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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ठइट वि० [सं०] स्थगित ] का हुआ (जैन) । www.kobatirth.org वाचाल, वक्ता । ९ रव । १० सूर्य या चन्द्र मण्डल | ११ वृत्त । १२ शून्य । १३ पवित्र स्थान । १४ मूर्ति । १५ देव । ठउडरगो (बौ) - क्रि० अपमान करना । ( ५२० ) इत पु० [सं० स्थापित ] साधु के निमित्त पृथक रखा ठगारी - वि० ठग, धूर्त । पदार्थ । (जैन) गो-देखो 'गाई' ठकार - पु० 'ठ' अक्षर । ठकावळ-स्त्री० टक्कर, धक्का | ठकठकाणी (बौ) - क्रि० १ किसी वस्तु पर चोट कर ठक-ठक ध्वनि पैदा करना । २ बजाना, ठक-ठक करना । ३ खटखटाना, ठोकना । ४ बजा कर देखना, जांच करना । | ठकठोळी स्त्री० हंसी मजाक, ठिठोली । ठको स्त्री० [१ ठाकुर की पत्नी २ मालकिन, स्वामिनी । ३ लक्ष्मी । ठकराई - देखो 'ठकुराई' । ठकाणी देखी ठिकांणी' | ठक-स्त्री० १ प्रघात या टक्कर से उत्पन्न ध्वनि । ठगोसरी - वि० (स्त्री० ठगोसरी) ठग, छलिया । २ संकेतात्मक ध्वनि । ठकुर देखो 'ठाकर'। - - । ठकुरांखी स्त्री० ठाकुर की पत्नी ठकुराई-स्त्री० १ शासन हुकुमत 1 २ राज्य जागीर । ३ स्वामित्व, अधिकार कब्जा । ४ धाक, रोब । ५ घमण्ड, गर्व 1 " ठकुरात ठकुरापत स्त्री० ठकुराईम ठकुर देखो 'ठाकरे' | उप-वि० [सं० ठक) (स्त्री० उगा उगणी) १ छल या ] धोने से लूटने वाला २ दलिया पूर्त ३ भ्रम या भुलावे में डालने वाला । ठगठगतउ - वि० स्तंभित । ठगठगी-स्त्री० ० स्तब्धता, विस्मय । ठगठगी - वि० (स्त्री० ठगठगी) १ चकित, स्तब्ध ठगासा । २ अस्थिर, डांवाडोल । ठगरण - पु० छंद शास्त्र में ५ मात्राओं का एक गए । ठगणी-स्त्री० १ ठगने की क्रिया या भाव । २ ठगी करने वाली स्त्री । ठगाठगी - स्त्री० धूर्तता, धोखेबाजी । ठगरणी (बी) - क्रि० १ छल या भुलावे में डालकर धन लूटना । २ दगा देना, धोखा करना । ३ व्यापार में बेईमानी करना । ४ भ्रम में डालकर अनुचित कार्य कराना । उपलो, उपवाजी विद्या०१र्तता, चालाकी। २ ठगने की क्रिया या भाव। ठगांण, ठगाई - स्त्री० १ धोखा, नुकसान, हानि । २ ठगने का कार्यं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठगोरी - स्त्री० ठगों की विद्या । वि० धोखा देने वाली । ठगोरी-देखो 'ठग' । ठरण स्त्री० [१] पोड़ के नाक की ध्वनि २ बंदूक की आवाज । ठ'ड़णी (बौ) - देखो 'ठरड़गो' ( ब ) । टपु० [सं०] स्थाता]] १ बहुत से लोगों का समूह, भीड़, झुण्ड । २ ढेर, समूह । ठटरी - स्त्री० अस्थिपंजर हड्डियों का ढांचा । उट्ठी ५०१ हंसी, विनोद २' प्रक्षर oorjit (at) - देखो 'ठिठकरणों' (बी) । 1 ठठकार - स्त्री० १ दुत्कार, डांट-फटकार । २ शाप, बद्दुआ । ३ अत्यधिक शीत, सर्दी वि० पापी, दुष्ट उठकारो (बी) क्रि० १ दुत्कारना, डांटना फटकारना २ शाप देना, देना बदुग्रा ३ तिरस्कार या अपमान , करना । oor (at) - क्रि० घुसना, पैठना, प्रविष्ठ होना । ठठर- वि० ० सिकुड़ा हुआ। स्त्री० तलवार । ठळणी (यौ) - कि० बेकार होना, धनुपयोगी होना। टठार, ठठियार-देखो 'ठठारौ' । For Private And Personal Use Only यठारा - स्त्री० धातु के बर्तन बनाने वाली जाति । - उठारौ पु० (स्त्री० [टहारण, उठारी) १ उक्त जाति का व्यक्ति । २ घरेलु सामान । ३ घर की दशा । ४ प्रार्थिक स्थिति । ठठुरी-स्त्री० तोप का ठाठा | ठठेरी (ब) देखो 'र' (बौ ठठेरी-देखो 'हठायें। उठोरणी (ब) देखो 'खो' (बी)। ठठोळ (ळी) - स्त्री० हंसी, दिल्लगी। ठठौ ठट्ठियौ-पु० १ 'ठ' अक्षर । २ विनोद | , उठो (की) देखी 'उठोळ' | ठढ़ौ, ठढौ - वि० खड़ा, स्थिर । की (बी) कि० १ किसी धातु की वस्तु पर प्रापात से ठन्-ठन् ध्वनि होना । २ वाद्य, बजना । ३ अनिष्ट का मन में आभास होना । ४ दर्द, पीड़ा होना, कसकना । ५ भागना । ठरण, ठणक - स्त्री० १ धातु की वस्तु से होने वाली ठन् ध्वनि । ग्रावाज । २ वाद्य ध्वनि ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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