SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयुताई ( ३८ ) प्रतात प्रणुताई -स्त्री. १ हद से बाहर बात । २ अन्याय । ३ उद्दण्डता। -क्रि०वि० यहां, इस जगह ।-एव-क्रि०वि० इसलिये, अणुतौ-वि० स्त्री० अणूती, अति करने वाला , उद्दण्ड । इस प्रकार । -खंभ-पु० भाला। -ताई-वि० प्राततायी। अणु (ग)-पृ० [सं० अणु] १ परमाणु संबंधी । ३ कण, | -प्रसंग-पु० अत्यन्त मेल । अति विस्तार । व्यभिचार । जर्रा । ३ रजकरण । ४ लेश मात्र । ५ विष्णु। ६ शिव । -प्राण-वि० बलवान, शक्तिशाली।-वेध-पु० युद्ध, समर । ७ नैयायिकों द्वारा स्वीकृत पदार्थ विशेष जो पदार्थों का -सय-वि० अतिशय । मुल कारण होता है। ---वि० १ अत्यल्प । ३ सूक्ष्म । अतग, (गी)-वि० [सं० उत्तु'ग] ऊंचा, उच्च । ३ लघुतम । --पातक-पु० ब्रह्म हत्या के बराबर पाप । अतट, अतड-० १ पर्वत-शिखर, चोटी । २ टीला । --बंध-देखो 'अनुबंध' । -भामा-स्त्री० विद्य त । ३ समुद्र, सागर। -राव-पु० अनुकरण । -वाद-पु० दर्शन शास्त्र का प्रतण, (नौ)-पु० [सं० अतन] १ कामदेव । २ ईश्वर, ब्रह्म । सिद्धांत । -वीक्ष्ण-पु० सूक्ष्म पदार्थ देखने का यन्त्र । -वि०१ तन रहित । २ निर्बल । ३ पुसत्वहीन । -हारणौ-वि० नंगै पर। प्रतमभवन, अतमभू-देखो 'पातमभू' । अणुकंपा-देखो 'अनुकंपा'। अतरंग-वि० १ तरंग रहित । २ शान्त ।-पु०शान्त समुद्र । अनुबंध-देखो 'अनुबंध'। अतर (ह)- वि० १ अधिक, बहुत । २ तिरने में कठिन । अणुवाद-सं पु० [सं० अणुवाद:] १ सिद्धान्त विशेष जिस में -पु०१ समुद्री। २ देखो 'अत्तर' । ३ देखो 'इतर'। जीव या प्रात्मा अणु माना गया है : २ सिद्धान्त अतरुज-देखो 'प्रत ज'। विशेष जिसमें पदार्थों के अणू नित्य माने गये हैं। अतरे (र)-क्रि०वि० १ इतने में । २ इस अवसर पर । ३ देखो 'अनुवाद'। अतरो'क-वि० [स्त्री० अतरी] १ इतना । २ अधिक । अणुव्रत-पु० श्रावक के बारह व्रतों में से प्रथम पांच व्रत । अतरौ-वि० [स्त्री० अतर] १ इतना । २ अधिक । अणुहार-देखो ‘उणियार'। अतळ, (ळी)-वि० [सं० अतल:] १ तल रहित । २ बिना पेंदे अणुहारौ-देखो 'उगियारी' । का । ३ अधिक । ४ निकृष्ट । ---पु० [सं० प्रतलम्] प्रगत-स्त्री०१ शैतानी, बदमाशी । ३ अन्याय । ३ असम्भव दूसरा पाताल । कार्य । ४ अभाव ५ बेहद । अतळस, (स्स)-पु० [अ०] एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । अणूतौ (अरण तौ)-वि० (स्त्री० अणूती) १ बदमाश, उद्दण्ड । प्रतळसो-वि० प्रतलस का, प्रतलस संबंधी । --पु० खोजायों का २ अन्यायी, प्रातताई। ३ चंचल, चपल । ४ अत्यधिक । एक भेद । अणहार-देखो 'उणियार'। अतळा-स्त्री० [सं० अचला] १ भुमि । २ नेत्रों की सुन्दरता । अरणहारौ-देखो 'उणियारौ'। अतळाग-स्त्री० [देश॰] याद । अरणे, (गो)-पु० रथ ।-अव्य० और ।-ती-वि० असंभव । अतळीबळ (वर)- देखो 'अतिबळ' । अरोवर-स्त्री० दुल्हिन की महचरी। प्रतळज-स्त्री० श्वास नली में होने वाली खरखराहट । प्रण सौ-पृ० १ दुःख, शोक । २ मानगिक कष्ट । ३ विरह। प्रतळो-वि० १ अाधार शून्य, सराब, बुरा । ४ ग्राणका । ५ ईर्ष्या, दाह । प्रतवार-वि० १ बेहद, अपार । २ देखो 'ग्रादित्यवार' । अगोपाई, अरगोई, (हाई)-स्त्री० श्वास रोग, दमा। ३ देखो 'एतबार'। अरणोखौ-देखो 'अनोखौ' । प्रतस, अतसय-पु० [सं० अतिशय ] बहुत, अधिक, अपार । प्रगोटपोळ-पु० स्त्रियों के पांव का आभूषण । प्रतसी-स्त्री० अलसी। प्रतंक देखो 'नातंक'। प्रता-देखो 'इता'। अतंग-वि० दक्ष, निपुण । प्रताई-वि० १ अधिक । २ प्राततायी । ३ देखो 'इत्तेई' प्रतंत-देखो 'अत्यंत'। ४ देखो 'इताई। अतंद्र-वि० १ निरालस्य, चंचल । २ विकल, अातुर । अताक-वि० गुप्त । अत. (त:)-वि० [सं० प्रति] १ अत्यधिक, बहुत । २ उच्चतर, प्रताग-वि० [सं० अत्याज्य] १ त्यागने योग्य । २ देखो 'प्रथाग' श्रेष्ठतर । ३ बेहद । -स्त्री०१ अधिकता। २ शीघ्रता। प्रतागे, (ग)- क्रि० वि० जल्दी, शीघ्र । -पु० ३ ईश्वर, परब्रह्म । ४ अधिकता सूचक उपसर्ग । अतात-वि० निराश्रित, अनाथ । -पु० ईश्वर । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy