ होकर । ४ रूप से । | थट्ट-वि० १ बहुत अधिक, अत्यधिक । २ देखो 'थाट'। थक्करणौ (बो)-देखो 'थाकरणो' (बी)। थट्टणी (बौ)-देखो 'थटणो' (बौ)। थक्यौ-देखो 'थक"। थट्टो-१ देखो 'थट' । २ देखो 'थाट'। थग-पु० १ हद, सीमा। २ तट, 'किनारा। ३ थाह। ४ ढेर, | थड-१ देखो 'भड्डौ' । २ देखो ‘थडौ । समूह । थडउ, थडियो, थडौ, थड, थड्डौ-पु० १ कधे आदि से दिया गया थगणा-स्त्री० [सं० स्थगणा] पृथ्वी, भूमि । धक्का, टक्कर, आघात । २ देखो 'थड़ो' । थगवगणौ (बौ)-क्रि० लड़खड़ाना, डगमगाना। थढकणौ (बौ) थढकरणौ (बौ) थढणौ (बी)-क्रि० १ संहार थड़-देखो 'थड़ों'। करना, मारना । २ गिराना, पटकना । ३ धक्का देना । थड़क्क-स्त्री० धड़कन, कंपन, थर्राहट । थण, थरणचौ--पु० [सं० स्तन] १ स्त्री या मादा पशुणों के कुच, थड़क्कणौ (बौ)-कि० धड़कना, कांपना, थर्राना। दूध वाले अग, स्तन । २ पुरुषों के वक्षस्थल के स्तन थडगो (बौ)-क्रि० १ भीड़ होना, समूह बनना। २ धक्का चिह्न। ३ स्तनों का दूध । -अंतर-पु० हृदय । मुक्की होना । ३ पचना, खपना । ४ देखो 'थुड़णी' (बौ) । -कढ़-पु० ताजा दूध, धारोष्ण । थड़बड़-स्त्री० लड़खडाने की क्रिया या भाव । थिरणय-वि० [सं० स्तनीय, स्तन्य स्तन का, स्तन संबंधी । -पु० थड़ियो-देखो 'थड़ो'। स्तन का दूध । --सह-पु० अत्यधिक रति सुख से थड़ी-स्त्री० १ छोटे बच्चे के खड़े होने की अवस्था । २ अनाज | उत्पन्न शब्द । का छोटा ढेर । ३ पंचायत भवन (मेवात) थरणी-स्त्री० १ बकरी के गले में स्तन की तरह लटकने वाला थड़ी-पु० [सं० स्थल] १ मृत व्यक्ति के दाह संस्कार के स्थान मांस । २ हाथियों के कान के पास तथा घोड़े के लिग के पास लटकने वाला मांस। ३ देखो 'थगणा'। पर बनाया हुअा भवन, स्मारक । २ बैठने की जगह -वि० स्तन वाली। बैठक । ३ दुकान की गादी, गद्दी । ४ दुकान का अग्र भाग। ४ ऊंट के चारजामे के साथ लगी गद्दी। थणलौ-देखो 'थरण'। थच्च-पु० किसो गाढ़े पदार्थ के गिरने से उत्पन्न ध्वनि। थरणौ (बौ)-देखो 'थावणी' (बौ) । घट-पु० [सं० स्थात] १ ढेर, राशि । २ समूह, दल । थत-पु० [सं० स्थिति] वैभव, ठाट । ३ देखो 'थाट'। | थताथेइ, (ई)-देखो 'ताताथेई' । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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