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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रळवळपो ( ५११ ) टांगरियो टळवळरणी (बी)-कि० १ हिलना, डुलना। २ अस्थिर होना, | टहिटी-स्त्री० एक वाद्य विशेष । चंचल होना । ३ छटपटाना, तड़पना, कुल बुलाना। टहुकड़ो-देखो 'टहुकौ' । ४ व्याकुल होना, परेशान होना । ५ लालायित होना, टहुकरणौ (बो)-क्रि० १ कोयल, मोर प्रादि पक्षियों का बोलना। इच्छुक होना । ६ रेंगना, चलना। | २ ऊची व लम्बी आवाज करना । ३ ध्वनि करना । टळवळा'ट टळवळाहट-स्त्री० १ बेचैनी, घबराहट । २ हिलने- टहुकौ-पु० १ कोयल, मोर प्रादि पक्षियों की बोली । २ ऊंची डुलने की क्रिया या भाव । ३ हरकत । व लम्बी आवाज । ३ ध्वनि, शब्द । ४ लंबी व तेज टळवळारणौ (बी), टळवळावरणी (बी)-क्रि० १ हिलाना, अावाज देने का ढंग । ५ ताना, व्यंग । ६ ऊट की बोली। इलाना । २ अस्थिर या चंचल करना । ३ तड़पाना। | टहूकरणौ (बो)-देखो 'टहुकरणी' (बो)। ४ व्याकूल करना । ५ लालयित करना. इच्छा कराना। टांक-स्त्री० १ धनुष । २ देखो 'टंक' । ३ देखो 'टाकी' । ६ रंगाना चलाना। टांकडो-देखो टांकणौ'। टळवाडणौ (बो)-क्रि० खींचकर निकालना। टांकणी-पु० १ शुभाशुभ अवसर, विशेष अवसर, मुहूर्त । टलौ, टल्लो-पु० हल्कासा धक्का, टक्कर, झटका । २ ऐसे अवसर पर पड़ने वाला कार्य, घर का विशेष कार्य । टवरग-पु० [सं०८ वर्ग] ट ठ ड ढ ण इन वर्गों का समूह । ३ समय । ४ स्त्री के मासिक धर्म का समय । ५ शिल्पी का टवाली-स्त्री० १ खेत की रखवाली । २ चौकीदारी। एक औजार विशेष । ६ ऊपर लटकता हया मांस । टवौ-पु० भाले का अग्र भाग । ७ लटकाने या अटकाने की क्रिया या भाव । टस-स्त्री० १ प्रान्त भारी वस्तु के खिसकने की किया। टांकरणौ (बौ)-क्रि० १ ऊपर लटकाना, अटकाना, टेरना । २ खिसकने से उत्पन्न शब्द । ३ सिलाई करना । ३ बटन आदि लगाना । ४ चिपकाना, टसक-स्त्री. १ दर्द, कसक, टीस । २ देखो 'ठसक' । चस्पा करना। टसकरणौ (बी)-क्रि० १ दर्द से कराहना, दर्द में टसकना। कमो-वि० (स्त्री० टांकमी) १ लटकाया हुअा, टांका हुमा । २ खिसकना, हिलना । ३ कब्ज की दशा में मलत्याग के २ लटकता हुमा। लिए जोर करना। ४ चरमराना । टांकरौं-पुएक तोले का वजन । टसकाई-स्त्री० टसकने की क्रिया या भाव । टांकल-वि० कुपुत्र । टसकीलो-वि० (स्त्री० टसकीली) १ अधिक कराहने वाला। टांकल उ. टांकलौ-१ देखो 'टांकरणौ' । २ देखो 'टंक' । २ देखो 'ठसकीलो'। टांकी-स्त्री. १ पत्थर गढ़ने का लोहे का उपकरण । २ सोना, टसको-पु० १ कराहने का शब्द । २ टसकने की क्रिया या भाव। जवाहिरात आदि तोलने का तराजू । ३ देखो 'टाकी' । २ देखो 'ठसकी'। -बंद-पु० इमारत में लगे पत्थर के टुकड़ों या आमनेटसणौ (बो)-देखो ठमरणो' (बौ) । सामने की कीलों की मजबूत जुड़ाई । उक्त प्रकार से बनी टसर-स्त्री० [सं० तसर] एक प्रकार का मोटा व मजबूत वस्त्र ।। इमारत । टसरियो, टसरीग्रो, टसरीयो, टसर्यो-पु० १ ऊंट की एक टांकोली-पु० पुनर्वसु नक्षत्र का एक नाम । चाल विशेष । २ अफीम रखने का पात्र । ३ एक प्रकार टांको-पु० [सं० टकि-बंधने] १ भूमि को खोदकर अथवा का वस्त्र। ऊपर दीवार उठाकर बनाया हुआ जलकुण्ड । २ सोने टहकरणो (बी)-१ देखो'टसकणी' (बौ) । २ देखो'टहुकणो' (बी)। चांदी के आभूषणों में मिलाया जाने वाला विजातीय टहकारणी (बौ)-क्रि० १ बजाना । २ ध्वनि करना । धातु । ३ कपड़े या किसी घाव की सिलाई । ४ चोर के टहको-पु० १ वाद्य ध्वनि । २ देखो 'टहुको' । पद निह्नों की खोज । ५ भूमि संबंधी एक प्राचीन कर । टहटह-स्त्री० १ हमने की क्रिया । २ अट्टहाग । ३ ध्वनि विशेष । टांग (डो डौ)-स्त्री० [सं० टंगा] १ पैर, पांव, पग । टहटहणौ (बौ)-कि० १ वाद्य ध्वनि होना, नगारा बजना । २ रहट के कूए के भीतर लगने वाली लकड़ी। खिलखिलाना। टांगरण-दे वो 'टैगम्।। टहनी-स्त्री० वृक्ष या पौधे की छोटी शाखा । टांगरणी (बौ)-देखो ‘टांकरणी' (बी)। टहल-स्त्री०१ सेवा, खिदमत, चाकरी । २ देखभाल । ३ घूमने- टांगर-पु० भैस । फिरने की क्रिया या भाव । -दार-पु० खिदमतगार, | टांगरियो, टांगरौ-पू० १ फेरी लगाकर सौदा बेचने वाला चाकर । कमाई। व्यापारी। २ किसी बात की रट । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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