SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतार प्रत्थ प्रतार-पुo (स्त्री० प्रतारी) १ पंसारी । २ आततायी, दुष्ट । का ज्ञान । ३ मुसलमान । ४ देखो 'अत्तार' । अती-अव्य० १ इतनी। २ देखो 'अति' । अतारां (रा)-क्रि०वि० इतने में। प्रतीत-पु० [सं०] १ भूत काल । २ ईश्वर ।-वि० १ बीता हुआ, प्रतारी-वि० १ शीघ्रगामी, तेज । २ चंचल । विगत, भूत । २ पुराना। ३ विरक्त, निर्लेप । ४ पृथक, अतारु, (रू)-देखो 'अतेरु' । अलग ।-क्रि०वि० बाहर, परे। देखो 'अतिथि' । प्रतारौ-वि० अधिक, बहुत । अतीत्य, अतीथ-देखो 'अतिथि' । प्रताळ-वि० १ अत्यधिक । २ भयंकर। ३ तीव्र । ४ शीघ्र।। अतीर-पु० समुद्र, सागर । प्रताळी-वि० (स्त्री. प्रताळी) १ बलवान । २ दृढ़, मजबूत । अतीसीळ-पु० हस्ती, गज । ३ भयंकर । ४ तीक्ष्ण । ५ देखो 'उतावळी' । अतु-देखो १ 'अति' । २ देखो 'अतू'। अति-वि० [सं०] अधिक, ज्यादा ।-स्त्री० अधिकता, ज्यादती । अतुर-देखो 'पातुर'। -कम, कमरण, क्रम, क्रमरण-पु० सीमोल्लंघन । अपमान । अतुराई-देखो 'अातुराई'। -काय-वि० मोटा, स्थूल । -क्रांत-वि० अत्यन्त अतुळ-वि० [सं० अतुल] १ जिसकी तुलना न की जा सके, कांतिवान, बीता हुआ । –गंज-पु० ज्योतिष का एक अनुपम । २ जिसे तौला या मापा न जा सके, असीम, योग । -गत, गति-स्त्री० १ अत्याचार । २ मोक्ष । अपार । ३ जबरदस्त ।-बळ-वि० अत्यधिक शक्तिशाली, -चार--पु० दोष । विघात, व्यतिक्रम (जैन) । ग्रहों की | वीर, योद्धा। शीघ्र चाल । व्रत भंग की चार श्रेणियों में से तीसरी | अतुळित-वि० [सं० अतुलित] १ अपरिमित, अपार । २ असंख्य, (जैन)। किसी ग्रह का एक राशि से दूसरी में समय से अगणित । ३ अनुपम, अद्वितीय । पूर्व गमन । -चारी-वि० अत्याचारी। अन्यायकारी अतुळीबळ-देखो 'प्रतिबळ' । -चाह-स्त्री० उत्कण्ठा । -वि० अातुर । --दरप-वि० अतू-१ दखा 'यात घमण्डी, गविला । -देव-पु० शिव । विष्णू । बडा देवता। अतूट, अतूठ, (ठौ)-वि० [सं० प्र+तुष्ट] १ अप्रसन्न, नाराज। -पात-पु० अव्यवस्था । —पातक-वि० महापापी । अतुष्ट । २ जो तुष्टमान न हो । [सं० अ- त्रुटित] -प्रसंग-देखो 'प्रतप्रसंग'। -प्रांरण-देखो 'अतप्रांण' । ३ अखण्ड, अपार । न टूटने वाला। -बरसण-स्त्री० अतिवृष्टि । -बळ-वि० योद्धा अतेरु, (रू)-वि० जो तैरना न जानता हो ।-पु० सागर, समुद्र । शक्तिशाली, बलवान । -बळा-स्त्री० एक प्रचीन युद्ध प्रतै-देखो 'इतै'। विद्या । ककई नामक पौधा । --मत्र-पृ० बहमत्र रोग। अतोट-पु०१ वज्र । २ देखो 'अतूट'। ---रंग-पु० अत्यन्त प्रानन्द । घनिष्ठ प्रेम । ---रंजन-स्त्री० अतोताइयो-वि० (स्त्री० ग्रतोताई) १ अधिक प्यार के अत्युक्ति । अधिक प्रसन्नता । -रथि, (थी)-पु० एक | कारण उन्मत्त । २ उद्दण्ड । ३ उन्मत्त । ४ मस्ताना । ५ पागल । कारण उन्मत्त । २ उद्दण्ड । ३ उन्म प्रकार का महारथी । ---रय-पू० तीव्र वेग। अतोर-वि० १ न टूटने वाला, दृढ़ । २ अभंग । -वाद-पु० डींग, बी । कटोक्ति, सच्चीबात । अतौल, अतोली, अतौल, अतौली, (लो)-१ पहाड़, गर्वत । -वादक (वादी)-वि० सत्यवक्ता । कटुवादी । डींग २ देखो 'अतुल'। मारने वाला ।—सय-वि० अत्यधिक । -सार-पु० पेचिश, ! दस्त विकार । -हसित-पु० अट्टहास । अत्तर--पु० [फा० इत्र] पुष्पसार, इत्र । प्रतिकांतभावनीय-पुल्यौ० वैराग्य सम्पन्न योगी। प्रत्ता-देखो 'इता'। प्रतियाचार-देखो 'अत्याचार' । अत्तार-पु० इत्र या तेल बेचने वाला। अतिथि-पु० [सं०] १ मेहमान । २ एक स्थान पर एक रात से अत्ति (त्ती) देखो अति । देखो 'इती' । अधिक न ठहरने वाला मन्यासी । पूजा-स्त्री० ऐसे सन्यासी अत्तीत-देखो 'अतीत'। का सत्कार । अतिथि का सत्कार । अत्त-स्त्री० खाते की अवधि से पूर्व कर्ज पेटे जमा की जाने अतरिक्त, अतिरिगत-क्रि०वि० [सं० अतिरिक्त] मिवाय, वाली रकम । अलावा। प्रत्तोता, (यौ)-वि० (स्त्री० अत्तोताई) १ उतावला । २ इतराया अतरेक-पु० [सं] ग्राधिक्य, अतिशयता। हुया । ३ देखो 'ग्रातताई। अतींद्रियग्यांन-पू० [सं० अतीन्द्रियज्ञान इन्द्रियों के ऊपर प्रत्थ-कि० वि० १ अब । २ देवो 'अथ' । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy